आचमन: निम्न मंत्र पढ़ते हुए तीन बार
आचमन करें ।
'ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम: ।
फिर यह मंत्र बोलते हुए हाथ धो लें । ॐ हृषीकेशाय नम: ।
तिलक : सभी लोग तिलक करें ।
ॐ चंदनस्य महत्पुण्यं पवित्रं पापनानम
।
आपदां हरते नित्यं लक्ष्मी: तिष्ठति
सर्वदा ।।
रक्षासूत्र (मौली) बंधन : हाथ में मौली
बाँध लें । ( सिर्फ
पहले दिन )
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो
महाबल: ।
तेन त्वां प्रतिबंध्नामि रक्षे मा चल
मा चल ।।
दीप पूजन : दीपक जला लें ।
दीपो ज्योति: परं ब्रम्ह दीपो ज्योति:
जनार्दन: ।
दीपो हरतु में पापं दीपज्योति:
नमोऽस्तु ते ।।
गुरुपूजन : हाथ जोडकर गुरुदेव का ध्यान
करें ।
गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु:....
सद्गुरुं तं नमामि ।।
बापूजी को तिलक करें । पुष्प
व तुलसीदल चढायें । धुप व दीप दिखायें । नैवेध्य
(प्रसाद) चढायें ।
गणेशजी व माँ सरस्वतीजी का स्मरण :
वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु
सर्वदा ।।
कलश पूजन : हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर
कलश में 'ॐ' वं वरुणाय नम:' कहते
हुए वरुण देवता का तथा निम्न श्लोक पढ़ते हुए तीर्थों का आवाहन करेंगे –
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति ।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन
सन्निधिं कुरु ।।
(अक्षत –पुष्प
कलश के सामने चढ़ा दें । )
कलश को तिलक करें । पुष्प, बिल्वपत्र
व दूर्वा चढायें । धुप व दीप दिखायें । प्रसाद
चढायें ।
संकल्प : हाथ में जल, अक्षत
व पुष्प लेकर संकल्प करें ।
नोट : हाथ में लिए जल को देखते हुये
ऐसी भावना करें कि जैसे जल व्यापक हैं, ऐसे ही हमारा
संकल्प भी व्यापक हो । संकल्प करने के पहले, मध्य
में एवं अंत में भगवान विष्णु (वसुदेव) को समर्पित करने की भावना करते हुये तीन
बार भगवान के 'विष्णु' नाम का उच्चारण
करें । (सभी
को बुलवाना है । ) 'ॐ विष्णु: विष्णु: विष्णु:'
आज पवित्र ....
मास के कृष्ण / शुक्लपक्ष की .... तिथि को ......वार के दिन मैं पूज्य बापूजी के
स्वास्थ्य व दीर्घायु / चिरंजीवी होने के लिए महामृत्युंजय मंत्र, तथा
पूज्य बापूजी के ऊपर आयी आपदा के निवारणार्थ तथा अधिक-से-अधिक सुप्रचार के लिए 'ॐ
ह्रीं ॐ' मंत्र, न्यायिक
प्रक्रिया में विजय पाने के हेतु पवन तनय बल पवन समाना । बुधि बिबेक
बिग्यान निधाना ।। मंत्र तथा दैवी शक्तियों की वृद्धि और
आसुरी शक्तियों के शमन के लिए नवार्ण मंत्र –'ॐ ऐं ह्रीं
क्लीं चामुण्डायै विच्ये...।' के हवन का
संकल्प करता हूँ । ॐ.... ॐ .... ॐ ....
