Doberman से पामेरियन ब्याहिये । लैब्राडोर से जर्मन शैफर्ड पीपल की जड़ में नीम का बीज डालिये नीम की जड़ में आम का बीज ।
                             Doberman से पामेरियन ब्याहिये ।  लैब्राडोर से जर्मन शैफर्ड  पीपल की जड़ में नीम का बीज डालिये  नीम की जड़ में आम का बीज ।  मुसलमान ताकतवर है क्योंकि वो अपने दुषग्रन्थो पर शंका नही करते ।  हिन्दू कमजोर है क्योंकि वो अपने धर्म-ग्रन्थो पर विशवास नही करते ।  हिन्दू कहते हैं अपने आपको कुछ मूर्ख ...जो शास्त्रों के विरोधी हैं ।
                          पर आप तो हिन्दू हो आप तो विश्व प्रसिद्ध हो दो-दो नावों पर सवारी करने हेतु ।  दो-दो भी क्यों दस-दस भी हो सकती हैं ।  आप तो केवल अपने मूल को त्याग कर सभी पड़ोसियों को अब्बा बना सकते हो ।  अब तो इफ्तारी का जमाना आ गया है ।  साईं को  ओशो को  नानक को  बुद्ध को  महावीर को  जीसस को  कबीर को  मुहम्मद को  रामपाल को  निर्मल बाबा को  पीरों को  दरगाहों को  मजारों को  हैं...  फिर चाहे धर्म के नाम पर कोई शहद चटा रहा हो या गूं चटा रहा हो... क्या फर्क पड़ता है ?  हम तो जी हिन्दू हैं  हम कबीर को पढ़ लेंगे  पर वेद धर्म को नही मानेंगे ।  हम रामपाल को पढ़ लेंगे  पर वेद धर्म नही मानेंगे ।  हम मुहम्मद जीसस को पूज लेंगे  पर वेद धर्म नही मानेंगे ।  हम ओशो को भी पूज लेंगे  पर वेद धर्म नही मानेंगे ।  हम दुसरे मत सम्प्रदायों में लिखी बे-सिर पैर की बातों को ध्यान से पढ़ लेंगे... पर वेद धर्म को नही मानेंगे ।  वेद सम्मत शास्त्रों में लिखे वचनो का हम विरोध ही करेंगे ... क्योंकि हिंदुत्व ने हमे यही सिखाया है । 
                                    हम वोट बैंक नही छोड़ेंगे पर धर्म सम्राट को कांग्रेसी और चर्बी गोला आदि कहेंगे ।  हम चुनावी रैलियों में आलू पूरी खाने जाएंगे परन्तु कहीं शंकराचार्य उपदेश दे रहे हैं किसी सत्संग सभा मे वहां नही जाएंगे... पता भी नही होगा कि शंकराचार्य पधारे हैं राज्य में।  हम शंकराचार्य का सम्मान नही करेंगे बल्कि उनकी परम्परा को नष्ट करने हेतु 70 नकली शंकराचार्य अवश्य बना देंगे ।  और उन्हें खड़ा करने वालों की जय जयकार करके जय हिन्दू राष्ट्र के नारे लगाएंगे।  वाह रे हिन्दू  तू पिटता आया है  पिट रहा है  और पिटता ही रहेगा ।  क्योंकि तू न घर का रहा है न घाट का । 
                                   क्यों न धिक्कार हो तुझपर...  विश्व पर राज वही रक्त श्रंखला करती है जो विशुद्ध होती है... वह नही जो कुत्ते बिल्लियों की तरह घर बड़ा कर रक्त विकार के जीवाणु पैदा कर रहे हों।  आज यहूदी मिसाल हैं अपने सम्प्रदाय में वर्ण संकरता को दूर रखने हेतु और विश्व पर राज करने हेतु... जो यहूदी किसी non यहूदी से विवाह करता है उसे क्रिप्टो jew कहकर मुख्य परिधि, योजनाओं, संस्थाओं से बाहर रखा जाता है ।  इतने पर भी वह अपमानित महसूस नही करते... बल्कि गर्व से अन्यान्य देशों में मरने मारने हेतु खुशी खुशी अवने साम्प्रदायिक कर्तव्य समझकर जाते हैं।  और पूरी दुनिया मे विरोधभासी प्रचार करते हैं।  सब प्रचार इसलिये होता है... क्योंकि दोषियों पर दोषारोपण न हो, दोषियों पर गर्व हो... और वह फैशन बन जाये एक दिन।