संस्कृत भाषा की उपयोगिता।

             संस्कृत का अध्ययन मनुष्य को सूक्ष्म विचारशक्ति प्रदान करता है । मन स्वाभाविक ही अंतर्मुख होने लगता है । इसका अध्ययन मौलिक चिंतन को जन्म देता है । संस्कृत भाषा के पहले की कोई अन्य भाषा, संस्कृत वर्णमाला के पहले की कोई अन्य वर्णमाला देखने-सुनने में नहीं आती । इसका व्याकरण भी अद्भुत है । ऐसा सर्वांगपूर्ण व्याकरण जगत की किसी भी अन्य भाषा में देखने में नहीं आता । यह संसार भर की भाषाओं में प्राचीनतम और समृद्धतम है। संस्कृत-ज्ञान के बिना हिन्दू तो असंस्कृत ही हैं । स्वामी विवेकानंदजी के शब्द हैं : संस्कृत शब्दों की ध्वनिमात्र से इस जाति को शक्ति, बल और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है । संस्कृत-ज्ञान से प्रभावित विलियम थियॉडोर का कहना है कि भारत तथा संसार का उद्धार और सुरक्षा संस्कृत-ज्ञान के द्वारा ही संभव है । संस्कृत का अखंड प्रवाह पाली, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं से होता हुआ आज तक समस्त भारतीय भाषाओं में बह रहा है । चाहे तमिल, कन्नड या बँगला हो, मलयालम, उडिया, तेलगू, मराठी या पंजाबी हो - सभी भारतीय भाषाओं के लिए संस्कृत ही अन्तःप्रेरणा-स्रोत है । आज भी इन भाषाओं का पोषण और संवर्धन संस्कृत द्वारा ही होता है । संस्कृत की सहायता से कोई भी उत्तर भारतीय व्यक्ति तेलगू, कन्नड, उडिया, मलयालम आदि दक्षिण एवं पूर्व भारतीय भाषाओं को सरलतापूर्वक सीख सकता है । भारतीय संस्कृति की सुरक्षा, चरित्रवान नागरिकों के निर्माण, सद्भावनाओं के प्रसार, प्राचीन ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति, मौलिक चिंतन की प्रेरणा एवं विश्वशांति हेतु संस्कृत का अध्ययन-अध्यापन अवश्य होना चाहिए । ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