हाथ में लिया हुआ द्रव्य पात्र में छोड़
दें ।
महामृत्युंजय मंत्र विनियोग : हाथ में
जल लेकर विनियोग करें । (सभी को बुलवाना है । )
ॐ अस्य श्री महामृत्युंजय मंत्रस्य
वशिष्ठ ऋषि:, अनुष्टुप छंद:, श्री महामृत्युंजय
रुद्रो देवता, हौं बीजं, जूं शक्ति:, स:
कीलकं श्री आशारामजी सद्गुरुदेवस्य आयु: आरोग्य: यश: कीर्ति: तथा पुष्टि: वृद्धि
अर्थे जपे तथा हवने विनियोग: ।
हाथ में रखें हुए जल को पात्र में छोड़
दें ।
नोट : ७ दिन के सविधि सवा लाख
महामृत्युंजय मंत्र अनुष्ठान में कुल १४०० माला होती है (प्रतिदिन २०० माला ) । ५०
व्यक्ति के हिसाब से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन ४ माला जप करें । (व्यक्तियों की
संख्या के अनुसार माला की संख्या निर्धारित कर सकते है ।)
मंत्र :
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय
मामृतात ।। ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ ।।
अग्नि स्थापन : अग्नि प्रज्वलित करके
अग्निदेव को प्रणाम करें ।
ॐ पावकान्गयें नम: ।
इसके बाद
ॐ गं गणपतये स्वाहा । (३ आहुतियाँ )
ॐ सूर्यादि नवग्रहेभ्यों देवेभ्यों स्वाहा
। ( १ आहुति )
फिर इन मंत्रो से हवन करें –
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय
मामृतात ।।
( १ माला )
ॐ ह्रीं ॐ – ( ५ माला )
पवन तनय बल पवन समाना । बुधि बिबेक बिग्यान निधाना ।। ( २७ बार )
हाथ में जल लेकर नवार्ण मंत्र का
विनियोग करें :
ॐ अस्य श्री नवार्णमंत्रस्य
ब्रम्हाविष्णुरुद्रा ऋषय:, गायत्री
ऊषणिक अनुष्टुभश्छंदांसि, श्रीमहाकाली
महालक्ष्मी महसरस्वत्यों देवता: ऐं बीजम, ह्रीं शक्ति:, क्लीं कीलकम, श्री
महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती प्रीत्यर्थे जपे तथा हवने विनियोंग: ।
हाथ में रखा हुआ जल पात्र में छोड़ दें ।
नवार्ण मंत्र –
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्ये । ( १ माला )
नवार्ण मंत्र का अर्थ : 'ऐंकार' के
रूप में सृष्टिस्वरूपिणी, 'ह्रीं' के रूप में
सृष्टि-पालन करनेवाली । 'क्लीं' के रूप में
कामरूपिणी तथा (समस्त ब्रम्हाण्ड ) की बीजरूपिणी देवी । तुम्हें नमस्कार
है । चामुंडा
के रूप में चंद्विनाशिनी और 'यैकार' के रूप में तुम
वर देनेवाली हो । 'विच्चे' रूप में तुम
नित्य ही अभय देती हो । (इस प्रकार ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्ये )
तुम इस मंत्र का स्वरुप हो ।
अपने-अपने गुरु मंत्र की ७ आहुतियाँ
डालें । (मंत्र
मन में बोले व स्वाहा बोलते हुए एक साथ आहुति डालें । )
स्विष्टकृत होम : जाने-अनजाने में हवन
करते समय जो भी गलती हो गयी हो, उसके प्रायश्चित के रूप में गुड़ व घृत
की आहुति दें ।
मंत्र – ॐ अग्नये
स्विष्टकृते स्वाहा, इदं अग्नये स्विष्टकृते न मम ।
कटोरी या दोना में बची हुई हवन सामग्री
को निम्न मंत्र बोलते हुए तीन बार में होम दें ।
(१)
ॐ श्रीपतये स्वाहा ।
(२)
ॐ भुवनपतये स्वाहा ।
(३)
ॐ भूतानां पतये स्वाहा ।
पूर्णाहुति होम : एक व्यक्ति हाथ में
नारियल ले ले व अन्य सभी लोग नारियल का स्पर्श कर लें । जो घी की आहुति
डाल रहे थे, वाह निम्न मंत्र उच्चारण करते हुए नारियल के
ऊपर घी की धारा करें ।
ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात
पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय
पुर्न्मेवावशिष्यते ।।
ॐ शांति: शांति: शांति: ।
आरती : ज्योत से ज्योत जगाओ.......
