>माता पिता अपने बच्चो की सुन्दरता, पैसा देखकर प्रेम नहीं करते
>ज्यादातर गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड सुन्दरता ,पैसा देखकर प्रेम का नाटक करते है
>जब कोई संकट आये तो माता पिता हमेशा अपने बच्चे के साथ खड़े रहते है
>ज्यादातर गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड जब संकट आये तो अपने गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड को छोड़ भाग जाते है
>वेदों पुरानो ने माता पिता को भगवान से भी बड़ा स्थान दिया है
>गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड जैसा शब्द कोई भी वेदों पुरानो में नहीं है
14 फरवरी को "माता पिता पूजन" दिवस मनाये
Say "NO" To "Valentines Day"
विश्वगुरु कही जाने वाली, सुसंस्कारों से परिपूर्ण यह भारत भूमि प्राचीन
काल से देश की ही नहीं अपितु विदेशों की भी मार्ग दर्शक रही है | अपनी
संस्कृति, सभ्यता और नैतिक मूल्यों जैसी अमूल्य धरोहर के कारण इस देव
भूमि का संसार में एक अनूठा सर्वश्रेठ स्थान रहा है | परन्तु दुर्भाग्यवश
आधुनिक विकास के साथ-साथ जैसे - जैसे इस संस्कृति रूपी सम्पदा का पीढ़ी दर
पीढ़ी हस्तातंरण हो रहा है ; वैसे - वैसे इसकी गौरवपूर्ण गरिमा का लोप हो
रहा है । भारत में वर्तमान के दिल दहला देने वाले गुनाहों के बढ़ते आकड़े
इसका जीवंत उदहारण है | जिनमें बड़ी संख्यां देश के किशोर वर्ग की है |
जिसका एकमात्र कारण है बचपन से ही किशोर- किशोरियों के जीवन में नैतिक और
मानविय मूल्यों तथा उचित मार्ग दर्शन की कमी | और यह कमी तभी पूरी होगी
जब बच्चों कों बचपन से इसके लिए प्रेरित किया जायेगा । सुप्रीमकोर्ट ने
भी इसी तरह की PIL के पक्ष में 3 फरवरी 2015 को अति विशिष्ठ निर्णय में
कहा है, कि स्कूल में नैतिक शिक्षा अनिवार्य की जाय |
ऐसे ही भावों के गुल देश ही नहीँ अपितु सम्पूर्ण विश्व के बच्चों के
ह्रदय में खिले जिससे संसार का प्रत्येक हिस्सा सुवासित हो उठे | इस दृढ़
संकल्प को पूरा करने के लिए; महिला सशक्तिकरण, नारी अधिकार
शिक्षण-संरक्षण तथा विशेषकर बाल्य व युवावर्ग के नैतिक व चारित्रिक विकास
के लिए कार्यरत अखिल भारतीय नारी रक्षा मंच (NGO) गत वर्षों से देश व
संस्कृति की सेवा तथा समाज कल्याण को सिरोधार्य कर इस वर्ष भी 14 फरवरी
को "मातृ - पितृ पूजन दिवस"भव्य रूप से दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में
आयोजित कर रहा है |
इसी तारतम्य में NGO ने आज प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, दिल्ली में एक एक विशेष
संवाददाता सम्मेलन (Press Conference) का आयोजन किया, जिसमे संविधान के
सजाग पहरी प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के अनेकों संवाददाताओं ने भाग
लिया | सम्मेलन की शुरुवात करते हुए NGO की अध्यक्षा श्रीमती रुपाली दुबे
