अखाड़ा परिषद द्वारा जारी की गयी सूची हुई खारिज

अखाड़ा परिषद द्वारा जारी की गयी सूची हुई खारिज
पूज्य बापूजी का नाम जोड़ने की संतों ने की भर्त्सना

हाल ही में अखाड़ा परिषद द्वारा एक सूची जारी कर कहा गया कि ये संत फर्जी हैं । इस सूची में पूज्य बापूजी का भी नाम था । अखाड़ा परिषद के इस कृत्य की चहुँओर आलोचना हुई । विभिन्न मत-पंथ, सम्प्रदायों के संतों ने इसे ईर्ष्या-द्वेषपूर्ण, अनधिकार, असंवैधानिक ठहराते हुए इसके प्रति सख्त विरोध जताया एवं इसे खारिज किया ।
17 सितम्बर 2017 को जंतर-मंतर (दिल्ली) पर संत महासभा के तत्त्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में अनेक संत-महात्मा व विभिन्न हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधि एकत्र हुए और अखाड़ा परिषद की 10-9-17 की कथित फर्जी संतों की सूची पर चिंतन-मनन के बाद यह अंतिम निर्णय लिया गया कि उक्त सूची दुर्भावना एवं अपनी नाकामियों को छुपाने के उद्देश्य से अखाड़ा परिषद द्वारा जारी की गयी थी, जो धर्मसम्मत और संवैधानिक भी नहीं है । इससे न सिर्फ हिन्दुत्व को नुकसान होगा बल्कि धर्म-परिवर्तन को भी बल मिलेगा । अतः कथित फर्जी सूची को संत महासभा द्वारा संतों एवं जनता की उपस्थिति में तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है ।
उपरोक्त प्रस्ताव पारित होने के बाद संत महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणिजी महाराज ने कहा :अखाड़ा परिषद का अस्तित्व सन् 1956 में आया । क्या उसके पहले संत नहीं थे ? अखाड़ा परिषद का रजिस्ट्रेशन कब हुआ है ? वह पहले अपना रजिस्ट्रेशन नम्बर तो बताये, फिर पता चल जायेगा कि फर्जी हम हैं कि तुम हो ! तुम गाँजा-चिलम खींचते हो, अरे वाह ! तुम तो संत हो गये भाई ! और जिन्होंने लाखों लोगों के व्यसन छुड़वाये उन्हें तुम फर्जी बोलते हो !
अखाड़ा परिषद को यह सुझाव दिया जाता है कि जिसके घर शीशे के होते हैं, वे पत्थर के घरवालों पर ईंट नहीं फेंकते । अखाड़ा परिषद ने अगर दोबारा संतों के खिलाफ ‘फर्जी’ शब्द का प्रयोग किया तो संत महासभा उनको कानूनी तौर पर अदालत में खींच के लायेगी । 
एक तो तुमने पैसा लेकर धार्मिक भ्रष्टाचार किया और फिर अपनी कमियों को छुपाने के लिए ऐसी सूची जारी कर दी । तुमने साबित कर दिया कि तुम भ्रष्ट हो ।
इससे समाज में धार्मिक मर्यादा खत्म हो रही है । पहले अपना सुधार करें । ईर्ष्यार्-द्वेषवश जानबूझकर हम किसीको फर्जी घोषित कर दें तो इसका परिणाम तो बहुत बुरा होगा । इसलिए जरूरी है कि ऐसे कोई गलत निर्णय लेता है तो हम उसका बहिष्कार करें । षड्यंत्र करके आदरणीय  बापूजी को  फँसाया गया है तो यह नहीं कि अखाड़ेवालो ! तुम बचे रहोगे ।
2014 में बड़ा कुछ सपना सँजोकर हम लोगों ने केन्द्र में सरकार बनवायी । पूरे देश में समर्थन किया । अब सरकार बन गयी । 
जब देश को सींचना था खून से, तो सींचा संतों ने ।
और जब चमन में बहार आयी
तो कहते हो तेरा कोई काम नहीं ।।
अब देखो, संत को तो जेल में डाल दिया जा रहा है, 4 साल से जमानत नहीं मिल रही है । हमारे संतों को अगर जेल से बाहर नहीं निकाला गया तो संतों के खिलाफ राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्रों को बेनकाब करने के लिए पूरे देश में संत महासभा द्वारा ‘संत बचाओ’ यात्रा निकाली जायेगी ।
एक संत जेल में हैं मतलब हमारी संस्कृति जेल में है । उन संत की रक्षा में, उस संस्कृति को बचाने में अगर तुम बहानेबाजी करते हो तो संतजन तो छोड़ दो, परमात्मा भी तुम्हें निश्चितरूप से माफ नहीं करेंगे । 
अनंतश्री विभूषित राजगुरु स्वामी दयानंद सरस्वतीजी उर्फ पाताल बाबा, अध्यक्ष, ‘गंगा बचाओ’ आंदोलन तथा पीठाधीश्वर, अखिल भारतीय मांत्रिक महासभा : आशारामजी बापू जैसे संत को दुष्ट मानसिकतावालों ने कारागार में डलवा दिया । हमारे बापू लाखों-करोड़ों के हृदयों में हैं । भारतवर्ष के मुख्य न्यायाधीश से प्रार्थना करूँगा कि संत को रिहा कीजिये और फिर देखिये यह देश कितना आगे बढ़ता है ! 
