सभी विद्यालयों में वेद और गीता अनिवार्य पढ़ाई ही जानी चाहिए।
भारत देश हिंदू
बाहुल्य देश है लेकिन कानून ऐसे बनाये है कि मदरसे में कुरान पढ़ा सकते है पर
विद्यालयों में गीता-रामायण आदि नही पढ़ा सकते है जबकि विदेशों में गीता रामायण और
वेद पढाये जा रहे है क्योंकि आज के वैज्ञानिकों ने जो खोज की है वे भारतीय धर्म
शास्त्रों में पहले से ही वर्णित है और उसीकी आधार पर आज खोज की जा रही है हमारे
ऋषि-मुनियों ने यह खोजे पहले ही कर चुके है।
दूसरी बात आती
है मैनजमेंट की तो भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण और अन्य राजाओं का जो मैनेजमेंट था
वे आज का मनुष्य कल्पना भी नही कर सकता है, और यही मैनजमेंट
हमारे ग्रन्थों में लिखा है अगर आज के मनुष्य को तरक्की करनी है उन्नत होना है तो
गीता-रामायण आदि पढ़ना चाहिए। इन धार्मिक ग्रन्थों को पढ़ने का एक फायदा यह भी है कि
मनुष्य स्वस्थ-सुखी एवं सम्मानित जीवन जी सकता है।
आपको बता दे कि
तमिलनाडु की अन्ना यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग के छात्र अब भगवद गीता, वेद
और दूसरे कुछ दार्शनिकों को भी पढेंगे ! अन्ना यूनिवर्सिटी अंडर ग्रेजुएट
इंजीनियरिंग छात्रों के लिए भगवद गीता को नॉन-कम्पल्सरी कोर्स के रूप में ला
रही है।
ऑल इंडिया
काउंसिल फॉर टेक्नीकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के मॉडल पाठ्यक्रम के अनुसार, अन्ना
यूनिवर्सिटी ने जीवन विकास कौशल के माध्यम से व्यक्तित्व विकास सहित छह ऑडिट पाठ्यक्रम
शुरू किए हैं। पर्सनालिटी डेवेलपमेंट के लिए स्वामी स्वरूपानंद की लिखी गई श्रीमद
भगवद गीता को चुना गया है !
अन्ना
यूनिवर्सिटी के कुलपति एम करप्पा ने कहा है कि, ये पाठ्यक्रम
इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए है। पाठ्यक्रम में दर्शनशास्त्र और गीता को शामिल
किया जाएगा। छात्रों के पास इसके चुनाव की स्वतंत्रता होगी ! यूनिवर्सिटी की ओर से
कहा गया है कि, भगवद गीता का कोर्स अनिवार्य नहीं है। यह सिर्फ फिलॉसफी विषय का
एक हिस्सा है। छात्र मर्जी से इसे चुन सकते हैं !
डीएमके अध्यक्ष स्टालिन ने यूनिवर्सिटी
के फैसले पर कहा है कि, ये संस्कृत को थोपने की कोशिश है !
वहीं माकपा ने भी इसका विरोध किया है। स्रोत : वन इंडिया
जनता अन्ना
यूनिवर्सिटी के फैसले का खूब स्वागत कर रही है पर कुछ नेता
विरोध कर रहे है उन नेताओं को पता होना चाहिए कि बच्चों को महान बनाने के लिए
विदेशों में भी गीता-रामायण पढ़ाई जा रही है। भारत
ने वेद-पुराण, उपनिषदों से पूरे विश्व को सही जीवन जीने की ढंग सिखाया है । इससे
भारतीय बच्चे ही क्यों वंचित रहे ?
जब मदरसों में
कुरान पढ़ाई जाती है, मिशनरी के स्कूलों में बाइबल तो हमारे
स्कूल-कॉलेजों में रामायण, महाभारत व गीता क्यों नहीं पढ़ाई जाए ? जबकि
मदरसों व मिशनरियों में शिक्षा के माध्यम से धार्मिक उन्माद बढ़ाया जाता है और
हिन्दू धर्म की शिक्षा देश, दुनिया के हित में है ।
जनता की मांग है
कि सभी विद्यालयों में वेद और गीता अनिवार्य पढ़ाई ही जानी चाहिए।
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