भारत के साधू संतोँ पर क्योँ आरोप लगाए जाते हैँ?


                                 क्योंकि संतगण समाज को स्वाबिलंबी, आत्मसम्मानित, सत्यनिष्ठ, निडर, देशभक्त बना देँगे। इनके सत्संग से भगवान के भक्त और राष्ट्रभक्त अधिक होँगे। जिससे SECULAR, COMMUNIST, बामपंथियोँ और बोलीबुड के भाँडों और अश्लील साहित्योँ का प्रभाव खत्म हो जाएगा। संतगण (अच्छे व्यक्ति) भारत मेँ गृह उद्योग आरंभ करा देँगे सस्ती वस्तुऐँ मिलने लगेँगी। विदेशियोँ का प्रभाव खत्म होने लगेगा। कुल मिलाकर भारत महाशक्ति बन जाएगा। यही ईनकी जलन है, इसी कारण ये दुष्ट लोग नित्य नए नए षड्यंत्र करते रहते हैं।



भारत के साधू संतोँ पर क्योँ आरोप लगाए जाते हैँ?

                                        धर्मद्रोहियोँ का, इसाई मिश्नरियोँ का उद्देश्य सनातन धर्म और संस्कृति को नष्ट करना है। भारत के साधू संत सनातन धर्म के केन्द्र हैं। इनका मानना है की उन पर प्रहार करो तो १ करोड़ लोगों में से १ लाख भ्रमित हो कर दिशाहीन हो जाऐँगे, १० हजार की आस्था कम होगी, १००० धर्म-परिवर्तित हो जायेंगे। वो १००० हिन्दुओं के दुश्मन बन जायेंगे। जो सनातन हिँदू धर्म को छोड़ के दूसरे धर्म में परिवर्तित होता है तो उसका मतलब यह है कि हिन्दू धर्म का एक और दुश्मन पैदा हो गया और आज ये हिन्दू धर्म के हजारों दुश्मन पैदा करना चाहते हैं। जिसमें ये कभी सफल नहीं होंगे।" आशारामजी बापू जैसे महान संत हैं जो जनता को शांति व सत्य का मार्गदर्शन दे रहे हैं। हिँदुओँ को बापूजी पर हो रहे अत्याचारों का विरोध करना चाहिए और संस्कृति-रक्षा हेतु बापूजी को सहयोग देना चाहिए।
-ज्योतिष विशेषज्ञ पंडित श्री सोमदत्त कौशिक