देश व समाज की सेवा है पर्यावरण-सुरक्षा

(विश्व पर्यावरण दिवस : 5 जून)

            पूज्य बापूजी कहते हैं : ‘‘अपने घरों, इलाकों में तुलसी, आँवला, पीपल, नीम और बरगद के वृक्ष लगें ऐसा प्रयत्न सभीको करना चाहिए । इनमें पीपल, आँवला व तुलसी अति हितकारी हैं । पीपल लगाने की आप वन विभाग को सलाह देना, उत्साह देना तो मैं समझूँगा आपने भगवान की भी सेवा की, समाज की भी सेवा की और मेरे पर बड़ा एहसान किया ।
बोले, ‘महाराज ! पीपल की भारी महिमा है लेकिन लगाने में असुविधा होगी । कब बीज वृक्ष हो ?...’ इसलिए हमने प्रयोग किया, जैसे और कलम लगाते हैं ऐसे ही पीपल की कलम हमने लगवायी और सफल गयी । हमने अपने आश्रम के पास की सड़कों पर तथा और भी कई जगहों पर बहुत-से पीपल के पेड़ लगवाये हैं ।’’


कलम लगाने की आसान विधि
            सबसे पहले पीपल की आठ-दस फीट लम्बी व सीधी डाली चुनें । डाली के निचले भाग को एक से डेढ़ इंच तक छील देंगे । डाली की केवल ऊपर की छाल ही निकालें ।
            मिट्टी, देशी खाद या केंचुआ खाद और लकड़ी का बुरादा समान मात्रा में मिला दें । थोड़ा-सा पानी डाल के गीला कर लें । छीले हुए भाग पर इस मिश्रण को लगा दें । ऊपर से पॉलीथीन बाँधकर पतली रस्सी से कस के बाँधें ताकि इसे कोई जीव-जंतु हानि न पहुँचाये । लगभग एक माह तक इसी तरह बँधा रहने दें ।
            यह कार्य जून-जुलाई माह में करें ताकि वर्षा होने तक इसमें जड़ें निकल आयें और जुलाई-अगस्त में इस कलम को जमीन में लगाया जा सके । एक माह बाद इसमें जड़ें निकल आयेंगी । तब बाँधे हुए भाग के नीचे से डाली को काटकर मूल शाखा से अलग कर दें । इसे आप चाहें तो तुरंत लगा सकते हैं या बड़ी थैली में मिट्टी भरकर उसमें सुरक्षित रख सकते हैं । इसे अन्य स्थान पर भी भेज सकते हैं ।
            तीन फीट गोलाई व तीन फीट गहराईवाला गड्ढा खोदकर इसे लगा दें । गड्ढे को मिट्टी, खाद से भर दें । खाद-पानी देते रहें । सुरक्षा की दृष्टि से काँटों या तार की बाड़ लगा दें । लीजिये, 1 माह में 10 साल का पीपल वृक्ष तैयार है !
            इस तरह से आप अपने-अपने घरों, मोहल्ले, गाँव या मंदिर आदि की पश्चिम दिशा में पीपल के वृक्ष लगा सकते हैं और पर्यावरण की सुरक्षा करके देश व समाज की सेवा का पुण्य कमा सकते हैं । पीपल को छूकर आनेवाली हवा तन-मन और आध्यात्मिकता के लिए बहुत लाभप्रद होती है ।
            कई राज्य सरकारें इस मामले में सराहनीय प्रयास कर रही हैं । अन्य राज्य भी इस प्रयास का अनुकरण कर पर्यावरण के शुद्धीकरण की सेवा कर सकते हैं । तुलसी, पीपल, आँवला, नीम तथा बरगद पवित्रता, शुद्धता, उपयोगिता और औषधीय गुणों से भरपूर हैं, अतः इनके रोपण हेतु अधिक-से-अधिक लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए । नीलगिरी (सफेदा) भूलकर भी नहीं लगायें, यह हानिकारक है ।


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