महर्षी भारद्वाज द्वारा लिखी गयी विमान शात्र पर लगी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय का मुहर!! इरविन विश्वविद्यालय द्वारा की गयी त्रिपुरा बिमान की परीक्षण में सच का हुआ सामना।
           राईट भाइयों द्वारा हवाई जहाज़ का निर्माण करने से हज़ारों वर्ष पूर्व से ही भारत में हवाई जहाज़ का उपयॊग किया जाता था। हमारे पुराणॊं में देवी-देवताओं द्वारा विमान का उपयॊग किये जाने का उल्लेख मिलता है। भारत में ‘विमान शास्त्र’ या वैमानिक शास्त्र के पितामह ‘महर्षी भारद्वाज’ थे। इस विमान शास्त्र को खूब बदनाम किया गया है और उसमें लिखी बातों का उपहास किया गया है। राईट भाइयों से दस साल पूर्व भारत के ही श्री तलपडे ने एक मानव रहित विमान डिज़ाइन किया था। लेकिन भारत के श्री तलपडे द्वारा की गयी इस खोज को “संभावित नहीं” कहकर ठुकरा दिया गया था।
                     अब खुद कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय ने इस बात पर मुहर लगाई है कि महर्षी भारद्वाज द्वारा लिखी गयी विमान शास्त्र में उल्लेख किये गये विमान को वास्तव में उड़ाया जा सकता है!! 2017 में एक वैमानिकी इंजीनियर, सुश्री काव्या वद्दादी, जिन्होंने 10 साल पहले सच्चाई की जांच करने का फैसला किया था, उनके पास बहुत बदनाम हुए या उपहासित विमान शास्त्र में वर्णित विमान के मॉडल का परीक्षण करने का एक नया अवसर था। कविता वद्दादी, जो एक आम वैमानिकी इंजिनियर हैं उन्होंने वो कर दिखाया जो केवल एक डॉक्टरेट विज्ञानी ही कर सकता था।
                     काव्या ने अपने कंप्यूटर पर एक विमान डिज़ाइन सॉफ्टवेयर का उपयोग कर शास्त्र में वर्णित विमान को वस्तुतः डिज़ाइन किया। फिर समान रुचि वाले एक टीम के कुछ स्वयंसेवकों और इटली के एक सहयोगी, डॉ ट्रेविस टेलर की मदद से डिज़ाइन के 3 डी मॉडल का हवा-सुरंग परीक्षण करवाया जो संभवत हिस्टरी और अन्य चानेलों द्वारा रेकॉर्ड किया गया है।
                     भारद्वाज मुनी द्वारा प्रतिपादित त्रिपुरा विमान जैसे विमान का डिज़ाइन वास्तव में उड़ रहा था!! परीक्षण के परिणाम अब यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। वह दिखाता है कि विमान का मॉडल तेज़ हवा के गती में भी अपना संतुलन बनाये रख हवा में उड़ रहा है। तात्पर्य यह है कि विमान शास्त्र एक ढ़कोसली और मनगड़ंत कहानी नहीं है बल्की शतप्रतिशत वैज्ञानिक आधार पर लिखी गयी पाठ है। इसका अर्थ यही है कि हमारे पूर्वज विमान बनाना और उसे हवा में उड़ाना दोनों जानते थे।
                     जो बुद्धिजीवी हमारे ऋषि-मुनियों के ज्ञान पर हंसते थे वे अब रॊयेंगे। क्योंकि वेदों में लिखी गयी हर एक विषय को पश्चिमी देश संशॊधन कर साबित कर रहे हैं और उसे स्वीकार भी रहे हैं। जिन वामपंथियों ने हमारे वेद उपनिषद का मज़ाक उड़ाया था आज का यह संशोधन उनके मुहुं पर झॊरदार तमाचा जड़ रहा है। कम से कम अब तो अपने आखों पे लगी अज्ञान का परदा हटाइये और वेदों से अपना साक्षात्कार करवाइये क्योंकि यह हम नहीं खुद पश्चिमी देश के बड़े बड़े विश्वविद्यालय ही कह रहें है।