लखनऊ : संस्कृत भाषा को बढावा देने के लिए यहां संस्कृत भाषा में बिकती हैं सब्जियाँ।

मार्केट में हर जगह लगा है संस्कृत में बोर्ड
                 लखनऊ : यहां निशांतगंज में एक ऐसी सब्जी मंडी है, जहां संस्कृत भाषा में सब्जिहयां ब‍िक रही हैं। सभी सब्जिटयों के नाम संस्कृत में लिखे हैं। इसके लिए मंडी में हर जगह बोर्ड भी लगाए गए हैं। यही नहीं, दुकानदार भी हमेशा सब्जिमयों के नाम संस्कृत में ही लेते हैं।

यहां संस्कृत में क्यों बेची जा रही हैं सब्जियां ?

               निशांतगंज गली नंबर-५ में सब्जी बेचनेवाले सुनील ने बताया, संस्कृत भाषा को बढावा देने के लिए मंडी के लोगों ने संस्कृत में सब्जी बेचना शुरू किया है ! संस्कृत हमारी मुख्य भाषा है। सरकार इस भाषा के साथ पक्षपात और अनदेखा कर रही है !
                ये पूछने पर कि, जिन लोगों को संस्कृत समझ नहीं आती वो कैसे समझेंगे ? इस पर दुकानदारों ने कहा, उन्हें समझाने के लिए ही ये प्रयास किया गया है। इस मार्केट में रोजाना सब्जी खरीदनेवाले अब संस्कृत में सब्जी के भाव पूछते हैं और खरीदकर ले जाते हैं !
               वहीं, इस मार्केट में सब्जी बेचनेवाली सुशीला देवी कहती हैं, जब हमारे जैसे कम पढे-ल‍िखे लोगों को ये भाषा समझ आ सकती है तो बुद्धि‍जीवी लोग तो आसानी से समझ सकते हैं ! यहां आनेवाले अब हर ग्राहक संस्कृत में मरिचिक (मिर्ची), रक्त्वृन्त्कम (टमाटर), भिन्दिक (भिन्डी), आद्रकम (अदरक), पटोल (परवल), कर्कटी (खीरा), पलांडू (प्याज) और निम्बुकम (निम्बू) आद‍ि मांगते हैं !

क्या कहते हैं संस्कृत संस्थान के अध‍िकारी ?
               उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी जगदानंद झा ने बताया, ”अपनी भाषा को बचाने की यह एक प्रयास है। मेरे घर में पत्नी और दोनों बच्चे संस्कृत में ही बात करते हैं। सरकार को चाहिए क‍ि संस्कृत के लिए कुछ ऐसा करे, ताक‍ि आमजन की भाषा बन जाए !