फूट के
शिकार हिन्दुओ; अब तो जागो!
हिन्दुओ! ६५० सच्चाईयों को जानो;कहीं देर न हो जाए। (जागो वीर जवानों–कब जागोगे; क्या पूर्ण विनाश के बाद?) भारत माता का सरेआम चीरहरण
और आप मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रहे हैं! अरे पशुओं की भांति केवल पेटपाल ने में
लगे हिन्दुओ, डूब मरो! हम यहाँ पर पूरी ६५० सच्चाईयों के स्थान
पर केवल मुख्य आंकड़े ही दे रहे हैं। पूरी सच्चाई जानने के लिए
आप मासिक पत्र ‘सावरकर टाइम्सके संपादक ‘जंग बहादुर क्षत्रिय’ से 09212978898
/ 07837628114 पर संपर्क करे या फिर ‘हिंदू वाइस’ पत्रिका के संपादक ‘पी. दैवमुमुथु’ 210, अभिनव, तीन डोंगरी, यशवंत नगर, गोरेगांव (पश्चिम), मुम्बई-६२,ई-मेल: hinduvoicemumbai@gmail.com , फोन28764418/60, 9324728153 से संपर्क करें जिनकी इसी
नाम (‘६५० सच्चाइयों को जानें… कहीं देर न हो जाय’) से पुस्तक भी छपी है।
१. वास्तविक देशद्रोही कौन:
हिंदुओं के साथ कदम-कदम पर सरासर अन्याय व बहुत बड़ा धोखा हो रहा है। आज भारतीय संस्कृति व
भारतीय संतों पर आक्रमण के लिए वास्तविक जिम्मेदार कौन? क्या ईसाई, मुस्लिम या फिर वोट न देने
वाले (केवल बिकाऊ मीडिया, भृष्ट व गद्दार नेता, भृष्टाचार, महंगाई आदि की शिकायत करने
वाले) निष्क्रिय देशद्रोही हिंदू हैं; जिनके कारण गद्दार
कांग्रेसी लोग सत्ता में आकर हमारा ही गला दबाते हैं? घर को आग लगी घर के चिराग
से! ऐसे लोगों को कोई अधिकार नहीं देश में रहने का! मुस्लिम व ईसाई सरकार को अपने
हक में काले कानून बनाने के लिए मजबूर करने हेतु ९९.९% लोग वोट डालते हैं; जबकि हिंदू केवल ५५% लोग ही
वोट डालने जाते हैं। मुसलमान तो मृत्यु-शैय्या
पर पड़े व्यक्ति को भी वोट डालने ले जाते हैं; जिससे सारे समीकरण ही बदल
जाते हैं। १०%वोट वाले १००% वोट वालों पर राज करते हैं। क्या आप पाँच वर्ष में एक
दिन; बल्कि केवल एक घंटा अपना वोट डालने के लिए नहीं दे
सकते? सुबह का भूला शाम को घर आये तो भी देर नहीं कहलाती; ये धरती व देश तुम्हारा; २०१४ के चुनाव में
खाना-पीना छोड़कर भी वोट डालने जाना है। जहाँ चाह-वहाँ राह। ऐ हिन्दुओ! उठो व जागो!
