आप की उत्पत्ति किस से हुई है?आप रहेते किस में है? और आप लीन किस में होंगे? ब्रम्ह परमात्मा से आप की उत्पत्ति हुई है..जो सत रूप है..जो चेतन रूप है, आनंद रूप है..प्राणी मात्र का सुहुर्द है..उस परबरम्ह परमात्मा से सारे जगत की और सारे वस्तु व्यक्तियों की उत्पत्ति हुई है… वस्तुएँ उस को कहा जाता है जिस में अंतकरण अवछिन्न चैत्यन्य नही हो..और व्यक्ति , जीव उन्हे कहा जाता है की जिन में अंतकरण अवछिन्न चैत्यन्य हो… इस विशेष सृष्टि व्यवस्था में जैसे आप एक हो और स्वप्ने में अनेक गाड़ी, मोटर, वस्तु , व्यक्ति बन जाते है..तो वस्तुएँ जड़ दिखती है, व्यक्ति चेतन दिखाते है …लेकिन है तो आप की अपनी अभिव्यक्ति…ऐसे ही परबरम्ह परमात्मा से जड़ और चेतन जगत की अभिव्यक्ति हुई है…तो सभी जड़ चेतन में परमात्मा की सत्ता मौजूद है..लेकिन हमारी नज़रिया जड़ पर जाती है और चैत्यन्य – जो सब जड़ चेतन का आधार है उस पर नही जाती इसलिए हम दुखी है…दुखी आदमी तब तक दुखी रहेता है जब तक अपनी भूल संभाले हुए रखता है..पूनम व्रत और साधन सत्संग भूल निकालने का काम करते और भूल मिटी तो ब्राम्ही स्थिति प्राप्त कर कार्य रहे ना शेष… उस शहेंशहा का ज्ञान , शहेंशहा की स्मृति , शहेंशहा की समझ आई तो शरीर संबंधी जो भी चिंतन अथवा भय होता है वो सब हट जाता है.. भगवान श्रीकृष्ण जिस की घोड़ागाड़ी चलाते ऐसा अर्जुन…उस के कहे नुसार भगवान घोड़ा गाड़ी चलाते फिर भी अर्जुन का दुख नही मिटता . . . . भगवान ने अर्जुन को तत्वज्ञान की भूख जगाने की कृपा की, कि अर्जुन तू क्या जानता है? …अधी दैविक किस को कहेते है? अधी भौतिक किस को कहेते है? ..अध्यात्म क्या है? ये सारी सृष्टि जो दिखती वो 3 गुणों के अंतर्गत है…अपने आत्म स्वभाव को जानो..वैदिक ज्ञान में और लौकिक ज्ञान में 3 गुण ही बरतते है..ये 3 गुण बदलते फिर भी जो नही बदलता तू उस अबदल सत-चित -आनंद स्वभाव में जाग…. एक ही परमात्मा देव है , उस के संकल्प से आधी देव उत्पन्न हुए..वरुण देव,अग्नि देव, वायु देव..आदि इन ५ आधीदेवों का आधा आधा हिसा स्थूल मिश्रण कर के भौतिक सृष्टि बनी…और बाकी का शुध्द हिस्सा में सूक्ष्म सृष्टि बनी… सूक्ष्म अंतकरण बना…तो सूक्ष्म अंतकरण में चैत्यन्य का प्रतिबिंब दिखता है…जैसे आईने में सूर्य का प्रतिबिंब आता है, लेकिन शीला में प्रतिबिंब नही होता है…ऐसे ही जो 5 भूतों का मिश्रण है उस में तो सृष्टि बनी है…लेकिन बाकी का जो मिश्रण रहीत अंश है उन में से अंतकरण बना है..तो अंतकरण सात्विक अंश रहा , बाकी राजस, तमस और सत्व रहा…बड़ी उँची बात है..लेकिन मथुरा में नही मथोगे तो कब नवनीत आएगा?… भावना से भक्ति पैदा होती है..लेकिन भावना सदा नही टिकती…भावना जहा से उत्पन्न हो हो के विलय हो जाती उस परमेश्वर का चिंतन भी चाहिए।