तुलसी के लाभ और
चमत्कारिक गुण।
तुलसी पौधे का
नाम सुनते ही हमारे मन में पवित्र भाव आने लगते हैं। यह इस बात का संकेत है कि
तुलसी का हमारे जीवन में कितना बड़ा महत्व है। तुलसी कोई आम पौधा नहीं है बल्कि यह
अपने चमत्कारिक गुणों के कारण एक विशिष्ट पौधा हो जाता है। शास्त्रों में इसे माँ
लक्ष्मी का रूप माना गया है। इसलिए जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर में
कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। धार्मिक महत्व के साथ-साथ तुलसी पौधे का
आयुर्वेदिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्व भी है। ज्योतिष शास्त्र में तुलसी के
पौधे के अचूक उपाय बताए गए हैं। वहीं आयुर्वेद की दृष्टि से भी यह पौधा कई रोगों
के उपचार के लिए रामबाण है और वैज्ञानिक रूप से भी इसके महत्व को कम नहीं आंका जा
सकता है।
तुलसी
के प्रकार
1. राम तुलसी
2. श्याम तुलसी
3. श्वेत/विष्णु तुलसी
4. वन तुलसी
5. नींबू तुलसी
तुलसी
का धार्मिक महत्व
यह तुलसी पौधे
की महानता है कि भारत वर्ष में तुलसी विवाह को धार्मिक त्यौहार के रूप में मनाया
जाता है। यह विवाहोत्सव कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी (देवउठनी एकादशी) तिथि को
मनाया जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु का विवाह तुलसी जी के साथ किया जाता है। यह
प्रक्रिया वैवाहिक मंत्रोच्चारण के साथ होती है और भगवान विष्णु और तुलसी के ऊपर
सिंदूरी रंग में रगे हुए चावल डालकर शादी को विधिपूर्वक संपन्न किया जाता है। इसके
अलावा घर-घर में इस पौधे की पूजा होती है। तुलसी की आराधना मंत्र सहित करनी चाहिए।
तुलसी
मंत्र
तुलसी
श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। धर्म्या
धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां
भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्। तुलसी
भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी
पूजा के नियम
• सबसे पहले तुलसी को नमन करें
• उसके बाद तुलसी पर शुद्ध जल चढ़ाएँ
• अब सिंदूर और हल्दी चढ़ाएँ
• पूजा हेतु घी का दीया जलाएँ
• माँ लक्ष्मी का स्मरण कर तुलसी जी की
आरती करें
• अंत में सुख-शांति और भाग्य की कामना
करें
तुलसी
का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिषीय
दृष्टिकोण से तुलसी का पौधा बेहद अहम है। यह पौधा चंद्र और शुक्र ग्रह के दोषों को
दूर करने में सहायक होता है। इसलिए जिस जातक की कुंडली में सूर्य और चंद्रमा की
स्थिति कमज़ोर हो तो उस जातक को तुलसी की पूजा और तुलसी की माला धारण करनी चाहिए।
तुलसी की आराधना करने से कुंडली में अष्टम और षष्ट भाव से संबंधित दोष दूर होते
हैं और सप्तम भाव भी मजबूत होता है। यदि विवाहित जातक तुलसी की नित्य आराधना करते
हैं तो उसके वैवाहिक जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और पति-पत्नी के बीच रिश्ता
अटूट होता है। तुलसी का पौधा वास्तु दोषों को दूर करता है।
तुलसी
का आयुर्वेदिक महत्व
आयुर्वेदिक
औषिधि के लिए तुलसी बहुत काम आती है। यह विष और दुर्गंध नाषक औषिधि है। रोग
प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी तुलसी मदद करती है। यदि रोजाना तुलसी की एक
पत्ती को चबाकर खाया जाए तो व्यक्ति को कफ विकार की समस्या नहीं होगी। तुलसी के
पत्ते को काली मिर्च के साथ खाने से सर्दी-जुकाम तथा खांसी जैसी बीमारियाँ दूर हो
जाती हैं। इससे स्वाइन फ्लू जैसी गंभीर बीमारी का इलाज संभव है। तुलसी का पौधा घर
में नकारात्मक प्रभावों और प्रदूषण को दूर करता है।
तुलसी
का वैज्ञानिक महत्व
विज्ञान की
दृष्टि से तुलसी एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम ऑसीमम सैंक्टम है। तुलसी
का पौधा वातावरण में कार्बनडाई ऑक्साइड गैस को सोख कर ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है।
इसलिए इसके आसपास का लगभग 50 मीटर का क्षेत्र पूर्ण रूप से शुद्ध
रहता है। इसके साथ ही तुलसी के प्रभाव से घर में पिस्सू और मलेरिया के जीव आदि
नहीं पनपते हैं। तुलसी का मुख्य गुण डी-टॉक्सिफिकेशन करना है जो शरीर में रक्त को
शुद्ध करता है।
तुलसी
के चमत्कारिक उपाय/टोटके
• सोने से पूर्व तुलसी के बीज (5
ग्राम) गर्म दूध के साथ लेने से शरीर में ताक़त आती है
• साँस की दुर्गंध को दूर करने के लिए
तुलसी के पत्ते काफी फायदेमंद हैं
• चोट में तुलसी के पत्तों को फिटकरी के
साथ लगाना चाहिए। इससे घाव नहीं पकेगा
• तुलसी का पेस्ट लगाने से चेहरे के
मुहांसे साफ होते हैं
• चाय में तुलसी के पत्ते डालकर पीने से
शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है
• खुजली भगाने के लिए तुलसी के पत्तों का
रस नींबू के रस मे मिलाकर लगाएँ
• तुलसी का अर्क पीने से व्यक्ति की
निरोगी काया रहती है
• तुलसी के पत्तों का रस सूंघने से दिमाग
में तरावट आती है
• तुलसी के पत्तों को पानी में मिलाने से
जल निर्मल होता है
• डेंगू, बुखार जैसे
रोगों में तुलसी का काढ़ा पीने से फायदा होता है
• तुलसी के पत्तों का रस आँखों में डालने
से आँखों का पीलापन दूर होता है
सावधानियाँ
• वास्तु के अनुसार घर में तुलसी का पौधा
ईशान कोण में लगाना चाहिए
• रविवार को छोड़कर स्नान के बाद प्रातः
तुलसी को जल चढ़ाएँ
• गणेशजी, शिवजी और भैरव
जी के ऊपर तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं
• तुलसी के पत्ते 11
दिनों तक शुद्ध रहते हैं अतः इन पर गंगा जल छिड़कर पूजा के लिए प्रयोग में लाया जा
सकता है
• रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रांति
और संध्याकाल के समय तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए
इस लेख के
माध्यम से आपने तुलसी के महत्व के बारे में विस्तार से जाना है। हम आशा करते हैं
कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। निश्चित ही इसमें दिए गए उपाय आपके लिए उपयोगी और
कारगर सिद्ध होंगे।
0 टिप्पणियाँ