हिंदू-हिंदू में फूट के लबादे को उतार फेंको; एकजुट होकर अधर्म के
विरुद्ध हमेशा अपनी आवाज बुलंद करो; विधर्मियों को युक्तिपूर्वक
मुंहतोड़ जवाबदो; और इन देशद्रोही गद्दारों को देश से बाहर कर दो; नहीं तो एक दिन वे तुम्हें
बाहर कर देंगे। वोटों के समय हमेशा के लिए इन्हें जमीन मेंगाड़दो। सबको ई-मेल,फेसबुक, वाट्साप (whatsapp) से सूचित करें।
२.हिंदुओं को नष्ट करने
वाला काला क़ानून: साम्प्रदायिक हिंसा के खतरनाक क़ानून के अनुसार हिंदुओं
(बहुसंख्यक समुदाय) के विरुद्ध मुसलमानों व ईसाईयों (अल्पसंख्यक समुदाय) द्वारा
किया अपराध दंडनीय नहीं होगा; परन्तु इसके विपरीत हिंदुओं के लिएदंडनीय होगा। उनके द्वारा हिंदू महिला का
बलात्कार अपराध नहीं होगा; पर हिंदुओं द्वारा इसका विरोध करना भी अपराध होगा। इससे धर्मांतरण पर रोक की
मांग वबंगलादेश के घुसपैठियों के निष्कासन की मांग करना भीअपराध होगा। इससे देशद्रोही लोग खुलकर
सरेआम हिंदुओं को समाप्त करने के षडयंत्र रचेंगे। हिंदुओं का जीना दूभर हो
जाएगा। सेना, पुलिस व प्रशासन विधर्मियों की कठपूतली बन कर
अपराधियों को संरक्षण देने में मजबूर होंगे। महाराष्ट्र में ‘हनुमान चालीसा’ पाठ पर रोक, ‘अंधश्रद्धा कानून’ लाकर और ईसाई धर्मान्तरण को
बढ़ावा देकर कांग्रेस हिंदुओं की जड़ें काट रही है।मुगल-राजवब्रिटिश-राज के समय भी
ऐसे काले क़ानून नहीं थे। हमारी भारत-माता गहरे संकट
में पड़ गई है। यदि हिंदू ऐसे ही कुम्भकरण की नींद सोये रहे तो हिंदू-जाति एक दिन
इतिहास में विलुप्त जाति बनकर रह जायेगी। अतः हमारा उदघोष है; ‘धर्मो/राष्ट्र रक्षति रक्षितः’ (अपनी रक्षा के लिएधर्म/राष्ट्र की रक्षा करो।) करो या मरो! क्या आप यही
विरासत अपने संतानों हेतु छोड़कर जायेंगे? यदि नहीं तो फिर आज व अभी
गहरी निद्रा से उठिए और चुनौती का सामना कीजिये; कहीं फिर देर न हो जाय।
३.घटते हुए हिंदू – बढ़ते हुए मुस्लिम: देश का बंटवारा हिंदू व मुस्लिम
के नाम पर होने के कारण ३५ लाख निर्दोष हिंदुओं का भयंकर कत्लेआम, लाखों बलात्कार और सब कुछ
लूट लिया गया। इन इस्लाम व ईसाई आतंकवाद समर्थक गद्दार कांग्रेसियों ने हिंदू
राष्ट्र के स्थान पर भारत में धर्मनिरपेक्ष (धर्मविरुद्ध या धर्मविहीन) राष्ट्र
बनाकर हिंदुओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात किया है; और भारत को पुनः गर्त के
खड्डे में धकेल दिया है। इस्लाम व ईसाई (हमलावर
सभ्यताएं) विदेशी हैं। सन १९४७ में बंटवारे के समय
पापिस्तान में हिंदुओं की संख्या २४% थी; जो घटकर मात्र १% रह गई है; और पूर्वी-पाकिस्तान (बंगला
देश) में हिंदुओं की संख्या ३०% से घटकर मात्र ६% रह गई है। १९५१ में भारत में मुस्लिम
१०.४% थे जो सन २०१३ में १८% हो गए हैं।
४.मुस्लिमों को विशेष
रियायतें क्यों: किसी भी मुस्लिम देश में अल्प-संख्यक हिंदुओं के लिए विशेष अधिकार
नहीं हैं तो भारत में मुस्लिमों को क्यों? ५७ मुस्लिम देशों में से
किसी में भी हज के लिए विशेष रियायतें नहीं दी जाती तो भारत में क्यों; जबकि अमरनाथ, सबरीमलाई वकैलाश-मानसरोवर
के हिंदू यात्रियों पर टैक्स लगाया जाता है; क्यों? आन्ध्र-प्रदेश सरकार ईसाई
तीर्थ यात्रायों को हिंदू करदाताओं के पैसे से सब्सीडी (Subsidy) देती है। कौनसागधाकहता है कि कानून
