माता पार्वती के भाई:- वांण क्षेत्र के लाटू देवता...!

                           उत्तराखंड के एक देवता ऐसे हैं जो युगों से कैदखाने में बंद हैं। कैदखाना ही इनका मंदिर है। साल में सिर्फ एक बार वैशाख पूर्णिमा को कुछ घंटों के लिए मंदिर का द्वार खुलता है। यह एक मात्र ऐसे देवता हैं जिनके दर्शन पुजारी भी नहीं कर पाते हैं। क्योंकि मंदिर का द्वार खोलते समय पुजारी के आंखों पर पट्टी बंधी होती है। रिश्ते में यह देवता भगवान शिव के साले और माता पार्वती के भाई हैं। लेकिन एक गलती के कारण देवी पार्वती ने इन्हें कैद में डाल दिया और तब से यह कैद में रहते हैं। इस देवता का नाम है लाटू देवता। इस देवता का मंदिर नंदा देवी यात्रा के मार्ग में वांण क्षेत्र में है। लाटू देवता के विषय में ऐसी कथा है कि देवी पार्वती के साथ जब भगवान शिव का विवाह हुआ तो देवी पार्वती जिसे नंदा देवी नाम से भी जाना जाता है। इन्हें विदा करने के लिए सभी भाई कैलाश की ओर चल पड़े। इसमें चचेरे भाई लाटू भी शामिल थे। मार्ग में लाटू को इतनी प्यास लगी कि पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगे। इस बीच लाटू देवता को एक घर दिखा और पानी की तलाश में घर के अंदर पहुंच गए। घर का मालिक बुजुर्ग था। बुजुर्ग ने लाटू देवता से कहा कि कोने में मटका है पानी पी लो। संयोग से वहां दो मटके रखे थे। लाटू देवता ने एक मटके को उठाया और पूरा का पूरा मटका खाली कर दिया। प्यास के कारण लाटू समझ नहीं पाए कि जिसे वह पानी समझकर पी गए वह पानी नहीं मदिरा था। कुछ देर में मदिरा ने असर दिखाना शुरु कर दिया और लाटू देवता नशे मेंउत्पात मचाने लगे। इसे देखकर देवी पार्वती क्रोधित हो गई और लाटू को कैद में डाल दिया। देवी पार्वती ने आदेश दिया कि इन्हें हमेशा कैद में ही रखा जाए। माना जाता है कि कैदखाने में लाटू देवता एक विशाल सांप के रुप में विरामान रहते हैं। इन्हें देखकर पुजारी डर न जाएं इसलिए यह आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर का द्वार खोलते हैं। वांण क्षेत्र में लाटू देवता के प्रति लोगों में बड़ी श्रद्घा है। लोग अपनी मनोकामना लेकर लाटू के मंदिर में आते हैं। कहते हैं यहां से मांगी मनोकामना जरुर पूरी होती है।