यदि आप भी खरीदते हैं
मंदिरों से प्रसाद तो हो जाए सावधान, बन सकते हैं पाप के भागीदार !
जैसा की आप सभी
जानते हैं कि हिन्दू धर्म में विशेष रूप से देवी देवताओं के पूजा अर्चना के बाद
उन्हें भोग के रूप में प्रसाद चढ़ाने का प्रचलन है। ईश्वर को चढ़ाये गए प्रसाद को
ग्रहण करना बेहद लाभकारी माना जाता है। आज कल धर्म के नाम पर बड़े बड़े मंदिरों में
प्रसाद खरीदने और बेचने की प्रथा चल पड़ी है। लेकिन हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के
अनुसार किसी भी हाल में प्रसाद ना तो खरीदकर ग्रहण करना चाहिए और ना ही उसे बेचना
चाहिए। माना जाता है कि प्रसाद खरीदने और बेचने वाले व्यक्ति पाप के भागीदार बनते
हैं। आइये जानते हैं आखिर क्यों प्रसाद बेचना और खरीदना पाप माना जाता है।
हिन्दू धर्म में प्रसाद
का महत्व
स्कन्द पुराण के
अनुसार ईश्वार को चढ़ाये जाने वाले प्रसाद को बेहद शुभ माना जाता है। भगवान् के
प्रसाद को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को उसके सभी पापों से निजात मिलता है और ईश्वार
का आशीर्वाद मिलता है। भगवान् को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद बांटने से भी काफी पुण्य
मिलता है। इसे बेचने का जिक्र शास्त्रों में कहीं नहीं है, ईश्वर
को अर्पित किये जाने वाले प्रसाद को हमेशा दूसरों में बांटना बेहद लाभकारी माना
गया है। बता दें कि भगवान् को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद हमेशा शुद्ध माना जाता है।
भूलकर भी प्रसाद को
खरीदना या बेचना नहीं चाहिए
आज कल जब भी आप
किसी धार्मिक स्थल या बड़े मंदिरों में ईश्वर के दर्शन के लिए जाते हैं तो वहां
आपने कई जगह प्रसाद खरीदने और बेचने का काउंटर देखा होगा। ईश्वर के दर्शन के लिए
आने वाला भक्त उस प्रसाद को खरीद कर स्वयं को काफी ख़ुशनसीब समझते हैं। लेकिन असल
में वो ये नहीं जानते की अनजाने में ही सही लेकिन ऐसा करके वो पाप का भागीदार बन
रहे हैं। बता दें कि स्कंद पुराण में
भगवान को चढ़ाये जाने वाले प्रसाद को बेचना या खरीदना निरीह माना जाता है। ऐसे
व्यक्ति खुद ही अपने लिए नर्क में जाने की सीढ़ी तैयार करते हैं। भगवान् को चढ़ाने
वाला प्रसाद पहले खरीदा या बेचा जा सकता है लेकिन उसे ईश्वर को भोग लगाने के बाद
चढ़ाना वर्जित माना गया है। आजकल आधुनिकता की दौड़ में बड़े-बड़े मंदिरों में प्रसाद
का क्रय-विक्रय किया जाता है। जबकि शास्त्रों में इसे बेहद निरीह काम माना गया है, प्रसाद
आप दूसरों में बांटकर उससे पुण्य कमा सकते हैं लेकिन दूसरों को बेचना बेहद
नुकसानदेह साबित हो सकता है।
वर्तमान समय में
धर्म को भी व्यापार का हिस्सा बना लिया गया है, आज ईश्वर की
पूजा से लेकर उनका प्रसाद सभी चीज़ें कुछ लोगों के लिए धन अर्जित करने का एकमात्र
ज़रिया बन चुका है। हमारे धर्मशास्त्रों में इस काम को पाप माना गया है। यहाँ आपके
लिए ये जान लेना भी काफी आवश्यक है कि ईश्वर को प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाने वाले
चीज़ें आप बेशक बाजार से खरीद सकते हैं लेकिन वो प्रसाद जिसे ईश्वार को चढाने के
बाद बेचा जा रहा है, उसे खरीदना बहुत ही अशुभ माना जाता है। प्रसाद ना तो खरीदना चाहिए और
ना ही उसे बेचना चाहिए, चढ़ाये गए प्रसाद को अपनी इच्छा से
दूसरों में वितरण करना चाहिए।
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