कब प्रारम्भ हुआ कुंडली मिलान ?

                            प्राचीन या वैदिक काल में हिन्दू लोग ज्योतिष और एस्ट्रोनॉमी से पूरी तरह परिचित होने के बावजूद विवाह में किसी भी प्रकार के ज्योतिष, गुण मिलान आदि का प्रयोग नहीं करते थे। कालांतर में सूर्य का उत्तरायण होना और शुक्ल पक्ष की तिथि होना जैसी बातों से विवाह संस्कार में ज्योतिष का प्रवेश हुआ! मशहूर इतिहासकार डॉ राजबली पांडे ने अपनी पुस्तक "हिन्दू संस्कार" में इसका व्यापक उल्लेख करते हुए लिखा है कि सूर्य के उत्तरायण और शुक्ल पक्ष के साथ विवाह में अन्य ज्योतिषीय गड़नाओं का प्रयोग होना धीरे धीरे शुरू हुआ, पर आज की तरह ही वर वधु की कुंडलियां मिलाने की तार्किक प्रक्रिया ना शुरू होकर गुण मिलान शुरू हुआ। जो कि नाक्षत्रों पर आधारित था, नक्षत्र क्यों कि 23 घंटे 56 मिनट अर्थात पूरे एक दिन का होता है या एक दिन पूरे 24 घंटे एक ही नक्षत्र रहता है। तो पंचांग से वर और वधू की पैदाइश के विशेष दिन का( ना कि समय का ) नक्षत्र से मिलान किया जाने लगा।

                           एक नक्षत्र का दूसरे नक्षत्र से कितनी मैत्री है उसको कुछ पॉइंट्स दिए जाने लगे जैसे 18 गुण 26 गुण आदि। यह बहुत सरल था क्योंकि जन्म समय की अनुपलब्धता के कारण यह पद्धति धीरे धीरे प्रचलन में आ गयी। आगे चलकर इसमे मंगल दोष सहित अन्य दोष तथा उसका परिहार भी जोड़ दिया और उसे व्यावसायिक रूप दे दिया गया! पर सोचने वाली बात यह है कि नौ ग्रह और एक लग्न अर्थात 10 में से हम केवल चंद्रमा और उसके नक्षत्र को देखते हैं जो कि 10 बिंदुओं में से सिर्फ 10% पर ही हम विचार करते हैं। इसके अलावा कुंडली उसकी दशाएं उसमे वैवाहिक सुख पति पत्नी की आयु (Longevity) उनकी साम्पन्नता विपन्नता भावनात्मक लगाव आने वाले समय मे त्याग परित्याग, संतान सुख आदि का ध्यान ही नही दिया जाता था।
                            तो निष्कर्ष में यह निकालता हुन कि पारंपरिक गुण मिलान उनके लिए है जिनके पास उनका जन्म समय ज्ञात ना हो। जिनके पास उनका जन्म समय ज्ञात हो वे गुण मिलाना छोड़ कुंडली मिलाएं, अगर कुंडली मिल गयी तो विवाह के सुखी होने के 90% संभावनाएं रहेंगी। और पाठकों की जानकारी के लिए बात दूं कि जन्म समय पर आधारित वास्तविक कुंडली मिलान की यह प्रक्रिया मात्र कुछ वर्षों से शुरू हुई है। और दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि इसकी पहुंच कुछ जागरूक और सुविधा भोगी वर्ग तक ही सीमित है !यह प्रक्रिया आज की हिन्दू ज्योतिष ने इतनी प्रगति कर ली है कि ज्यादा मेहनत करके घटनाओं के माध्यम से तथा हथेली और अंगूठे देख कर वास्तविक समय तक निकाल लिया जाता है! क्योंकि यह बहुत हेक्टिक और टाइम टेकिंग है तो जो इस विद्या को जानते हैं वह समयाभाव में इससे दूर रहते हैं। मैं स्वयं कम ही हॉरोस्कोप रेक्टिफिकेशन का काम लेता हूँ समयाभाव के कारण ! काम से कम 5 से 10 घंटे पूरे चाहिए होते हैं।

एक IPS और एक IAS के वैवाहिक जीवन से त्रस्त आत्महत्या तथा कुण्डलीमिलान का संबंध।
                            अब आते हैं 09 सितंबर 2018 को आत्महत्या करके दिवंगत हुए IPS सुरेंद्र दास जी के विषय पर जो नवोदय विद्यालय के छात्र थे जिसका कभी मैं भी छात्र था, फ़ैज़ाबाद जवाहर नवोदय विद्यालय का! कुछ माह पहले IPS मुकेश पांडे जी भी ट्रेन से कट कर मरे थे! कारण दोनों मे वही पत्नी से मेल ना खाना! जानकारी के अनुसार दोनों की कुण्डलियां मिलाई गयी थी! पर उसी तरह से, नक्षत्र चरणों से अर्थात राशि के नाम से! जैसे आज 80% मामलों में हो रहा है ! हालाकी एक आधुनिक समाज भी तैयार हो रहा है जो नये शोधों से लैस पद्धतियों को फॉलो कर रहा है और सुखी भी है! तो जैसा कि मैने फसबुक पर तीन संक्षिप्त शृंखलाओं मे कहा कि इस तरह से शादियों के गुण मिलान का कोई अर्थ नही जैसे सुबह अख़बार में या टी.वी में राशिफल पढ़ने का कोई अर्थ नही ! मिलाना है तो दोनों की कुण्डलियां अलग अलग दो भिन्न भिन्न अस्तित्वों का मिलान करिए ! ना कि रोहिणी नक्षत्र के लड़के का मघा नक्षत्र की लाड़की से !
                            कुण्डलियां बहुत कुछ बता देंगी ! अगर आप ज्योतिष् को मानते हैं तो दोनों कुण्डलियां आपस मे मिल रही हैं तो विवाह करिए नहीं तो दोनों दूसरे रास्ते खोजें! इस 36 गुण और मांगलिक के चक्कर में मैने सैकड़ों घर बर्बाद होते देखे हैं! ऐसा मैं ही नहीं फॉलो करता विश्व में हिंदू भारतीय ज्योतिष् के सबसे बड़े हस्ताक्षर श्री के.एन राव सर भी यही मानते हैं! IPS साधु किस्म के ईमानदार और भक्त व्यक्ति थे। जाहिर है शाकाहारी भी थे। पत्नी जन्माष्टमी को घर में माँस खाती है तो कैसे पटेगी? यह सामान्य घटना नहीं है! यही तो गुणमिलान है। एक मनुष्य की राक्षस से कितनी पटेगी। यह बाते तो कुंडली देखे बिना भी समझी जा सकती थी।

1. कुंडली मिलाइए पर आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से, पहले Longevity अर्थात उम्र देखिए, ज्योतिषी को यह देखना चाहिए कि दोनों मे से कोई अल्पायु तो नहीं है।
2. फिर भावनायें या गुण मिलायें अर्थात दोनों की आदतें मिलती है कि नही साथ में दोनों में भावनात्मक लगाव रहेगा या नहीं! यहाँ IPS के केस में यही सब तो हुआ।
3. फिर Prosperity अर्थात संपन्नता देखिए कि दोनों कुंडलियों में किसी एक में रोज़ी रोटी का संकट तो नहीं है। चौथा और अंतिम संतान योग देखिए…. शेष बातें फिर कभी।