ने जीवन में प्रेम का स्थान और उसके वास्तविक रूप के बारे में बताते हुए
कहा कि सच्चा प्रेम हमे ख़ुशी, और आनंद देता है लेकिन वासनामय प्रेम
स्वछंदता, रोग, तनाव और अपराध का रूप ले लेता है | अतः 14 फरवरी को भले
जो भी हमारे प्लान्स हो लेकिन हमें प्रेम का पहला पाठ सिखानेवाले हमारे
सच्चे हितेषी हमारे माता पिता को न भूलते हुए उनके साथ समय विताएं, उनके
अगिनत अहसानों को याद करते हुए उन्हें आदर दें, उनका पूजन करें मातृ-पितृ
पूजन जरुर मनाएं | सम्मलेन में सहयोगी संगठन सार्थक की अध्यक्षा श्रीमती
वसुंधरा शर्मा ने युवा वर्ग को सीख देते हुए कहा कि वे जीवन ऐसा कुछ न
करें कि जिसके लिए उन्हें या भगवान तुल्य उनके माता-पिता को शर्म से नीचे
देखना पड़े | वे उनसे सभी बातें शेयर करें उन्हें प्यार करते हुए उनका
कहना माने | नारी उत्थान फाउंडेशन की सचिव सरिता गुप्ता ने मातृ-पितृ
पूजन क्या है, इससे समाज में बढती कुप्रवृतियां और अपराध कैसे कम हो सकते
है, इस पर प्रकाश डाला | NGO के अन्य सदस्यों ने इस अति सवेदनशील और
ज्वलंत विषय पर पत्रकारों के प्रश्नों के एकदम सटीक उत्तर इस प्रकार दिया
-
क्या है ये मातृ-पितृ पूजन ? क्या इससे समाज में बढती कुप्रवृतियां या
अपराध कम होंगे ?
कहते है पहला प्यार कभी भुलाया नहीं जाता, फिर पता नही लोग क्यों भूल
जाते है अपने माँ-बाप के प्यार को ? माँ, जिसने पहले तो 9 माह तक न जाने
कितने असहनीय कष्ट सहकर जन्म दिया, जन्म के बाद अपनी नींद और चैन दाँव पर
लगाकर हर पल ममता की छाँव और करुणा के आँचल से न जाने कितने मुसीबतों के
तुफानो से बचाते बड़ा किया | पिता ने ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया, अनुशासन और
दुनिया की रीत सिखायी, वर्षों की मेहनत, इंतजार और अपने खून-पसीने की
कमाई से पढ़ा-लिखाकर इंसान बनाया | आज भी जो हर पल तुम्हारे भले के ही
सपने संजोये हुए है, क्या फिसलाहत भरी किशोर अवस्था की दहलीज पर पहुँचते
ही उनके ऐसे पवित्र प्यार को, उनके सपनों और नसीहतों को भुलाया जाना उचित
है ? माँ तेरे दूध का हक़ मुझसे अदा क्या होगा ? तू है नाराज तो खुश मुझसे
खुदा क्या होगा ? हर पल भला चाहनेवाले ऐसे परम हितेषी माता-पिता के प्यार
और अहसान के कर्ज के बदले एक दिन विशेष रूप से उनके नाम करने का दिवस है
मातृ-पितृ पूजन दिवस, 14 फरवरी | गत कुछ वर्षों से नारी रक्षा मंच के
स्वयंसेवक अलग-अलग स्कूलों में जनवरी माह से ही विधार्थी बच्चों को
माता,पिता एवं शिक्षकों के आदर,सम्मान,आज्ञा-पालन आदि से सम्बंधित नैतिक
और चारित्रिक शिक्षा का पाठ शुरू कर देते है | माता-पिता को स्कूल या
सार्वजनिक स्थानों में बुलाकर बच्चों से अपने-अपने धर्मोंनुसार उनका पूजन
कराते हैं और माता-पिता भी भावपूर्ण उन्हें आशीर्वाद, दुआ या blessings
देते हैं। बच्चों से पूरे वर्ष माता,पिता एवं शिक्षकों का सम्मान और
