ʹदीक्षाʹयानी सही दिशा जैसा सदगुरु बतायें वैसा व्रत-नियम लेना दीक्षा है और उसके अनुसार जीवन बनाना शिक्षा है। पहले दीक्षा के बाद ही शिक्षा दी जाती थी तो शिक्षा फलीभूत होती थी और यह शिक्षा-दीक्षा मानव में से महामानव का प्राकट्य करने का सामर्थ्य रखती थी। ऐहिक शिक्षा तुम भले पाओ किंतु उस शिक्षा को वैदिक दीक्षा की लगाम लगाना जरूरी है। दीक्षा माने सही दिशा। जिस विद्यार्थी के जीवन में ऐहिक शिक्षा के साथ दीक्षा हो, प्रार्थना, ध्यान एवं उपासना के संस्कार हों, वह सुन्दर सूझबूझवाला, सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करने वाला, तेजस्वी-ओजस्वी, साहसी और यशस्वी बन जाता है। उसका जीवन महानता की सुवास से महक उठता है। दीक्षा से ही जीवन की सही दिशा का पता चलता है और वास्तविक लक्ष्य सिद्ध होता है। सफल उसी का जीवन है जिसने आत्मज्ञान को प्राप्त किया। ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ सारस्वत्य मंत्र महिमा ब्रह्मज्ञानी सदगुरु सेʹसारस्वत्य मंत्र की दीक्षा लेकर जप करने वाले बच्चों के जीवन में एकाग्रता, अनुमान शक्ति, निर्णय-शक्ति एवं स्मरणशक्ति, चमत्कारिक रूप से बढ़ती है और बुद्धि तेजस्वी बनती है। ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