क्या महाभारत या रामायण घर में रखने से लडाई झगडा या पढ़ने से अधर्म होगा?
                           एक भ्रांति बचपन से सुनता आया हूँ कि घर में महाभारत नहीं रखनी चाहिए लड़ाई होती है। मैं भी अनजान था लेकिन अब समझ में आता है कि महाभारत पढ़ने से धर्म का सही ज्ञान होता है और भाई भी यदि गलत हो तो उसको गलत ही कहा जाता है एवं भाई-भाई में झगड़ा हो जाता है क्योंकि गलत को सहन करना भी स्वयं गलत होने के बराबर है। अर्थात अधर्म का साथ देने वाला भी अधार्मिक ही है। ये शिक्षा बहुत आवश्यक है। एक नहीं बल्कि दोनों भाइयों को महाभारत का ज्ञान होना चाहिए ताकि कोई एक भी गलत करने से पहले यह जान ले कि यदि वह गलत हुआ तो उसका साथ कोई भी सही भाई नहीं देगा बल्कि उसको रोकने का ही प्रयास ही किया जायेगा। चाहे वह गृह युद्ध ही क्यों न हो।
                         वेदों का ज्ञान होने से धार्मिक ज्ञान बढ़ेगा और अधर्म की ओर जाने वाले रुकेंगे ताकि वे सभी अंधकार से बच सकें। रामायण का ज्ञान होने से सभी में मर्यादा होगी एवं भाई भाई का प्रेम इतना बढ़ेगा कि वे एक दूसरे के साथ प्रेम व्यवहार करेंगे और गलत कर्मों से दूर रहेंगे। रामायण के ज्ञान से हर गलत कार्य से पहले गलत कार्य करने वाले को यह ज्ञात होगा कि उस कार्य में उसका सगा सही धार्मिक भाई भी उसके साथ खड़ा नहीं होगा जैसे रावण का साथ विभीषण ने नहीं दिया था। यह सभी आवश्यक हो चुका है।   इसलिए रामायण, महाभारत, श्रीमदभगवदगीता, वेद, पुराण, आदि ग्रंथोँ का सभी के लिए ज्ञान होना अति आवश्यक है।
                        पहले स्वयं सोचिए की जो भारत के महान ऋषि वेद व्यास जिनका पूजन सभी देवता करते हैं और वो महान ऋषि आज भी जीवित हैं अर्थात चिरंजीवी हैं वो भला ऐसा ग्रंथ क्योँ लिखेँगे जिससे समाज का अहित हो। और तो और महाभारत का ग्रंथ स्वयं भगवान शिव के पुत्र भगवान श्री गणेश ने लिखा है, भगवान श्री गणेश जो सभी शुभ कार्योँ को करने से पहले मनुष्य क्या सारे देवता पूजन करते हैं। अब बताईए क्या भगवान गणेश द्वारा लिखा गया ग्रंथ अशुभ हो सकता है क्या??   
                      ये मात्र एक षड्यंत्र है हिंदू समाज को ज्ञान विहिन करने के लिए। अगर हम अपने पूर्वजों, अपने देश के महान ऋषियोँ और धर्म ग्रंथों से दूरी बना लेंगे तो हमारी रक्षा कौन करेगा???  जिस प्रकार षड्यंत्रकारी अंग्रेजों ने मनुस्मृति मेँ छेडछाड किया था। ठीक उसी तरह बहुत सी पुस्तकों के साथ सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति से द्वेश करने वालोँ ने छेडछाड किया साथ साथ भारत के भोले भाले सामाज पर अंधविश्वास भी फैलाए जिससे की भारत के लोगोँ का धार्मिक ज्ञान का श्रोत वेद, पुराण, शास्त्रों को त्याग देँ जिससे की भारतीय संस्कृति को नष्ट किया जा सके।
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