जीवन में आने वाले सुख-दुःख के प्रसंगों में क्या करना है? सुख-दुःख का उपयोग। सुख-दुःख का उपयोग करने वाला सुख-दुःख का स्वामी बन जाता है। स्वामी को यदि अपना स्वामीपना याद है तो सेवक उसकी आज्ञा में रहते हैं। चाहो जब सेवक को भीतर बुला लो, चाहो जब ऑफिस से बाहर खड़ा कर दो। मर्जी तुम्हारी। उसका उपयोग करने की कला आ गई तो आप स्वामी हो गये।