भोजन (खाद्य पदार्थ) से तामसिक, राजसिक प्रभाव और अनिष्ट शक्तियाँ कैसे दूर करेँ ?

            भोजन करने मेँ किन बातोँ का ध्यान रखना चाहिए? भोजन का तामसिक और राजसिक प्रभाव कैसे नष्ट करेँ? भोजन बनाते समय भोजन बनाने वाले के मन मेँ जैसा चलता रहता है उसी स्वभाव का खाना भी बनता है। अगर मन मेँ लडाई झगडे की बात चल रही है तो उस खाने को खाने बाले का स्वभाव चिङचिङा रहता है। रजस्वला स्त्री द्वारा स्पर्श किया या बनाया हुआ भोजन अपवित्र हो जाता है (शास्त्रोँ मेँ और घर के समझदार एवं जानकार बुजुर्ग लोग ऐसा बताते हैँ) और अगर रजस्वला स्त्री का बनाया हुआ भोजन खाना पडे तो बर्बादी हो कर रहती है। गलत तरीके से पैसा कमाने वाले के धन से बना भोजन पाप का भागी बनाता है और बहुत नुकसान करने बाला होता है।

              ऐसे मेँ भोजन न करेँ यदि करना ही पडे तो भोजन (खाद्य पदार्थ) से तामसिक, राजसिक प्रभाव और अनिष्ट शक्तियाँ जरूर नष्ट कर देँ फिर खाएँ।
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            अनिष्ट शक्तियोंके प्रभाव को नष्ट करने का उपाय। ==> पीने के लिए जो शुद्ध पानी आप लेते हैँ उसमे मेँ थोडा सा दाँए हाथ मेँ ले के उस पानी मेँ देखते हुए २१ बार अपने गुरु जी द्वारा दिए हुए इष्ट मंत्र का जप करेँ फिर उस हाथ मेँ लिए हुए पानी को घङी की दिशा मेँ थाली (थाली > स्टील या किसी योग्य धातु का बर्तन जिसमेँ भोजन परोस कर खाया जाता है) के गोलाई मेँ गोला बनाएँ। उसके बाद भोजन मेँ देखकर २१ बार फिर गुरुमंत्र या इष्टमंत्र जपेँ फिर भगवान को भोजन अर्पणकर प्रसाद समझकर ग्रहण करेँ। ऐसा करने से भोजन शुद्ध हो जाएगा और आप पर अनिष्ट शक्तियोँ का प्रभाव नहीँ होगा।
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             इसमेँ शर्त ये है कि आपके गुरु और आपके भगवान मेँ कितना सामर्थ्य है। कुछ लोग छोटे मोटे पंडित और मुसलमान फकीरोँ (शिर्डी जिहादी साँई) जैसोँ को गुरु मानते हैँ तो उन पर ये उपाय बिल्कुल नहीँ असर करेगा। समर्थ गुरु इस समय संतश्री आशारामजी बापू हैँ।
सच्चे गुरु न मिलेँ तो गुरु किन्हेँ मानेँ? =>

              ये सबसे बडे समर्थ गरु हैँ => भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान सूर्य, जगत्जननी माँ दुर्गा (नवोँ माँ), भगवान शिव(गुरुओँ के गुरु), भगवान हनुमान जी, वेदव्यास, भगवान परशुराम, भगवान गणेश जी, भगवान ब्रह्मा जी, माँ सरस्वती जी, इत्यादि। इनको जो गुरु बनाता है वो हमेशा सुखी रहता है। और सात्विक ज्ञान प्राप्त करता है।