एकादशी व्रत क्यों?

हमारे ऋषि-मुनि तो हजारों वर्ष पहले से कहते आ रहे हैं और शास्त्रों में भी एकादशी के दिन उपवास करने का विधान दिया गया है । हिन्दी महीनों के अनुसार हर 14-15 दिन में एक बार एकादशी आती है ।

ब्रह्मवेत्ता संत पूज्य बापूजी ने अपने सत्संगों में एकादशी की महत्ता बहुत सुंदर ढंग से बतायी है । पूज्यश्री कहते हैं : ‘‘एकादशी व्रत की बड़ी भारी महिमा है । 5 कर्मेन्द्रियों, 5 ज्ञानेन्द्रियों और 11वें मन को संयत करनेवाला व्रत एकादशी का व्रत है । यह शरीर के रोगों को तो मिटाता हैमन के दोषों को भी निवृत्त करता हैबुद्धि को ओजस्वी-तेजस्वी बनाता हैभगवद्भक्ति में पुष्टियोग में सफलता एवं मनोवांछित फल देता है ।

वात-पित्त-कफजनित दोष अथवा समय-असमय खाये हुए अन्न आदि के जो दोष 14 दिन में इकट्ठे होते हैं, 15वें दिन एकादशी का व्रत रखा तो वे दोष निवृत्त होते हैं । जो विपरीत रस या कच्चा रस नाड़ियों में पड़ा हैजो बुढ़ापे में मुसीबत देगाव्रत उसको नष्ट कर देता है । इससे शरीर जल्दी रोगी नहीं होगा । एकादशी को चावल खाने से स्वास्थ्य-हानिपापराशि की वृद्धि कही गयी है ।

इस दिन हो सके तो निर्जल रहेंनहीं तो थोड़ा जल पियें । ठंडा जल पीने से मंदाग्नि होती हैगुनगुना जल पियेंजिससे जठर की भूख बनी रहे और नाड़ियों में जो वात-पित्त-कफ के दोष जमा हैंउन्हें खींचकर जठर उनको पचा देआरोग्य की रक्षा हो । जल से गुजारा न हो तो थोड़े-से फल खा लें और थोड़े-से फल से भी गुजारा न हो तो मोरधन आदि की खिचड़ी खा ली थोड़ी । ऐसा नहीं कि आलू की सब्जी खायीआइसक्रीम खायीकोल्ड डिंक्स पीसिंघाड़े के आटे का हलवा भी खा लियाकढ़ी खा लीखोपरा पाक फिर सींगदाने ठाँस लियेकेले भी खा लिये... यह एकादशी को चटोरादशी बनाने की भूल कर रहे हैं ।

एक 95 साल के जवान से मैंने पूछा : ‘‘आप 95 साल में जवान कैसे ?’’

बोले : ‘‘मैं हफ्ते में एक बार कड़क व्रत रखता हूँ और जब मौसम बदलता है तब 10-10 दिन के व्रत रखता हूँ तथा भोजन में थोड़ा सलाद खाता हूँ इसलिए 95 साल में भी मैं जवान जैसा हूँ ।’’

जो तीसों दिन खाना खाते हैं वे जल्दी बूढ़े होते हैं और बीमारियों के घर हो जाते हैं । हफ्ते में एक दिन व्रत रखेंनहीं तो 15 दिन में एक बार एकादशी का व्रत अवश्य रखना ही चाहिए । लेकिन बूढ़ेबालकगर्भिणीप्रसूतिवाली महिला तथा जिनको मधुमेह (diabetes) हैजो अति कमजोर हैं वे व्रत न रखें तो चल जायेगा । अथवा कोई कमजोर है और व्रत रखता है तो फिर वह किशमिश खाये । यदि उपवास नहीं करना है तो चने और किशमिश या काली द्राक्ष खायें ।

एकादशी के दिन कुछ बातों का ध्यान रखें :

(1) बार-बार पानी नहीं पियें । (2) वाणी या शरीर से हिंसा न करें । (3) अपवित्रता का त्याग करें । (4) असत्य भाषण न करें । (5) पान न चबायें । (6) दिन को नींद न करें । (7) संसारी व्यवहार - मैथुन भूलकर भी न करें । (8) जुआ और जुआरियों की बातों में न आयें । (9) रात को शयन कम करेंथोड़ा जागरण करें (रात्रि 12 बजे तक) । (10) पतितहलकी वार्ता करें-सुनें नहीं । (11) दातुन न चबायेंमंजन कर लें ।

सुबह संकल्प करें

एकादशी के दिन सुबह संकल्प करें कि आज का दिन सारे पापों को जलाकर भस्म करनेवालाआरोग्य के कण बढ़ानेवालारोगों के परमाणुओं को नष्ट करनेवालानाड़ियों व मन की शुद्धि करनेवालाबुद्धि में भगवद्भक्ति भरनेवाला तथा ओजबल और प्रसन्नता देनेवाला हो । देवी ! तेरे नाम का मैं व्रत करता हूँ ।’ फिर नहा-धोकर भगवद् पूजाध्यानसुमिरनजप करें ।’’