सबके लिए एक जैसे हैं? कोई एक मुल्ला या मौलवी बताइये; जिसने आतन्कवाद के विरुद्ध
फतवा जारी किया हो।
५. हिंदुओं के साथ सौतेला
व्यवहार क्यों: किसी भी ईसाई देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं को विशेष अधिकार प्राप्त
नहीं हैं; तो फिर ईसाईयों को भारत में क्यों? संयुक्त-राष्ट्र-संघ कहता
है कि जनसंख्या के १०% से कम आबादी वाले; और भारतीय संविधान कहता है
कि १.५% की आबादी वाले लोग ही अल्पसंख्यक हो सकते हैं। तो फिर भारत में १८%
मुसलमानों को अल्पसंख्यक मानना क्या महामूर्खता नहीं है? कई भारतीय राज्यों में
अल्प-संख्यक हिंदुओं के अधिकार उल्टा वहाँ के बहुसंख्यक मुस्लिमों व ईसाईयों को
दिए गए हैं। हिंदुओं के साथ यह सब बेतुकी गुंडागर्दी, बेईमानी, अधर्म, अन्याय,गद्दारी व सौतेला व्यवहार क्यों? मुस्लिम देशों में हिंदुओं
के साथ सरेआम भेदभाव व निरादर होता है; पर भारत में उन्हें विशेष
सुविधाएँ दी जाती हैं। कौन कहता है कि भारत में
क़ानून सबके लिए एक है? संतोंके लिए तो जेल; और भृष्ट लुटेरे नेताओं को
मंत्री पद? मुस्लिम जलूस तो जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त
हिंदू बहुल क्षेत्रों से गुजरने देते हैं; पर हिंदुओं के जलूस मुस्लिम
बहुल क्षेत्रों से नहीं गुजरने देते।कांग्रेस यही बर्ताव मुसलमानों के साथ करके
दिखाए।
६. हिंदू मंदिरों का पैसा
मुसलमानों पर खर्च क्यों: हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा मंदिरों के कल्याण हेतु दी गई
बेशुमार दान-राशि मुस्लिमों व इसाईयों के कल्याण के लिए खर्च की जाती है। क्या इसी प्रकार मस्जिदों व
चर्चों की धन-राशि हिंदुओं के कल्याण के लिए खर्च की जाती है? टैक्स-दाता हिंदुओं का धन
क्या तुम्हारे बाप का है जो तुम उसे अल्पसंख्यकों के नाम पर मुसलमानों व ईसाईयों
पर लुटा रहे हो ? भारत सरकार ३ लाख मंदिरों
के पैसों को हड़प कर मुल्ला-मौलवियों को वेतन देने में खर्च करती है; यदि इस हिजड़ी सरकार में दम
है तो मस्जिदों की आय को पुजारियों को बाँट कर दिखाए। सन २००४ में शिरडी साईं
बाबा संस्था का ५०० करोड़ रुपया कांग्रेस सरकार ने हड़प कर मदर्सोँ एवं चर्चों में
वितरित कर दिया है। पद्मनाभ मंदिर के अंदर जमीन से निकला सोना; जो हिंदू धर्मार्थ कार्य
में लगना चाहिए था; गद्दार कांग्रेस ने हड़प लिया है।
७. एक हांडी में दो पेट
क्यों: बंगालादेश से आये मुस्लिमों को आसाम में बसाने व नागरिकता प्रदान करने में
सरकार ने आई.एम् डी. की धारा बना रखी है; लेकिन भारतीय हिंदू
जम्मू-काश्मीर में नहीं बस सकते। जम्मू-काश्मीर में विधायक, मंत्री और न्यायाधीश भारतीय
संविधान नहीं बल्कि राज्य के संविधान के प्रति सत्यनिष्ठा और राज्यभक्ति की शपथ
लेते हैं; फिर भी धारा ३७० को नहीं तोड़ते। अरे डूब मरो; लानत है तुम्हारे मुँह पर। हिंदी पत्रिका के संपादक
आलोक तोमर को मोहमद पैगम्बर का कार्टून छापने के लिए गिरफ्तार किया गया; पर हिंदू देवी-देवताओं और
भारत माता का नग्न चित्र बनाने वाले एम.एफ हुसैन को कब गिरफ्तार करेंगे? मुस्लिम एक समय में चार
पत्नी रख सकता है; पर हिंदू के एक से अधिक पत्नी रखने से क़ानून भंग
होता है। सन २००७ में उत्तर-प्रदेश के परिवार-नियोजन मंत्री ने घोषणा की थी कि
परिवार नियोजन केवल हिंदुओं के लिए है; मुस्लिम स्त्रियाँ जितने
