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मेरी पत्नी रेलवे स्टेश्न पर
ही छूट गयी।
कहीँ
एक ट्रेन मेँ जर्नल के डिब्बे मेँ दादाजी बैठे थे ट्रेन स्टेश्न छोँड चुकी थी। तभी
एक नौजवान युवक जिसका विवाह कुछ दिन पहले हुआ था वो भी उसी डिब्बे मेँ चढा बहुत
परेशान लग रहा था, बोल रहा था मेरी पत्नी स्टेश्न मेँ रह गयी मैँ
जल्दी से ट्रेन पर चढ गया वो वहीँ छूट गयी, नहीँ चढ पायी।
दादाजी उससे बोले - "बेटा तुम रामायण पढते हो?" युवक
बोला - "मेरी पत्नी स्टेश्न पर रह गयी और आपको रामायण पढने की पडी है !
" दादाजी अपना प्रश्न दोहराते हुए बोले - "अगर रामायण पढते होते तो
पत्नी स्टेश्न पर नहीँ छूटती। रामयण मेँ श्री राम जी ने मैया सीता को पहले नाव पर
चढाया था, फिर स्वयं चढे। अगर एक बार भी रामायण पढे होते
तो कुछ संस्कार तो सीख ही लेते।"
1 टिप्पणियाँ
धोबी की ईमानदारी
जवाब देंहटाएंघटना शुक्रवार 10 जुलाई 2015 की है। मैने अपनी पेंट की जेब में 5 हजार रूपये रखे थे। दूसरे दिन सुबह घर से आॅफिस जाते समय दूसरी पेंट पहन ली और जिस पेंट में रूपये थे, घर पर छोड़ दिया। उसी दिन पत्नी ने उस पैंट को धुलवाने के लिये धोबी को दे दिया। जब शाम को आॅफिस से आया और पैंट में रखे रूपये के बारे में पत्नी से पूछा तब पता चला कि वह पैंट को धोबी के पास धुलवाने के लिए दे दिया है। यह सुनते ही मैं घबरा गया और सोचने लगा कि अब तो रूपये मिलना मुश्किल है। उसी समय मैंने बाईक निकाली और धोबी के घर पहुंचा।
दरवाजे पर ही धोबी की पत्नी मिल गयी। उसकी पत्नी ने कहा कि ‘आपके पैंट की एक जेब में पांच हजार रूपये मिले हैें’ इतना कहकर उसने तुंरत रूपये वापस लौटा दिये।
आज के इस युग में जहां चारों तरफ बेईमानी और कुछ रूपयों के लिए लड़ाई-झगड़ा होता रहता है वहां आर्थिक रूप से कमजोर धोबी की इस ईमानदारी को देखकर मैं आश्चर्य में पड़ गया और यह सोचने में विवश हो गया कि आज के युग में भी ईमानदारी मौजूद है तभी यह दुनिया चल रही है।