तिलक की क्या महिमा है? शास्त्रवचनः स्नानं दानं तपो होमो देवतापितृकर्म च। तत्सर्वं निष्फलं याति ललाटे तिलकं विना।। 'ललाट पर तिलक किये बिना स्नान, दान, तपस्या, होम, देव-पूजन, पितृकर्म – सब निष्फल हो जाते हैं।' ब्रह्मवैवर्त पुराण वैज्ञानिक तथ्यः ललाट पर दोनों भौहों के बीच आज्ञाचक्र (शिवनेत्र) है और उसके पीछे के भाग में दो महत्त्वपूर्ण अंतः स्रावी ग्रंथियाँ स्थित हैं- पीनियल ग्रंथी, पीयूष ग्रन्थी। तिलक लगाने से इन दोनों ग्रंथियों का पोषण होता है। फलतः विचारशक्ति का विकास होता है। इससे नाड़ियों का शोधन भी होता है। बुद्धिवर्धक प्रयोगः विधिःसीधे खड़े होकर दोनों हाथों की मुट्ठियाँ बंद करके हाथों को शरीर से सटाकर अपना सिर पीछे की तरफ ले जायें और दृष्टि आसमान की ओर रखें। इस स्थिति में तेजी से 25 बार श्वास लें और छोड़ें। फिर मूल स्थिति में आ जायें। इस प्रयोग के नियमित अभ्यास से ज्ञानतंतु पुष्ट होते हैं। चोटी के स्थान के नीचे गाय के खुर के आकारवाला बुद्धिमंडल होता है, जिस पर इस प्रयोग का विशेष प्रभाव पड़ता है और बुद्धिशक्ति का विकास होता है। ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