शक्ति का भंडार – गाजर। गाजर के गुणों पर दृष्टी डालें तो पता चलता है कि यह प्रकृतिप्रदत्त एक अनमोल उपहार हैं। गाजर मे शरीर को स्वस्थ रखनेवाले तत्त्व पाये जाते हैं। यह शारीरिक एवं बौद्धिक विकास में लाभकारी हैं। इससे नेत्रज्योति व स्मरणशक्ति में भी वृद्धि होती है। इसमें लौह व गंधक (सल्फर) होने से रक्त की वृद्धि व शुद्धि में मदद मिलती है। प्राकृतिक चिकित्साचार्योंने इसे ‘गरीबों का सेब’ कहा है। गाजर - रस के लाभकारी प्रयोग आरोग्यशक्तिवर्धक : गाजर में ;विटामिन बी काम्प्लेक्स’ होता है जो पाचन-संस्थान को शक्तिशाली बनाता है व पेट के अनेक रोगों में लाभकारी हैं। यह भोजन पचाने में मदद करता है तथा मल साफ़ लाता है। लम्बी बीमारी के बाद उसकी क्षतिपूर्ति करने में गाजर का रस बहुत ही प्रभावकारी है। यह रोगी को चुस्त, तरोताजा और शक्तिशाली बनाता हैं। मस्तिष्क – शक्तिवर्धक : इससे मस्तिष्क को शक्ति मिलती है व थकान दूर होती है। यह अनिद्रा रोग में लाभकारी है। माताओं के लिए : माताओं को सगर्भावस्था में गाजर का रस पीते रहने से शरीर में लौह तथा कैल्सियम की कमी नहीं रहती। दुग्धपान करानेवाली माताओं को भी रोज सुबह गाजर का रस पीना चाहिए। इससे उनके दूध की गुणवत्ता बढती है। दाँतो की मजबूती : ७० मि.ली. गाजर का रस प्रतिदिन पीने से मसूड़ों व दाँतो की जड़ मजबूत बनती है और दाँतो के रोग पैदा नहीं होते। नेत्रज्योति की वृद्धि : १२५-१२५ मि.ली. पालक और गाजर का रस मिलाकर सेवन करते रहने से दृष्टि की कमजोरी दूर हो जाती है। लाल रक्तकण बढाने हेतु : २५० मि .ली. गाजर के रस में पालक का रस मिलाकर पिये। बच्चों की दुर्बलता दूर करने हेतु : २ - ३ चम्मच गाजर-रस दुर्बल बच्चों को प्रतिदिन ३ बार पिलाने से बच्चे ह्रष्ट-पुष्ट हो जाते हैं। दुग्धपान करते बच्चों के लिए : बच्चों को गाजर का रस पिलाने से उनके दाँत सरलता से निकलते है और दूध भी ठीक से पचता है। गाजर - रस के औषधीय प्रयोग कैंसर : गाजर में पाया जानेवाला केरोटिन नामक औषधीय तत्त्व कैंसर-नियन्त्रणमें उपयोगी है। ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) और पेट के कैंसर में यह अधिक लाभप्रद है। चर्मरोग : गाजर का रस कीटाणुनाशक है और संक्रमण को दूर करता है। इससे रक्त शुद्ध होकर खुजली, फोड़े-फुंसियों व कील-मुँहासो में लाभ होता है। रोगी के पीले चेहरे का रंग गुलाबी हो जाता है। कब्ज : २५० मि.ली. गाजर के रस में ५० मि.ली. पालक का रस और थोडा-सा नींबू का रस मिलाकर पियें। नमक न मिलायें। मात्रा : एक बार में एक गिलास (२५० मि.ली. ) से अधिक रस न पिये। सावधानी – १] गाजर खाने के बाद तुरंत पानी न पिये। २) गाजर के बीच का पीला भाग निकालकर ही गाजर का उपयोग करना चाहिए।