धर्म बड़ा या राष्ट्र? राष्ट्र प्रधान है या धर्म?
राष्ट्र
सर्वोपरी नहीं है। लोगों को एकजुट करने का नाम है राष्ट्र। धर्म ही महान है। धर्म
ही सर्वोत्तम है। बिना धर्म के राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती। बिना धर्म के
राष्ट्र का अस्तित्व नहीं। राष्ट्र बिना धर्म के जीवित नहीं रह सकता। राष्ट्र तो
बनते बिगड़ते रहते है पर राष्ट्रों का निर्माण धर्म ही करता है। धर्म राष्ट्र की
केँद्र है। राष्ट्र की आत्मा प्राण है। बिना धर्म के राष्ट्र मृत प्राय है। उदाहरण
- भारत कभी ईरान तक था आर्यावर्त भी कभी विस्तृत भूभाग तक था ईरान से इंडोनेशिया
और मॉरिशस से मास्को तक आर्यावर्त था पर धर्म सिकुड़ता गया राष्ट्र बंटता गया। जहाँ
धर्म रहा वो भाग आज भारत का भाग है। जहाँ धर्म लुप्त जैसे कश्मीर व् पूर्वोत्तर
भारत, उस भाग के भारत से अलग होने के षड्यंत्र चलते रहते है। यानी धर्म व
संस्कृति के कारण भारत का अस्तित्व है। दूसरा उदाहरण - यहूदियो का राज्य था इजराइल
जहाँ से उन्हें ईसाइयो ने मार कर भगा दिया। रोमनों ने भी उन पर अत्याचार किये। फिर
इस्लाम आया और उसने भी यहूदियो पर अत्याचार किये पर उन्होंने सब कुछ खोकर केवल
धर्म बचाये रखा। यहूडियो ने धर्म की रक्षा करके स्वयं को बचाये रखा और इजराइल की
स्थापन की। उनका धर्म न बचता तो राष्ट्र भी न बचता। इसलिए धर्म सर्वोपरी है। धर्म
ही राष्ट्र का निर्माण करता है न की राष्ट्र धर्म का। सनातन धर्म जब तक है ये भारत
यानी भ रत प्रकाश में लीन रहने वाला राष्ट्र रहेगा। ये राष्ट्र किसी राजा सम्राट
के नाम से नहीं बल्कि ऋषियो मुनियो द्वारा ज्ञान में लीन रहने वाले देश के नाम पर
रखा गया है। इसलिए धर्म सर्वोपरि है न की राष्ट्र। (राष्ट्रभक्त नहीं धर्मपरायण
बनेँ।)
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