चाहें बच्चे पैदा करें; अतः २००७ से सरकार हर मुस्लिम बच्चे को पैदा करने
के लिए १४०० रुपये अनुदान देती है; ताकि उनकी संख्या बढ़ाकर देश
को मुस्लिम राष्ट्र बना सकें। मसलमान हिंदुओं को अल्पमत
में करने और अपने को बहुमत में करने के लिए लव-जेहाद व बंगलादेशी घुसपैठियों आदि
के जरिये दिन-रात अपनी आबादी बढा रहे हैं। पश्चिमबंगाल के लगभग ८०००
गावों में एक भी हिंदू नहीं बचा है; और २०,००० गाँवों में हिंदुओं की आबादी ३०% से भी कम रह
गई है।
८. देशद्रोही व गद्दार
मीडिया: जब अकेला ईसाई ग्राहम स्टोन मारा जाता है तो अंग्रेजी प्रेस ने उस बात की
खूब निंदा की; लेकिन गोधरा (गुजरात) में साबरमती एक्सप्रेस में
धार्मिक यात्रा से रेलगाड़ी में लौटते हुए ३० औरतों और बच्चों सहित ५८ हिंदुओं को
ज़िंदा जला देने के नरसंहार पर ये कमीने गद्दार प्रेसवाले चुप्पी साधे रहे; और इसके लिए कोई आयोग नहीं; लेकिन मुसलमानों के लिए
शोर-शराबा करके आयोग बैठा दिया गया; और वर्षों तक उसकी ख़बरें
बार बार उछाली गयी। गद्दार मीडिया का ‘टाइम्स आफ इंडिया’ २९ जुलाई २००४ के अंक में
अपने सम्पादकीय में भारत में बंगलादेशीय घुसपैठियों की वकालत करता है! चार लाख
विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के बारे में कोई कुछ नहीं बोलता। ईसाई आतंकवादी
(नक्सलवादियों) द्वारा लगभग २ लाख पुलिस व मिलट्री वालों को मारा गया; फिर भी पाखंडी मीडिया, पक्षपाती मानवाधिकारी आयोग
और धर्मविरुद्ध बेईमान नेता चुप क्यों हैं? यह कैसा काला क़ानून है? सैंकड़ों सबूतों के अनुसार
मानवाधिकार आयोग ९५% पक्षपाती है। सब क़ानून हिंदुओं को बांधने
के लिए ही बनाए जाते हैं।
९. स्कूलों में कुरान व
बाईबल पर गीता क्यों नहीं: ईसाई स्कूलों में बाईबलव मस्लिम स्कूलों में कुरान पढाई
जाती है तो फिर हिंदू स्कूलों में गीता व रामायण क्यों नहीं? अरबी भाषा की उन्नति के लिए
तो भारत सरकार सहायता देती है; जबकि संस्कृत को निरुत्साहित किया जाता है। हिंदुओं के भारत में ईसायत
व इस्लाम पढाने हेतु पांच-पांच विश्वविद्यालय हैं; जबकि हिंदुत्व पढाने वाला
एक भी विश्वविद्यालय नहीं है। मूर्गीखाने व सूअरखाने और
गाय-माताओं के कत्लखाने खोलने के लिए सब्सिडी वाला ऋण (लोन) देकर गौ-हत्या को
खुलेआम प्रोत्साहित दिया जा रहा है।
१०. सर्व-धर्म समान कैसे:
क्या हिंदुओं की भांति इस्लाम व ईसाइयत सर्वधर्म-समभाव में विश्वास करते हैं? यदि हाँ तो फिर यह
धर्म-परिवर्तन क्यों? ईश्वर, अल्लाह (गौड) व जहोवा के
उपदेश ९९% विरोधी हैं। कुरान, बाईबल एवं वेदों को स्वंय
मिला कर देख लें। ईसाई मिशनरी हिंदू क्षत्रों
में ही धर्म-परिवर्तन करते हैं; मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में जाकर धर्म-परिवर्तन
क्यों नहीं करते; क्योंकि उन्हें काट कर फेंक दिया जाएगा। हिंदू धर्म व हिंदुओं के
सिद्धांत सर्वोत्तम व सर्वगुण संपन्न है। तभी तोपश्चमी देशों के
वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, प्रोफेस्सर, डाक्टर, इंजिनियर, उद्योगपति आदि तो हिंदुत्व
और हिंदू धर्माचार्यों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। परन्तु भारत में मिशनरी लोग
अशिक्षित लोगों को गुमराह करके उन्हें ईसाई बना रहे हैं।
११. इमामों व पादरियों को
जेल क्यों नहीं: २००७ के RTI-Right to Information Act के अनुसार दिल्ली के शाही इमाम अब्दुल्ला सैय्यद
