भारतवर्ष में मंदिर का अंग बनें गोशालाएं
                            प्रदेश सरकार को प्रदेश में गोमूत्र आधारित कोई बड़ी आयुर्वेदिक फार्मेसी स्थापित करनी चाहिए। वहीं प्रदेश सरकार अगर मंत्रियों-विधायकों की तनख्वाह न बढ़ातीतो उस धन से कम से कम दस हजार बेसहारा गउओं और बैलों के लिए गोशालाएं बनाई जा सकती थीं।
                           हार्दिक वेदना हुई यह समाचार पढक़र कि विश्व में भारत अग्रणी गोमांस निर्यातक देश है। भारत श्रीरामश्रीकृष्ण भगवान का देश है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं नंगे पैरों से चलकर गोचारण लीला की। उन्होंने अपने दिव्य जन्म के उद्देश्यों में से एक गाय की रक्षासेवा को बतलाया है। ऐसे श्रीरामश्रीकृष्ण का देश भारत गोमांस की विश्वविख्यात मंडी कैसे हो सकता हैभारत की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था होने का श्रेय काफी हद तक गोवंश को दिया जा सकता है। आज भयंकर रूप से प्रदूषित होते वातावरण में गाय ही हमारी रक्षा कर सकती है। दिनोंदिन पनप रहे भयंकर रोगाणुबैक्टीरियाजिनको अभी तक जाना ही नहीं गयाइनका समाधान आधुनिक चिकित्सा में भी नहीं है। अत: आगे आने वाले भयंकर प्रदूषित वातावरण से अपनी रक्षा के लिए भी हमें गाय के साथ जीना सीखना होगावरना आने वाली महामारी से हम नहीं बच सकेंगे। गाय की शताधिक श्रेणियां भारत में पाई जाती हैं। शासन को गाय की विभिन्न देशी श्रेणियों को चिन्हित कर उनका मूल रूप में ही संरक्षण करना चाहिए।
                             श्रेणी सुधार के नाम पर गाय की नस्ल को बदलना गाय को मारने जैसा ही है। यह भी अपराध की श्रेणी में ही आता है। गाय चेतन प्राणी है और वह एक प्रकृति प्रदत्त उद्देश्य से प्रकट हुई है। उसकी रक्षा उसके मूल रूप में होना आवश्यक है।  इसके अस्तित्व से छेड़छाड़ करना भयावह ही होगा। समस्त शुभ कार्यों में भूमि को प्रथम गाय के गोबर से लीपा जाता है। गोमूत्र मनुष्य के पापों का नाश करता है। आयुर्वेद के अनुसार पेट के रोगलीवर की खराबीकैंसर में गोमूत्र उपयोगी है। यह वेद वचन है कि गाय निरपराध अदिति हैउसको मत मारो। यही बात बछड़े और बैल के लिए भी कही गई है। हम चाहते हैं कि कुछ प्रदेशों में ही नहींसमस्त भारत में गोहत्या बंद होनी चाहिए। कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश के किसी मंत्री ने कहा था कि सरकार गोहत्या बंद करके हिंदू राज्य लाना चाहती हैजो मुसलमानों के विरुद्ध है। इस पर संतों ने कहा था, ‘हम हिंदू राज्य नहींरामराज्य स्थापित करना चाहते हैं। रावण कंसदुर्याेधन आदि हिंदू ही थे। हम उनके जैसा राज्य नहीं चाहते हैं। रामराज्य इसलिए चाहते हैंक्योंकि रामराज्य में कुत्ते को भी न्याय मिला थातो गाय को भी न्याय मिलेगा।
                             मुसलमानों को रामराज्य से भयभीत नहीं होना चाहिएरामराज्य में उनको भी न्याय ही  मिलेगा। कुछ लोग कहते हैं-गाय आवारा पशु हैसडक़ों पर घूमती हैइसे काट देना चाहिए तो इसमें गाय का क्या दोष हैदोष गाय की गोचरभूमि हड़पने वालों का है या जिसकी गाय है उसका है। दंडनीय गाय नहीं है। गाय की कमाई से जीवनयापन करने वालेउसकी कमाई को हड़पकर उसी गाय में खर्च नहीं करतेउसको कटने भेज देते हैं। इस पर समाज को सोचना चाहिए। हमारे प्रदेश में भी बेसहारा गउओं और बैलों की स्थिति ठीक नहीं है। प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 32130 बेसहारा गउएं और बैल हैं और 72 गोशालाएं निजी प्रयासों से चलाई जा रही हैं। अगर हिमाचल प्रदेश सरकार बड़े मंदिरट्रस्टों की आमदन से 25 प्रतिशत हिस्सा लेकर इन निजी गोशालाओं की आर्थिक सहायता करेतो भी इन बेसहाराअभागे पशुओं को कुछ राहत मिल सकती है।
                        आज भी कई अभागे पशु सडक़ों के किनारे या नदी-नालों के किनारे खुले आसमान के नीचे ठोकरें खा रहे हैं। क्या अच्छा होता अगर पशुपालन-ग्रामीण विकास मंत्री अनिल शर्मा अपने अधिकारियों-कर्मचारियों को इन अभागे पशुओं का पंजीकरण करवाने के आदेश देते। पशु कार्ड बनवाने और बैल-गउओं का पंजीकरण करवाने के लिए ग्राम पंचायत प्रधानवार्ड पंचों की मदद ली जा सकती है।
                         अगर आदमियों के राशन कार्डों की तरह बैलों और गउओं के पंजीकरण कार्ड बनाए जाएंतो दंडात्मक कार्रवाई के भय से कोई भी पशुओं को बेसहारा नहीं छोड़ सकेगा। इसके साथ ही हरेक जिला पशु अस्पताल में इन बेसहारा बीमार पशुओं के इलाज के लिए कम से कम एक-एक एंबुलेंस मुहैया करवाई जानी चाहिए। प्रदेश सरकार अगर मंत्रियों-विधायकों की तनख्वाह न बढ़ातीतो उस धन से कम से कम दस हजार बेसहारा गउओं और बैलों के लिए गोशालाएं बनाई जा सकती थीं। इसके साथ ही प्रदेश सरकार को इस पहाड़ी प्रदेश में गोमूत्र आधारित कोई बड़ी आयुर्वेदिक फार्मेसी भी स्थापित करनी चाहिएताकि गउएं पालने वालों को आर्थिक सहायता भी मिले और लोगों को सही कीमत में आयुर्वेदिक औषधियां भी प्राप्त होंगी।

इस प्रयास से हजारों प्रदेशवासियों को रोजगार मिलेगासो अलग। गो सेवा हम सभी का नैतिक फर्ज है। प्रदेश सरकार ने बड़े मंदिर ट्रस्टों द्वारा गोशालाओं का निर्माण करवाने और पशुपालन विभाग द्वारा उनका रखरखाव  के प्रबंध करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। अत: प्रदेश सरकार से आशा की जाती है कि इन सुझावों पर बिना देरी से अमल करवाया जाए।
– मरणजीत सिंह राणा