ग्रीष्मकालीन
गुणकारी फल –
बेल।
बेल
शरीर को शीतलता,दिमाग को ताजगी व ह्रदय को बल प्रदान
करता है। इसके विधिवत सेवन से शरीर स्वस्थ और
सुडौल बनता है। बेल के सभी अंग – जड, शाखाएँ, पत्ते, छाल
और फल औषधि गुणों से भरपूर हैं। पका
हुआ बेलफल मधुर, कसैला, पचने
में भारी तथा मृदु विरेचक है। इससे
पेट साफ़ होता है। अधपका बेलफल भूख व पाचनशक्ति बढ़ानेवाला
तथा कृमियों का नाश करनेवाला है। यह
मल के साथ बहनेवाले जलयुक्त भाग का शोषण करता है जिससे अतिसार (दस्त ) रोग में अत्यंत हितकर है। बेल
व उसके शरबत के सेवन से ग्रीष्म ऋतू में गर्मी का भीषण प्रकोप सहने की शक्ति आती
है।
गर्मी
में लाभकारी बेल शरबत
यह
रस – रक्तादि धातुओं को बढ़ाता है, ह्रदय
को उत्तम बल प्रदान करता है। प्रवाहिका, अतिसार, विशेषत:
रक्तातिसार, संग्रहणी, खूनी
बवासीर, रक्तप्रदर, पुराना
कब्ज, मानसिक संताप, अवसाद
( डिप्रेशन ), चक्कर आना, मूर्च्छा
आदि रोगों में लाभदायी हैं।
लू
लगने पर बेल के शरबत में नींबू - रस
और हलका – सा नमक मिला के पिलायें। लू
के प्रकोप से बचने के लिए भी यह उपयुक्त है।
विधि
: बेल के ताजे, पके हुए फलों के आधा किलो गूदे को दो
लीटर पानी में धीमी आँच पर पकायें। एक
लीटर पानी शेष रहने पर छान लें। उसमें
एक किलो शक्कर या मिश्री मिला के गाढ़ी चाशनी बनाकर छान के काँच की शीशी में रख
लें। ४ से ८ चम्मच ( २० से ४० मि.ली. ) शरबत
शीतल पानी में मिलाकर दिन में एक – दो
बार पियें।
औषधीय
प्रयोग
अरुचि, मंदाग्नि
: रात को १० – २० ग्राम बेल के गूदे को जल में भिगो
दें। प्रात: मसल – छान
के आवश्यकतानुसार मिश्री मिलाकर सेवन करें। इसमें
नींबू – रस भी मिला सकते हैं। इससे
भूख खुलकर लगती है।
स्वप्नदोष
: १० – १० ग्राम बेल का गूदा व धनिया तथा ५
ग्राम सौंफ मिलाकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह
मसल – छान के सेवन करने से कुछ सप्ताहों में
स्वप्नदोष में लाभ होता है।
धातुक्षीणता
: बेल का गूदा, मक्खन व शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह – शाम
खाने से शारीरिक शक्ति विकसित होती है, धातु
पुष्ट होती है।
निम्न
रक्तचाप : ग्रीष्म ऋतू में निम्न रक्तचाप के रोगी को
घबराहट होने पर हलका – सा सेंधा नमक व अदरक का रस मिलाकर बेल
शरबत पीने से बहुत लाभ होता है।
अधिक
मासिक स्त्राव : १० – २०
ग्राम बेल का गूदा सेवन करने से मासिक स्राव में आनेवाले रक्त की अधिक मात्रा रुक
जाती है।
सावधानी
: पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।
बेल
के पत्तों से स्वास्थ्य लाभ।
“तीन
बेल के पत्तों को रगड़कर शरीर पर लगाना पुण्यदाई है और रात को बेल के पत्तों का
चुरन ,सौंफ और धनिया का मिश्रण 10 ग्राम भिगा देवे
तथा सुबह पिएं वायु और गरमी चली जावे तबीयत अच्छी हो जायेगी \ बच्चों
का कद बडाने के लिये 3 बेल के पत्तों ,1काली
मिर्च रगड़कर पानी के साथ खाले । नींद न आती हो तो सोंफ़ ,मिश्री,धनिया
50 ग्राम रख दें और गोल बना के 10 ग्राम सुबह का
रखा रात को लें और रात का रखा सुबह लें नींद अच्छी आँएंगी ।” बेल
के पत्तों से स्वास्थ्य लाभ:- आयुर्वेद में बेल को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद
फल माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार पका हुआ बेल मधुर, रुचिकर, पाचक
तथा शीतल फल है। कच्चा बेलफल रुखा, पाचक, गर्म, वात-कफ, शूलनाशक
व आंतों के रोगों में उपयोगी होता है। उदर विकारों में बेल का फल रामबाण दवा है।
वैसे भी अधिकांश रोगों की जड़ उदर विकार ही है। बेल के फल के नियमित सेवन से कब्ज
जड़ से समाप्त हो जाती है। कब्ज के रोगियों को इसके शर्बत का नियमित सेवन करना
चाहिए। बेल का पका हुआ फल उदर की स्वच्छता के अलावा आँतों को साफ कर उन्हें ताकत
देता है। मधुमेह रोगियों के लिए बेलफल बहुत लाभदायक है। बेल की पत्तियों को पीसकर
उसके रस का दिन में दो बार सेवन करने से डायबिटीज की बीमारी में काफी राहत मिलती
है। रक्त अल्पता में पके हुए सूखे बेल की गिरी का चूर्ण बनाकर गर्म दूध में मिश्री
के साथ एक चम्मच पावडर प्रतिदिन देने से शरीर में नए रक्त का निर्माण होकर
स्वास्थ्य लाभ होता है। गर्मियों में प्रायः अतिसार की वजह से पतले दस्त होने लगते
हैं, ऐसी स्थिति में कच्चे बेल को आग में भून कर उसका गूदा, रोगी
को खिलाने से फौरन लाभ मिलता है। गर्मियों में लू लगने पर बेल के ताजे पत्तों को
पीसकर मेहंदी की तरह पैर के तलुओं में भली प्रकार मलें। इसके अलावा सिर, हाथ, छाती
पर भी इसकी मालिश करें। मिश्री डालकर बेल का शर्बत भी पिलाएं तुरंत राहत मिलती है।
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