रामप्रसाद विस्मिल जी की कविता। सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है एक से करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है रहबरे-राहे-मोहब्बत रह न जाना राह में लज्जते-सेहरा-नवर्दी दूरि-ए मंजिल में है । यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार, क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है ? ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान, हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद, आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर, और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर. ख़ून से खेलेंगे होली अगर वतन मुश्क़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से. और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न, जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम. ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब, होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज. दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में अधूरी कड़ियाँ ................... चर्चा अपने क़त्ल का अब दुश्मनों के दिल में है, देखना है ये तमाशा कौन सी मंजिल में है ? कौम पर कुर्बान होना सीख लो ऐ हिन्दियो ! ज़िन्दगी का राज़े-मुज्मिर खंजरे-क़ातिल में है ! साहिले-मक़सूद पर ले चल खुदारा नाखुदा ! आज हिन्दुस्तान की कश्ती बड़ी मुश्किल में है ! दूर हो अब हिन्द से तारीकि-ए-बुग्जो-हसद , अब यही हसरत यही अरमाँ हमारे दिल में है ! बामे-रफअत पर चढ़ा दो देश पर होकर फना , 'बिस्मिल' अब इतनी हविश बाकी हमारे दिल में है ! सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में।