प्रश्न:- सनातन धर्म मेँ कितने देवी देवता हैँ?
               उत्तर:- सनातन धर्म मेँ ३३ कोटि देवी देवता हैँ। (कोटि = प्रकार, देववाणी संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है, कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।)
               अर्थात् कुल ३३ प्रकार के देवी देवता सनातन धर्म मेँ हैँ :
१२ प्रकार के आदित्य हैँ - धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु ।
८ प्रकार के वासु हैँ - धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
११ प्रकार के रुद्र हैँ - हर, बहुरुप,त्रयँबक, अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली। एवं अन्य
२ प्रकार हैँ - अश्विनी और कुमार।
कुल: १२ + ८ + ११ + 2 = ३३ ये सनातन धर्म मेँ देवता हैँ ।

                 कहा जाता है कि तैंतीस कोटि (करोड) देवता होते हैं । इसका अर्थ यह हुआ कि प्रमुख देवता तैंतीस हैं और प्रत्येक देवता के एक कोट गण, दूत आदि हैं । कोटिशब्द, ‘करोडशब्द का बहुवचन है । (कोटशब्द का अर्थ है, १ करोड और कोटिशब्द का अर्थ है, अनेक करोड ।) देवताओं की उत्पत्ति और लय की प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है । इसलिए, उनकी कुल संख्या निश्चित नहीं है । फिर भी, तैंतीस करोड देवताओं की संख्या में सिद्धान्ततः अन्तर नहीं ।

प्रमुख तैंतीस देवताओं से संबंधित कुछ विचारधाराएं इस प्रकार हैं -


अ. १२ आदित्य, ११ रुद्र, ८ वसु (आठ दिशाओं के स्वामी), १ इन्द्र तथा १ प्रजापति अथवा इन्द्र और प्रजापति के स्थान पर २ विश्वदेव । इस प्रकार, कुल ३३ देवता हुए । इन्द्र और प्रजापति के स्थान पर प्रजापति व षट्कार अथवा वाव्â और ईश्वर ये दो देवता भी तैंतीस करोड देवताओं में गिने जाते है ।

आ. ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश इन तीन प्रमुख देवताओं में से प्रत्येक के ११ करोड देवता होते हैं ।

इ. तैंतीस देवता निम्नलिखित रूपों में हैं - ७ पुरुषदेवता, ७ स्त्रीदेवता, ७ बालदेवता तथा ७ वाहनदेवता । शेष पांच देवता हैं - वायु, अग्नि, वरुण, इन्द्र तथा अर्यमा । इन पांच देवताओं को आकार नहीं होता, ये अमूर्तरूप में ही पूजे जाते हैं । इन्हें अधिभूत देवताअथवा अधिदेवकहा गया है ।