स्वामी चिन्मयानंदजी महाराज, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, संत महासभा : कोई भी उठकर हिन्दुस्तान के संतों को ‘फर्जी’ का प्रमाणपत्र दे रहे हैं, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है । इनमें कई तो ऐसे हैं कि लाखों रुपये एेंठते हैं और फिर महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर बनाते हैं । मुझे भी कहा गया था कि ‘स्वामीजी ! आप 4 लाख रुपये दे दो तो आपको महामंडलेश्वर बनायेंगे ।’ मैंने कहा : ‘‘मैं 4 लाख क्या 4 पैसे भी नहीं दूँगा ।’’ मैं एक आह्वान करता हूँ सच्चे संतों को भी फर्जी कहनेवाले अखाड़ा परिषदवालों से कि ‘आप अपनी औकात में रहें ।’ इनको अपने छेद देखने की जरूरत है ।
महंत कैलाशनाथ हठयोगीजी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय संत एकता आंदोलन परिषद : अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों ने अपने संतों पर ही वार करना शुरू कर दिया है । यह सही नहीं है । संत आशारामजी बापू जैसे संत ‘न भूतो न भविष्यति’ होते हैं । 
श्री दाताशाहजी महाराज, भगवान वाल्मीकि आश्रम सेवादल, लुधियाना; प्रांतीय अध्यक्ष, संत महासभा एवं उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय संत महासंघ : संत आशारामजी बापू के साथ जो किया जा रहा है वह गलत है । हम हर तरह से बापूजी के साथ हैं ।
श्री घनश्यामानंदजी, अध्यक्ष, वैदिक डिवाइन एसोसिएशन : परम पूज्य बापूजी संतशिरोमणि हैं । उन्होंने देश को बहुत कुछ दिया है । बापूजी का अपमान वास्तव में हिन्दुत्व का अपमान है ।
श्री सुनील गुप्ताजी, उपाध्यक्ष, लोनी समिति, हिन्दू एकता मंच : जो संत अपना पूरा जीवनकाल देश के लिए न्योछावर कर देते हैं, जिनकी बदौलत भारत महान है, जिनके कारण मानवता है, उनके लिए ऐसा अनर्गल दुष्प्रचार गलत है ।
स्वामी कल्याणदेवजी महाराज, संयोजक, संत महासभा, हरियाणा : ये अखाड़ा परिषद के खुद फर्जी लोग हैं और जबरदस्ती अपने-आपको अध्यक्ष कह रहे हैं । जिनका कोई अस्तित्व नहीं है वे सर्टिफिकेट दे रहे हैं । ऐसे सर्टिफिकेट को कोई नहीं मानता । न हमारा संत-समाज मानता है और न आम जनता को मानना चाहिए । बापूजी सच्चे संत हैं ।
श्री ब्रह्मप्रकाशजी महाराज : संत आशारामजी बापू को अनुचित ढंग से जेल में डाला गया है । हिन्दुओं को, संतों को बदनाम करने का यह षड्यंत्र है । अखाड़ा परिषद ने एक गलत सूची जारी करके कहा कि ये फर्जी बाबा हैं पर वे खुद ही गलत हैं । यह सब फर्जी काम है । संत आशारामजी बापू पिछले 50 वर्षों से समाजोत्थान के सेवाकार्य कर रहे हैं । हम सरकार से माँग करते हैं कि बापू आशारामजी को जल्द-से-जल्द रिहा किया जाय ।
प्रवक्ता नीलम दुबे : देश को खत्म करने से पहले उसकी संस्कृति पर, संतों पर वार किया जाता है । आज हिन्दू धर्म को खत्म करने के जो दुष्प्रयास किये जा रहे हैं, सभी हिन्दुओं को एकजुट होकर उनका मुकाबला करना चाहिए न कि अपने ही लोगों पर छींटाकशी करके आपसी मतभेद पैदा करना चाहिए । पूज्य बापूजी भारतीय संस्कृति के महान संत हैं । उन्हें किसीके प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है । 
