यदि आप आशाराम बापू, बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर, श्री जयेंद्र सरस्वती, गुरमीत राम रहीम आदि संतों को (जी हाँ मैं उन्हें अब भी संत कह रहा हूँ) झूठा, दुराचारी और ठग मानते हैं तो आपसे अनुरोध है की थोडा समय देकर यह पोस्ट अवश्य पढ़ें। बहुत दिनों से मीडिया में संत आशाराम के खिलाफ एक बवाला मचा हुआ है, पूरा मीडिया हाथ धो कर आशाराम के पीछे ऐसे पड़ गया है जैसे पूरे देश में वही एक पापी बचे हो और यह देशकी इकलोती समस्या हो। कई लोग बिना कुछ सोचे समझे इस बाजारू मीडिया की बातों में आकर बिना सत्य की पड़ताल किये तथा बिना आशाराम बापू का पक्ष सुने उन्हें कोस रहे क्योंकि उन्हें लग रहा है जब इतने लोग उनके खिलाफ बोल रहे हैं तो सही ही होगा।
                             यदि आप भी उन लोगों में से हैं तो यह जान लीजिये की आप पूर्णतया गलत हैं। आइये जानते हैं कैसे। जब भी मीडिया आश्रम व आदि संतों के खिलाफ दुष्प्रचार करता है तो हमारे द्वारा कहा जाता है की यह संतों के खिलाफ एक सोच समझा षड्यंत्र है।अब आप कहेंगे की मीडिया को क्या पड़ी है जो केवल इन संतों के खिलाफ दुष्प्रचार करेगा ? तो उसका उत्तर है की यह मीडिया वास्तविक देशहित में कार्य करने वाला मीडिया नहीं बल्कि यह बाजारू मीडिया है जिनके मालिको का सीधा सम्बन्ध उन बड़ी बड़ी विदेशी कम्पनियों से हैं जिनका माल आप खरीदते हो तो उन्हें मुनाफा होता है l यदि विज्ञापनों से होने वाली आय को ना गिनें तो इन कम्पनियों के खुद के न्यूज़ चैनल हैं तथा ये देश के मुख्य अखबारों को सस्ता न्यूज़प्रिंट देती हैं l जिस कारण यह मीडिया इनका मुखपत्र बन कर रह गया है l अब आप सोचते होंगे, चलो ये सब तो ठीक है मान लिया मीडिया विदेशी कम्पनियों द्वारा चालित है।पर इससे आशाराम तो निर्दोष साबित नहीं होते। इन विदेशी कम्पनियों को आशाराम को बदनाम करने की क्या पड़ी है ?? क्या उनकी आशाराम से निजी दुश्मनी है ?? इसका उत्तर है की 'इसके पीछे दुश्मनी नहीं बल्कि अर्थशास्त्र है'  
                     आइये जानते हैं कैसे……… मान लीजिये आशाराम बापू का एक अनुयायी हैं जो उनके बताये रस्ते पर चलते हुए... शराब,सिगरेट,चाय, गुटखा, तम्बाकू का सेवन नहीं करता। विदेशी कम्पनियों द्वारा बनाये गए उत्पाद नहीं खरीदता। ब्रहमचर्य ला पालन करते हुए संयम बरतता हैं। तो इन कपनियों का इससे हर वर्ष हजारों करोड़ का नुक्सान होता है। आप कहेंगे ये क्या बकवास है ? इन सबसे इन कम्पनियों का नुक्सान कैसे होता है।?? वो ऐसे की मान लीजिये वो यदि एक व्यक्ति महीने में इन सब चीज़ों का सेवन/उपयोग करता है तो उसका इन चीज़ों पर महीने भर का खर्च कम से कम 1000 रुपये (खर्चा निशित रूप से कई ज्यादा होता है) होगा और यदि आशाराम बापू के लगभग पूरे देश में 1 करोड़ अनुयायी हैं तो यह संख्या 1 हज़ार करोड़ हो जाती है l तो यदि केवल 1 महीने इन कम्पनियों का 1000 करोड़ का नुक्सान होता है तो साल भर का नुक्सान 12000 करोड़ हुआ l अब आप ही बताइए जब अकेले आशाराम बापू की वजह से इन कम्पनियों को सालाना 12 हज़ार करोड़ का नुक्सान हो रहा है तो यदि बाकि सभी संतों के अनुयाइयों की संख्या को इसमें जोड़ दी जाये तो यह आंकड़ा लाखों करोड़ में जाएगा l तो जिनकी वजह से इन कम्पनियों को सालाना लाखों करोड़ का घाटा हो रहा हो जनता पर से उसका विश्वास हटाने के लिए क्या ये कम्पनियां आशाराम बापू व अन्य संतों को क्यों बदनाम नहीं कर सकती ? वो तो ज़रूर करेंगी। यह तो केवल आर्थिक कारण था इसके अलावा एक और कारण यह है की आशाराम बापू मिशनरियों द्वारा किये जा रहे धर्मांतरण में सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं। कई दलित व आदिवासी बच्चों को आशाराम बापू ने इसाई बनने से रोका है जिसका रोष मिशनरियों के मन में अब तक है। जब भी कोई संत भारतीय संस्कृति का प्रचार करता है अनुयाइयों के मन में एक गर्व उत्पन्न होता है और जिसके हृदय में संस्कृति और धर्म के प्रति यह गर्व उत्पन्न हो जाता उसका धर्मान्तरण करना लगभग असंभव हो जाता है। पर अब भी आपका मन इसे षड्यंत्र नहीं मान रहा होगा और यह सवाल मन में बार बार आ रहा होगा की कोई लड़की किसी पर ऐसा आरोप लगाकर स्वयं के साथ उस व्यक्ति को भी बदनाम क्यों करवाएगी ? इसका उत्तर है की इस देश में बिकाऊ लोगों की कोई कमी नहीं है जिन्हें आसानी से खरीदा जा सकता है। जिसके कारण इन विदेशी कम्पनियों को लाखों करोड़ का घाटा उठाना पड़ रहा हो उसे अपने रस्ते से हटाने के लिए क्या यह कम्पनियां कुछ करोड़ रुपये खर्च नहीं कर सकती ?? अतः इस लेख द्वारा हम आपको साफ़ कर देना चाहते हैं की यह केस मात्र आशाराम बापू को बदनाम करने के मकसद से किया गया है, इस केस में आशाराम बापू के खिलाफ कोई सबूत नहीं है तथा इसे केवल मीडिया ने चडाया हुआ है जिस कारण आशाराम बापू के बरी होने की पूरी पूरी सम्भावना है। हम आपको यह भी साफ़ कर देना चाहते हैं की हममें से कोई केवल आशाराम बापू का अनुयायी नहीं बल्कि हम सब पूरे संत समाज के अनुयायी हैं जिनकी वजह से हम अपनी लाखों वर्षों पुरानी महान संस्कृति को जान पाए।इसीलिए हम सदा उनके साथ थे, हैं और सदा रहेंगे l वन्दे मातरम् , भारत माता की जय। सनातन धर्म की जय।