एक सटीक और सार्थक चिंतन........नव-वर्ष कौनसा, कब और कैसे मनाये ? नववर्ष का मतलब होता है वो कैलेंडर जिसके हिसाब से जिंदगी चलती हे, वो कैलेंडर जिसके हिसाब से आपका खान पान और त्यौहार मनाये जाते हे। जैसा की हम भारत देश में रहते हैँ और हम अपने जिंदगी को भारतीय कैलेंडर के हिसाब से ही चलाते हे परन्तु आज हम कुछ युवा अपनी राह भटक रहे हे जिनको इतिहास का आइना दिखाना जरुरी है। अगर अंग्रेजी नववर्ष बनाना में मजा है, अगर अंग्रेजी नववर्ष बनाना अपने आप को कूल और ओपन माइंड का दिखाना हे, तो एक बात याद रखे आज से 66 साल पहले ये अंग्रेज इस देश में थे तब इन्होने बोर्ड लगाये थे जिसपे लिखा था भारतीयों और कुत्तो के प्रवेश पर पाबन्दी.... आज उन अंग्रेजो के जूते के निशान पर चलकर युवा कूल नहीं उनके वही पालतू बन रहे हैँ। देखिये भाई बहनों आप भले ही कितना मॉडर्न हो जायेंगे हम भारतीयों से पीछे ही रहोगे क्यों की हमारे पास दुनिया का सबसे पुराना विज्ञान है। आज जहाँ ये अंग्रेजी नववर्ष रात को दारु पीकर गिरते पड़ते मनाया जाता है वहीँ हमारा भारतीय नववर्ष तब मनाया जाता है, जब सूर्य का चक्कर पूरा कर धरती उसी जगह आती है। हमारे विज्ञान के सामने आपका ये नववर्ष चुल्लू भर भी नहीं है। भारत के कैलेंडर के हिसाब से किसान की खेती होती है, हर मौसम के हिसाब से त्यौहार होते हे, हर ऋतू के अनुसार हमारा खानपान होता है, एक तरह से कहू तो जिंदगी विज्ञान के रास्ते से चलती है। दूसरी तरफ अंग्रेजो का क्या 12 महीने काले कोवे के तरह सूट पहनकर पिज़्ज़ा खाते रहते हैँ। यहाँ साल शुरू होता हे तो पंजाब में किसान बैसाखी मनाते हैँ, उधर हिन्दू रामनवमी मनाते है, महिलाएँ गणगौर सजाती हैँ, महाराष्ट्र में गुडी पडवा होता है, बैंक अपना सालभर के खाते चालू करते हैँ। गाव से लेकर शहर तक हर्ष उल्लास होता है ख़ुशी होती है। हाँ दारु और जानवरों की भाति नाच नहीं होता। जैसे अंग्रेजो की सभ्यता संस्कार वेसा ही उनका नववर्ष होता है आजकल तो काफी भारतीय भी इस जंगली महोत्सव का हिस्सा बनते हैँ : रात होते ही जोर जोर से गाने बजाकर नाचते हे इतना तो लोग शादियों में नहीं नाचते । कुछ युवा शराब और ड्रग्स लेकर बेहोश हो जाते हे और नशे में नववर्ष की जगह हैप्पी बर्थडे कर देते हे, बाकी कुछ युवा शराब पीकर घर से निकलते तो हैँ नववर्ष पार्टी के लिए सुबह आखेँ अस्पताल में खुलती हैँ, बाकि बचे कुछे युवाओँ को या तो भिखारी सुबह फुटपाथ से उठाते हेँ या कुत्ते चाटकर उठाते हैँ। यह युवा इस प्रजाति के हैँ जो जन्मअष्टमी की रात को 12 बजे तक जाग नहीं सकते परन्तु नववर्ष की रात को 12 बजे तक तो जागेंगे। यह युवा इस प्रजाति के हैँ जो दीपावली को प्रदुषण बोलेंगे परन्तु नववर्ष की रात को आतिशबाजी के आनंद लेंगे, यह युवा इस प्रजाति के हैँ जो नवरात्र और जगराते को शोर बोलते हे परन्तु नववर्ष की रात के बाजे को मजे बोलेंगे। यह युवा इस प्रजाति के हैँ जो होली दिवाली को बड़ोँ से आशीर्वाद नहीं लेंगे परन्तु रात 12 बजे नववर्ष की बधाई ऐसे देंगे जैसे उसी समय में पापा बने हो। यह युवा इस प्रजाति के हैँ जो रामनवमी पर जय श्री राम बोलने में शर्माते हैँ परन्तु अंग्रेजी नववर्ष की रात को कुत्तो से ज्यादा तेजी से नववर्ष बधाई देते निकलते हैँ। ध्यान रहे इस देश की आजादी को लाख भारतीयों ने अपने खून से सीँचा है। इस देश की संस्कृति की रक्षा के लिए उन्होंने 500 साल लड़ाई लड़ी है, इस देश के भविष्य को अंग्रेजोँ से आजादी दिलाई है तो क्या आज आप लोग आजादी के इतने सालो के बाद भी खुद को स्वदेशी बना नहीं पाए ????? कम से कम आजादी को बनाये रखे मानसिकता को अंग्रेजो का गुलाम नहीं बनाये। देश हित , जन हित और स्व - हितार्थ अंग्रेजी मानसिकता का अन्धानुकरण हम कतई ना करे। शुभ - कामनाये कभी भी, कैसे भी और कहीं भी स्वागत योग्य है।