साढ़े चार वर्ष की बालिका युवती बनी।
                    गुजरात राज्य में राजकोट जिले की गोंडल तहसील में एक आश्चर्यजनक घटना सामने आयी है। यहाँ एक बालिका का जन्म हुआ। जब वह तीन वर्ष की हुई तो उसे मासिक स्राव शुरु हो गये और उसके शरीर में तेजी से परिवर्तन होने लगे। आज साढ़े चार वर्ष की वह बालिका 18 वर्ष की पूर्ण युवती बन चुकी है। माँ बाप चिकित्सा करा-करा के हार चुके हैं और अब समाज के सामने आने से बच रहे हैं पर इस शर्मनाक घटना का बीज स्वयं उन्होंने ही बोया था। व्यक्तिगत जानकारी न देने की शर्त द्वारा वचनबद्ध डॉ. एस. पी. भंडेरी के अनुसार बच्ची के माँ-बाप जंक फूड, फास्टफूड के बहुत शौकीन है। गर्भावस्था के पहले से ही वे इस तामसी खुराक का भरपूर सेवन करते थे और आधुनिक विज्ञान के अनुसार गर्भावस्था के अंत तक शारीरिक संबंध बनाना उन्होंने जारी रखा था। इस दौरान उन्होंने ब्लू फिल्में भी खूब देखीं।
                 फलतः तामसी पोषण, कामुक विचारों और रहन सहन का गहरा असर गर्भस्थ बालिका पर पड़ा और यह दुष्परिणाम सामने आया कि समय से पहले ही बच्ची युवती बन गयी। आधुनिक विज्ञान कहता है कि गर्भाधान के बाद शारीरिक संबंध बनाने में कोई हर्ज नहीं, जबकि आयुर्वेदाचार्य महर्षि चरक के अनुसार गर्भावस्था में जो स्त्री निरंतर सहवास में रहती है, उस स्त्री की संतान विकृत शरीरवाली, निर्लज्ज व व्यभिचारी होती है। माता पिता के आचार विचारों का प्रभाव संतान पर अवश्यमेव पड़ता है।
              कम से कम अपनी भावी संतान के लिए आप स्वयं को संयमित करें। स्वादलोलुप बनकर आप जंक फूड व फास्टफूड के सेवन से अपना व अपनी भावी संतान का स्वास्थ्य चौपट न करें। पर्व, उत्सव प पुण्यमयी तिथियों पर शारीरिक संपर्क से बचें।

                अष्टमी, एकादशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावस्या, संक्रान्ति इष्ट जयंति आदि पर्वों में, ऋतुकाल की तीन रात्रियों में, प्रदोषकाल में तथा ग्रहण और श्राद्ध के दिनों में संसारव्यवहार करने वाले के यहाँ कम आयु वाले, रोगी, दुःख देने वाले, विकृत अंग वाले, दुर्बल तन, मन और बुद्धि वाले बालक पैदा होते हैं। गर्भावस्था के दौरान सत्शास्त्रों का पठन, देव-दर्शन, संत-दर्शन, भगवद-उपासना करें और अपने मन को सदविचारों से ओतप्रोत रखें। हर समय भगवन्नाम का मानसिक जप करें, इससे आपकी संतान दैवी सदगुणों से युक्त होगी। स्रोतः लोक कल्याण सेतु, जुलाई अगस्त 2009 ये सब पाश्चात्य संस्कृति का परिणाम है , पश्चिम सभ्यता भोगविलास से भरी पढी है इसीलिए लोग बदचलन और निस्तेज और निकम्मे होते जा रहे हैँ। अगर इस पश्चिम की तुच्छ सभ्यता का बहिस्कार नहीँ किया गया तो ये सब को ले डूबेगी चाहे अमीर (पैसे बाला) हो या गरीब ।