वायु तत्त्व – आसन पर बैठकर यं बीजमंत्र का उच्चारण करते हुए हरे रंग की गोलाकार वस्तु (गेंद जैसी वस्तु) का ध्यान करें । इससे वात, दमा आदि रोगों का शमन होता है । (ऋ.प्र. फरवरी 2012, अंक 230, पृ. - 24) अग्नि तत्त्व – आसन पर बैठकर रं बीजमंत्र का उच्चारण करते हुए अग्नि के समान लाल प्रभावशाली त्रिकोणाकार वस्तु का ध्यान करें । इससे मंदाग्नि, अजीर्ण आदि विकार दूर होकर खुलकर भूख लगती है । इससे कुंडलिनी शक्ति के जागृत होने में सहायता मिलती है । (ऋ.प्र. फरवरी 2012, अंक 230, पृ. - 24) आकाश तत्त्व – आसन पर बैठकर हं बीजमंत्र का उच्चारण करते हुए नीले रंग के आकाश का ध्यान करें । इससे बहरापन व कान के रोगों में लाभ होता है । (ऋ.प्र. फरवरी 2012, अंक 230, पृ. - 24)