रामपाल बाबा की खबरों को तोड मरोड कर मीडिया सभी हिन्दू संतों को बना रही है टारगेट हिन्दू आस्था पर अभी तक का सबसे बडा प्रहार रामपाल बाबा की खबरों को तोड-मरोडकर मीडिया सभी हिन्दू संतों को बना रही है टारगेट आज बहुत से लोग जो "सतलोक आश्रम और उसके स्वयंभू तथाकथित रामपाल बाबा" को लेकर धोखा खा रहे हैं और ये धोखा नाम के कारण खा रहे हैं क्योंकि बाबा आश्रम और संत ये शब्द हिन्दू धर्म की आस्था का केन्द्र हैं लेकिन इन शब्दों का राम पाल से कोई संबंध नहीं है क्योंकि उसकी सारी कार्यप्रणाली और गतिविधियाँ शुरु से ही हिन्दू विरोधी रही है ।
1) छ घंटों तक बंधक बनाकर रखा महिलाओं बच्चों और लोगों को ।
2) सैंकडों बंदूकधारी कमांडो तैयार कर सरकार विरोधी गतिविधियाँ ।
3) आपनें चेनलिंक प्रणाली का नाम तो आपनें सुना होगा जिसमें एक के द्वारा दुसरे को सदस्य बनाया जाता है और कम्पनी के सदस्य बढ़ते जाते हैं ! यह आश्रम भी उसी प्रणाली के तहत अपनें समर्थकों की संख्या बढाता है ! अपनें समर्थकों को यह समझाया जाता है कि जितने नए लोगों को लाओगे उतना ही आप अच्छा कार्य करेंगे और लोगों को अंधविश्वास से निकालनें के कारण आप पर सतगुरु साहेब की कृपा बनी रहेगी ! लोगों को लाने ले जाने और रहने खाने का खर्चा सतलोक आश्रम ही उठाता है !
                इस तरह से भोले भाले लोग बहकावे में आ जाते हैं और इसके समर्थकों की संख्या बढती जाती है ! इसके समर्थकों की संख्या कैसे बढ़ रही है इसका अंदाजा आप इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस तथाकथित संत रामपाल को २००६ में आसानी से पुलिस नें गिरप्तार कर लिया था उसको आज २०१४ में गिरप्तार करनें में पुलिस के पसीनें छूठ रहें हैं !
4) इसके आश्रम में जो जाता है उसको वहां तभी ही घुसने दिया जाता है जब वो अपनें सनातन प्रतिक चिन्हों को त्याग कर अग्नि में डाल देता है और इसकी पूरी व्यवस्था गेट पर ही रहती है ! मसलन हाथ का कलावा,मंगलसूत्र,ताबीज,मांग का सिंदूर,तिलक वगैरह सब कुछ त्यागना होता है ! किसी भी प्रतिक चिन्ह रखने की मनाही होती है लेकिन फिर उन्ही को गले में संत रामपाल वाला लोकेट पहनने को कहा जाता है !
5) फिर उन लोगों को वेद ,गीता और पुराणों के श्लोकों के मनमाफिक अर्थ निकालकर सुनाकर यह समझाया जाता है कि सनातन धर्म तो कुछ है ही नहीं और इसके भगवान् तो बनावटी है असल भगवान् तो कबीर ही है ! मतलब इन लोगों का ब्रेनवाश किया जाता है ताकि सनातन धर्म के प्रति इनके मन में यह भाव पैदा हो जाए कि हम तो इतनें दिन मुर्ख बने हुए थे !
6) इसके समर्थक बनने के बाद आप किसी हिन्दू भगवान् को नहीं मान सकते ,कोई हिन्दू त्यौहार मनाना इनके लिए स्वीकार्य नहीं होता है ! आप किसी से ना तो अपनें चरण छुवा सकते हैं और ना ही किसी के चरण छु सकते हो ! ना तो किसी से कोई उपहार ले सकते हो और ना ही दे सकते हो चाहे वो आपका पारिवारिक सदस्य ही क्यों ना हो ! यहाँ तक कि आप अपनी बेटी को भी कुछ नहीं दे सकते हो !
7) अपनें समर्थकों को नाममन्त्र के नाम पर कुछ मन्त्र दिए जाते हैं जिनका ही जाप करना इनके समर्थकों के लिए जरुरी होता है ! अब आप ही खुद सोचें ऐसे आदमी को हिन्दू संतों के नाम के साथ जोडकर सभी हिन्दू संतों और हिन्दू धार्मिक संस्थानों को बदनाम करना कहाँ तक उचित है ।

                      इस खबर को तोड मरोडकर हिन्दू संतों को टारगेट बना रही है मीडिया।  ये रामपाल तो महानीच और हिँदू विरोधी निकला.. रामपाल हिँदू धार्मिक परंपराओँ के खिलाफ था..., गुरू दीक्षा देने से पहले उसने अपने 11 नियम बना रखे थे। इसमेँ व्रत रखने से मना करने के साथ किसी की मौत होने पर पिण्ड करवाने तक पर रोक लगा रखी थी। यहाँ तक कि घर मेँ किसी भी प्रकार हवन यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठान पर भी मनाही थी।। मुझे ये समझ नही आ रहा रामपाल जब हिँदू धर्म की किसी भी चीज पर विश्वास नही करता तो नाम मेँ 'राम' क्योँ लगा रखा है।। साला अब समझ आया ये कांग्रेस के शासन मेँ इतना फल फूल कैसे गया... हिँदू विरोधी जो था।।