ग्वारपाठा या घृतकुमारी स्वास्थ्यरक्षक, सौंदर्यवर्धक
तथा रोगनिवारक गुणों से भरपूर हैं। यह
शरीर को शुद्ध और सप्तधातुओं को पुष्ट कर रसायन का कार्य करता है। यह
रोगप्रतिकारक प्रणाली को मजबूत करने में अति उपयोगी एवं त्रिदोषशामक, जठराग्निवर्धक, बल, पुष्टि
व वीर्य वर्धक तथा नेत्रों के लिए हितकारी है। यह
यकृत के लिए वरदानस्वरूप है।
पीलिया, रक्ताल्पता, जीर्णज्वर
( हड्डी का बुखार ) , तिल्ली की
वृद्धि, नेत्ररोग, स्त्रीरोग, हर्पीज, वातरक्त, जलोदर, घुटनों
व अन्य जोड़ों का दर्द, जलन, बालों
का झड़ना, सिरदर्द, अफरा
और कब्जियत आदि में यह उपयोगी हैं। पेट
के पुराने रोग, चर्मरोग, गठिया
व मधुमेह तथा
बवासीर के रोगी को आमयुक्त ( चिकने ) रक्तस्त्राव में ग्वारपाठा बहुत लाभदायी है।
ग्वारपाठे
पर नवीन शोधों के परिणाम
१)
यह बिना किसी दुष्प्रभाव के सूजन
एवं दर्द को मिटाता है तथा एलर्जी से उत्पन्न रोगों को दूर करता है।
२) यह रोगों से लड़ने में प्रतिजैविक ( एंटीबायोटिक
) के रूप में काम करता है। यह
सूक्ष्म कीटाणु, बैक्टीरिया, वायरस
एवं फंगस के कीटाणुओं से लड़ने की क्षमता रखता है।
३)
त्वचा की मृत एवं खराब कोशिकाओं को
पुन: जीवित कर त्वचा को सुदृढ़ बनाता है। रक्त
में बने थक्कों को साफ़ करते हुए खून के प्रवाह को सुचारू करता है।
४)
यह कोलेस्ट्राँल को घटाता है। ह्रदय
की कार्यक्षमता बढाकर उसे मजबूती प्रदान करता है।
५)
शरीर में ताकत एवं स्फूर्ति लाता
है।
६)
यकृत एवं गुर्दों को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है एवं शरीर के
जहरी पदार्थों को निकालने में सहायता करता है।
७)
इसमें युरोनिक एसिड होता है, जो
आँतो के अंदर की दीवाल को सुदृढ़ बनाता है।
औषधीय
प्रयोग
बवासीर
: ग्वारपाठे के गुदे में २ – ३
ग्राम हल्दी व २० ग्राम मिश्री मिला के सुबह – शाम
सेवन करें। इससे बवासीर व बवासीर के कारण आयी
दुर्बलता दूर होती है।
मोटापा
: आधा गिलास गर्म पानी में ग्वारपाठे का गूदा व नींबू मिला के खाली
पेट सेवन करें।
पेट
के रोग : इसके रस या गूदे में ५ – ५
ग्राम शहद व नीबू का रस मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से पेट के सभी विकारों में लाभ
होता है।
उच्च
रक्तचाप : तरबूज के ताजे रस में ग्वारपाठे का रस मिलाकर
पीने से रक्त की कमी दूर होती है, उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है।
ह्रदयरोग
: ३ ग्राम अर्जुन की छाल के बारीक चूर्ण में ग्वारपाठे का रस मिलाकर
सुबह – शाम सेवन करने से ह्रदयरोगों से सुरक्षा होती
है।
कब्ज
: इसका गूदा पीसकर उसमें थोडा काला नमक मिला के सेवन करने से लाभ होता
है।
रस
या गुदे की मात्रा : बच्चे ५ से १५ ग्राम तथा बड़े १५ से २५
ग्राम सुबह खाली पेट लें।
सावधानी : जिनकी आँतो में सूजन हो, पेचिश
हो, पुरानी बवासीर जिसमें मस्से अधिक फूले हुए हों, गुदाम्रार्ग
से रक्तस्त्राव होता हो, अतिसार हो, शरीर
अत्यंत दुर्बल हो, जिन स्त्रियों को मासिक स्त्राव अधिक
होता हो, गर्भवती या बच्चे को दूध पिलाती हो, वे
ग्वारपाठे का अधिक समय तक प्रयोग न करें।
स्त्रोत –
ऋषिप्रसाद से।
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