आज्ञा पालन का संकल्प करातें है। माता-पिता इस धरती पर जीते जागते भगवान
है (Parents are the living god on the earth) के संस्कार दिए जाते हैं।
हाई-स्कूल या कालेज़ के विद्यार्थियों को चारित्रिक निर्माण, देश एवं समाज
की जिम्मेदारियां, किशोर अवस्था में होने वाली गलतियों की जानकारी और
माता-पिता की निगरानी एवं मार्गदर्शन के महत्व बताते हुए उनसे संकल्प
लिया जाता है, कि वे कुछ समय उनके साथ जरुर बिताएं तथा जो भी महत्वपूर्ण
निर्णय लें उसमे उन्हें शामिल अवश्य करें | इन सभी प्रयासों से माता-पिता
और शिक्षकों ने अपनी और अंपने शिक्षण संस्थानों की ओर से नारी रक्षा मंच
को सराहना एवं प्रोत्साहन पत्र भी दिया है, जिनमे से कुछ इस विज्ञप्ति के
साथ दिए गये है। देश और समाज में बढती अश्लीलता,उच्छ्लंखता,अपराधीकरण
रूपी दुष्प्रवृतियों के अंधकारमय भविष्य से चिन्तित प्रबुद्ध वर्ग से
सहमत माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी स्कूलों में नैतिक एवं चारित्रिक
शिक्षा को अनिवार्य करने के आदेश दिए है | जिसकी प्रति भी इस विज्ञप्ति
के साथ दी गयी है |
मातृ-पितृ पूजन वेलेंटाइन डे पर ही क्यों ? क्या ऐसा करना वेलेंटाइन डे
का विरोध नहीं ?
सच्चे प्रेम या प्यार का फल है, ख़ुशी, आनंद और उत्साह | लेकिन जब इस पर
वासना की गन्दी चादर चढ़ जाती है, तो वह स्वछंदता, रोग, तनाव और अपराध का
रूप ले लेती है, जीवन को मुसीबतों के भंवर में बुरी तरह से उलझा देती है
| अपराध विभाग के आकडे बतातें है, कि दिशाहीन, अनियंत्रित स्वच्छंदी युवा
वर्ग वासनामय प्रेम जाल में उलझकर वेलेंटाइन डे के दिनों में ही ज्यादा
व्यसन, अनैतिक यौन सम्बन्ध, गर्भपात, हत्या आदि जैसे भयकर अपराधों में
फंसते है |
युवान वेलेंटाइन डे नही मनायें, नारी रक्षा मंच ऐसा नहीं कहता न ही इसका
विरोधी है, बल्कि नैतिकता की बात सामने रखता है,कि माता-पिता आपके सच्चे
और प्रथम वेलेंटाइन (True & First Valentines) हैं | आप अपने मित्रों या
सहपाठियों के साथ वेलेंटाइन डे मनाएं लेकिन माता-पिता की निगरानी या
जानकारी में लाकर, पहले उनका पूजन और उनके आशीर्वाद लेकर घर से निकलें |
घर में माता-पिता का पूजन करके, उनका आशीर्वाद लेकर जायेगा तो गलत संगत
में नहीं जायेगा, सूझबूझ बनी रहेगी |
अब जब की हमने दिव्य प्रेम के इस दिवस की महिमा को समझ लिया है, तो आप सब
से यह नम्र निवेदन है कि मातृ-पितृ पूजन दिवस के अति पावन सन्देश को आप
जन –जन तक पहुचाए ताकी सरकार, मीडिया, और NGOs मिल कर एक सुदृं समाज का
निमार्ण कर सकें
इससे लाभ क्या ?
वासनामय वेलेंटाइन डे मनाने की ओर से ध्यान हटेगा। समाज में एड्स जैसे
असाध्य यौन रोग, अपराधिकरण की रोकथाम में मददरूप होंगा।
माता-पिता के प्रति आदर-सम्मान के संस्कार सिंचन होंगे। इस दिवस को मनाने
और इसके शुभ-संकल्पों की स्मृति से समाज में वृद्धाश्रमों की संख्या
घटेगी।
धन्यवाद !