श्री सत्पाल मलहोत्राजी, हिन्दू हेल्प लाइन, दिल्ली : बापूजी को जेल में क्यों बंद किया गया है ? बापूजी धर्मांतरित लोगों की घर-वापसी का कार्य बहुत तेजी से कर रहे थे । उन्होंने ओड़िशा आदि अनेक राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों के लाखों परिवार, जो सनातन हिन्दू धर्म छोड़ के धर्मांतरित हो गये थे, उनकी घर-वापसी करवायी और इसका बापूजी को जुर्माना देना पड़ रहा है कि वे पिछले 4 साल से जेल में हैं ।
उस वक्त की सरकार ने मिशनरियों के इशारे पर बापूजी को झूठे मुकदमे में फँसाकर जेल में बंद किया । इस वक्त देश के अंदर एक हिन्दू सरकार है । और अगर वह हिन्दू सरकार है तो जिस तरह से साध्वी प्रज्ञाजी के केस की दोबारा जाँच हुई और उन्हें निर्दोष पाया गया, इसी तरह से बापूजी के लिए भी निष्पक्ष जाँच हो । बापूजी निर्दोष हैं और निर्दोष ही साबित होंगे । उन्हें शीघ्र सम्मानपूर्वक रिहा किया जाय ।
श्री रामाभाई : जो लोग लिस्टें जारी कर कहते हैं कि ये फर्जी संत हैं... क्या ऐसी लिस्टें जारी करनेवालों को पता है कि ‘संत’ किन्हें कहते हैं ?
जिनकी अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं का अंत हो गया है, जिनके लिए ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात् पूरा विश्व ही अपने परिवारतुल्य हो गया है, वे ‘संत’ कहलाते हैं । जो लोगों को धर्मच्युत होने से बचायें, धर्म की रक्षा करें, धर्म की सुवास अपने जीवन से महकायें और लोगों का जीवन सही मार्ग पर मोड़ने का सामर्थ्य रखें वे संत हैं । ये सभी सद्गुण पूज्य बापूजी के जीवन में स्पष्टरूप से देखने को मिलते हैं इसलिए बापूजी की ‘संत’ उपाधि शास्त्रप्रदत्त है । यह बापूजी के सद्गुरु भगवत्पाद स्वामी लीलाशाहजी महाराज द्वारा प्रदत्त है । बापूजी का संतत्व समाज के लाखों लोगों के हृदयों में है । इसे कोई परिषद तो क्या, कोई भी नहीं हटा सकता । जिन्होंने भी ऐसा व्यर्थ का दुष्प्रयास किया वे अपनी ही इज्जत घटा रहे हैं । कोई सूरज पर कीचड़ उछाले तो क्या होगा ? ब्रह्मनिष्ठ संत श्री आशारामजी बापू अध्यात्म-क्षितिज के सूर्य थे, हैं और रहेंगे । पूज्य बापूजी एवं श्री नारायण साँईंजी का नाम ऐसी सूची में जोड़ना बिल्कुल निंदनीय कृत्य है ।
इस कार्यक्रम में उपरोक्त महानुभावों एवं संगठन प्रमुखों के अलावा महंत श्री ओमनाथजी महाराज, योगी गंगानाथजी महाराज, श्री देवजी महाराज (हरिद्वार), श्री हरिओमजी वशिष्ठ (हरिओम शरण संस्थान, दिल्ली), संत साधुनाथ ज्वालाजी (हि.प्र.), महंत राघवेन्द्रजी महाराज, मौनी बाबा (महंत डॉ. दलीपनाथजी, गोरखनाथ आश्रम, दिल्ली), साध्वी मंजूदेवी, बमबम ठाकुर (यूथ सनातन सेवा संघ) आदि उपस्थित रहे ।
अखाड़ा परिषद द्वारा जारी की गयी संतों की सूची खारिज करने, संतों के खिलाफ चल रहे मीडिया ट्रायल को रोकने एवं राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्रों को उजागर करने, गौरक्षा कानून बनवाने आदि विषयों को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्रीजी आदि के नाम ज्ञापन दिया गया ।
उपरोक्त संतों एवं संगठन प्रमुखों के संगठनों के अलावा अखिल भारतीय श्री योग वेदांत सेवा समिति, युवा सेवा संघ, महिला उत्थान मंडल, हिन्दू यूनाइटेड फ्रंट, शक्ति सेना, धर्म रक्षा मंच, भारत जागृति मोर्चा, युवा हितकारिणी संघ, अखिल भारतीय नारी रक्षा मंच, महिला-शक्ति उत्थान मंडल, धर्म रक्षा दल, संस्कृति रक्षक संघ, स्वामी विवेकानंद युवा जागृति मंच आदि संगठनों ने भी उपरोक्त प्रस्ताव का समर्थन किया ।