कर्पुर गौरं करुणावतारं संसारसारं
भुजगेन्द्रहारं सदावसन्तं ह्र्दयारविंदे भवं भवानी सहितं नमामि ।
दोहा : साधक माँगे माँगणा, प्रभु दीजो मोहे दोय ।
बापू हमारे स्वस्थ रहें, आयु लम्बी होय ।।
भस्मधारणम : यज्ञकुंड से स्त्रुवा
(जिससे घी की आहुति दी जा रही थी ) में भस्म लेकर पहले बापूजी को तिलक करें, फिर
सभी लोग स्वयं को तिलक करें ।
प्रदिक्षणा : सभी लोग हवनकुंड की ३
परिक्रमा करें ।
यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि
च ।
तानि सर्वाणि नश्चन्तु प्रदक्षिण: पदे
पदे ।।
साष्टांग प्रणाम : सभी साष्टांग प्रणाम
करेंगे ।
प्रार्थना : विश्व कल्याण के लिए हाथ
जोडकर प्रार्थना करें ।
सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु
निरामया: ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद
दुःखभाग भवेत् ।।
दुर्जन : सज्जनों भूयात सज्जन:
शंतिमाप्नुयात ।
शांतो मुच्येत बंधभ्यो मुक्त: चान्यान
विमोचयेत ।।
क्षमा प्रार्थना : पूजन, जप, हवन
आदि में जो गलतियाँ हो गयी हों , उनके लिए हाथ जोड़कर सभी लोग क्षमा
प्रार्थना करें ।
ॐ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम ।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ।।
ॐ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं
सुरेश्वर ।
यत्पूजितं माया देवं परिपूर्ण तदस्तु
में ।।
विसर्जनम : थोड़े-से अक्षत लेकर देव
स्थापन और हवन कुंड में निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए चढायें –
ॐ गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने
परमेश्वर ।
यत्र ब्रम्हादयो देवा: तत्र गच्छ
हुताशन ।।
जयघोष : तं नमामि हरिं परम । - ३ बार
पूजन के लिए आवश्यक सामग्री :
पूज्य बापूजी का
श्रीचित्र, चावल (१ किलो), हल्दी मिश्रित
अक्षत, चंदन, कुमकुम या सिंदूर, मौली
(नाडाछड़ी), गंगाजल (न हो तो आश्रम के बड बादशाह का जल या
शुद्ध जल में तुलसी डाल दें ), पुष्प, तुलसीदल, दूर्वा, बिल्वपत्र, अगरबत्ती, दीपक
(सरसों के तेल से जलायें ), रूई, माचिस, कपूर,सफ़ेद
कपड़ा, एक नारियल, कुछ फल, आम के पत्ते, प्रसाद, दोना
(सामग्री डालने के लिए ), एक लकड़ी की चौकी ।
स्थापन : लकड़ी की चौकी में सफ़ेद कपड़ा
बिछाकर पूज्य बापूजी का श्रीचित्र रखें और उसके सामने चावल से स्वस्तिक बनाकर उसके
ऊपर जल से भरा हुआ कलश रखें । कलश के ऊपर आम, श्रीफल, पीपल
अथवा बड के ५ पत्ते रखकर उसके ऊपर नारियल रखें ।
प्रत्येक कुंड में :
स्त्रुवा (जिसमे घी की आहुति देंगे), घी
की कटोरी ।
आचमन, संकल्प व
विनियोग के लिए कुंड के चारों तरफ जल की एक-एक कटोरी ।
संकल्प के लिए अक्षत व पुष्प रखें ।
संकल्प, विनियोग का जल
डालने के लिए एक थाली ।
हवन सामग्री : कुल सामग्री में सबसे
ज्यादा तिल, तिल का आधा चावल, चावल का आधा जौ
हों चाहिए ।
जैसे लगभग २० किलो सामग्री में :
तिल – १० किलो, चावल
– ६ किलो, जौ – २.५ किलो, गूगल
– ५०० ग्राम, मिश्री – ५०० ग्राम, घी-
२५० ग्राम, कमलगट्टा – १०० ग्राम, कपूर
पाउडर – १०० ग्राम, जटामसी – १००
ग्राम, चंदनचुरा – १०० ग्राम । ये सभी मिला लें
।
आहुति डालने के लिए घी अलग से ।
लकड़ी – आम, पिप;, पलाश, बड
आदि ।
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