अफ्रीका में मिला ६०००
साल पुराना शिवलिंग।
अफ्रीका में मिला ६००० साल पुराना
शिवलिंग दुनिया में नास्तिक और आस्तिक दोनों तरह के लोग हैं। आस्तिक अपने भगवान के
रूप हर जगह देखना चाहता है और नास्तिक भगवान की सत्ता को मानने से ही इनकार करता
है। भगवान क्या और किस रूप में हैं इसकी व्याख्या तो आज तक कोई ठीक-ठीक नहीं कर
सका पर अलग-अलग धर्म का नाम लेकर, अलग-अलग रूपों में किसी न किसी रूप में
दुनिया के हर कोने में भगवान पूजे जाते हैं। आज के विश्व मानचित्र पर कुछ खास
हिस्सों में खास प्रकार के धर्म और उसके मान्य देव को मानने वालों की संख्या
ज्यादा है। पश्चिमी देशों में ज्यादातार ईसाई धर्म को मानने वाले हैं, तो
एशियन और अरब कंट्रीज में हिंदू और मुस्लिम धर्म समुदाय ज्यादा हैं। पर ‘कण-कण में
हरि का वास है’ सुना होगा आपने।
भगवान के किसी
भी रूप को मानो लेकिन भगवान को ढूंढ़ने वालों को यही सलाह दी जाती है कि भगवान हर
जगह हैं, उसे देखने की नजर बस ढूंढ़ लो। पर भगवान अगर खुद नजर के सामने आ जाएं
तो क्या बात है। हिंदू धर्म शायद एकमात्र धर्म है जिसमें इतने अधिक देवी-देवता
हैं। फिर भी त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) की जो
महिमा है वह किसी और देवता की नहीं हो सकती। खासकर हिंदुओं में भगवान शिव की बहुत
मान्यता है। शिव की जो महिमा है वह किसी और देव की नहीं। पर क्योंकि यह हिदुओं के
भगवान माने जाते हैं और इतिहास में हिंदू हिंदुस्तान की उपज माने गए हैं, इसलिए
हिंदुस्तान से बाहर हिंदुओं के कम ही देवस्थल हैं। अभी हाल में दक्षिण अफ्रीका में
खुदाई के दौरान भगवान शिव का प्रतीक एक बड़ा शिवलिंग मिला है। दक्षिण अफ्रीका की
किसी गुफा की खुदाई करते हुए पुरातत्त्वविदों को ग्रेनाइट से बना६ हजार वर्ष पुराना
शिवलिंग मिला है।
पुरातत्त्वविद
हैरान हैं कि इतने वर्षों तक शिवलिंग जमीन में सुरक्षित रहा और उसे कोई नुकसान
नहीं पहुंचा। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि ६ हजार साल पहले दक्षिण अफ्रीका
में भी हिंदू धर्म को मानने वाले रहे होंगे या संभव है किसी खास संप्रदाय के लोग
भगवान शिव को मानते होंगे। गौरतलब है कि भगवान शिव की सबसे बड़ी मूर्ति भी दक्षिण
अफ्रीका में ही है। १० मजदूरों द्वारा १० महीनों में बनाई गई इस मूर्ति का अनावरण
बेनोनी शहर के एकटोनविले में किया गया है।
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