बुखारी के विरुद्ध ६७ गैर जमानती वारंट हैं; क्या किसी कोर्ट या पुलिस
में हिम्मत है उसे गिरफ्तार करने की; संतों को तो झूठे केश बनाकर
भी आये दिन जेलों में सड़ने के लिए ठूंस दिया जाता है। केरल के ६३ ईसाई पादरियों
पर वर्षों से हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, व्यभिचार, छेड़छाड़, अपहरण, चोरी व ठगी के मामले दर्ज
हैं; जिन पर आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है।
१२.कांग्रेस का
राष्ट्रद्रोह: भारत को धीरे-धीरे इस्लामी-राष्ट्र और ईसाई-राष्ट्र बनाने व हमारा
अस्तित्व मिटाने के लिये कांग्रेस बहुत ही लंबे समय से सोचा-समझा गहरा षडयंत्र रच
रही है। कांग्रेस (आल इंडिया कैथोलिक कांग्रेस) व उसकी सभी साथी पार्टियां
मुल्लों व ईसाईयों की दास हैं; जिनमें अधिकतर नेता व तीस महिला अध्यक्ष सारी की
सारी ईसाई हैं। विडम्बना है कि मुसलमानों के लिए ये धूर्त कांग्रेसी न्यायालयों के
निर्णय ही बदल देते हैं। राहुल (४४ वर्षीय कंवारे व
अनुभवहीन बूढ़े) ने वी.एच.पी. तथा सिम्मी को एक जैसा कहा है। क्या उसकी अक्ल का दिवाला
निकल गया है? संविधान की अवहेलना करते हुए प्रधानमन्त्री मनमोहन
सिंह कहता है कि भारतीय संसाधनों पर मुसलमानों का पहला हक है। क्या वे पकिस्तान के
प्रधानमंत्री हैं? रामायण के रचियताऋषि वाल्मीकि (निम्न जाति के थे); और महाभारत व वेदों को
लिपिबद्ध करने वाले वेदव्यासजी मछलीगंधा के पुत्र होने के कारण क्षुद्र थे। उनके ग्रन्थ तो हिंदुओं में
पूज्य हैं; पर उनकी जाति के लोगों को मंदिरों में प्रवेश नहीं; क्यों?
१३. देशद्रोही सोनिया डायन:
सन २००९ में सोनिया डायन ने चुनाव-आयोग को लिखित में दिया कि उसके पास न कार है, न कोठी; केवल २० हजार रुपये और एक
लाख के जेवर हैं। लेकिन सन २०१३ में वह
दुनिया की चौथी बड़ी धनवान बन चुकी है। कहाँ मर गया क़ानून और कोर्ट? पूरे १९ वर्षों के बाद
सोनिया डायन भारत की नागरिक बनी हैं और अब भी वह इटली की नागरिक भी है; क्योंकि वह भावनात्मक रूप
से इटली से ही जुड़ी व प्यार करती है; भारत से नहीं। प्रधानमंत्री राजीव गांधी
के साथ गई सोनिया डायन ने नेपाल-राजा वीरेंद्र से धर्मान्तरण कार्यों में अपराधी
९० मिशनरियों को जेलों से छोड़ने हेतु कहा था। राष्ट्र-संघके २०५ देशों
में से एक में भी कोई ऐसा प्रावधान नहीं है कि विदेशों में जन्म हुआ व्यक्ति उस
देश का राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष या कोई भी राजनैतिक आफिस का प्रमुख बन सकता है। भारत में देशद्रोही व
चापलूस कांग्रेसी सोनिया-डायन को गद्दी पर बिठाकर राष्ट्रद्रोह क्यों कर रहे हैं? चख लिया मजा विदेशी ईसाई को
अपने वोट से सत्ता सौंपने का? आज सोनिया डायन देश को लूट कर रखा गयी है। फिर भी भाजपा चुप क्यों है? फूटवादी गद्दार पार्टी
नेताओं से दोस्ती, रिश्तेदारी भी सरासर गद्दारी है। भारत का प्रजातंत्र एक धोखा
है; इसकी हत्या हो चुकी है; क्योंकि यहाँ जो बहुमत
चाहता है (गो-हत्या, नशा, आतंक पर ढील, भृष्टाचार, गंदी फिल्में, धारा ३७०, धर्म-परिवर्तन, असमान क़ानून, घुसपैठ बंद हों); उसे सरकार कभी नहीं करती। धर्म (पति) के बिना राजनीति
(पत्नी) एक बेलगाम वेश्या बन गई है।
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