विज्ञान ने भी स्वीकार किया अध्यात्म का स्वास्थ्य से गहरा सम्बन्ध। आध्यात्मिकता का स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। बच्चों के मामले में तो यह बात सौ फीसदी सच साबित हुई है। फ्लोरिडा में फोर्ट लॉरलडेल स्थित नोवा साउथ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी में साइकॉलोजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बैरी नोरेनबर्ग हाल ही में किये गये धार्मिक आस्था और स्वास्थ्य के बीच के संबंधों के अध्ययन के बाद इस नतीजे पर पहुँचे कि भगवान को मानने वाले और माता-पिता व संबंधियों (अभिभावकों) के साथ मंदिर, आश्रम, गुरूद्वारे जैसे धार्मिक स्थलों में जाने वाले बच्चे ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। अब तक इस दिशा में हुए अध्ययन से यह तो साबित हो चुका है कि ईश्वर में श्रद्धा रखने और पूजा पाठ करने से हृदय रोग, सिरोसिस, एंफिसाइमा और दिल के दौरों की आशंका को कम किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय निकाल कर मंदिर जाने और रोज प्रार्थना करने से मन को तो सुकून मिलता ही है, साथ रोगों से भी बचाव होता है। यहाँ तक कि जो बीमार होते हैं, उनके स्वस्थ होने की दर भी तेज हो जाती है। दरअसल बड़ी उम्र के लोगों पर तो इस तरह के कई अध्ययन हो चुके हैं, किंतु प्रार्थना और भगवान भरोसे का बच्चों के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है, इस ओर अभी काफी कम लोगों का ध्यान गया है। डॉ. बैरी कहते हैं- जो बच्चे धार्मिक जगहों पर जाते हैं, उनमें वहाँ न जाने वाले बच्चों के मुकाबले ज्यादा टी-सेल्य पाये गये, जो उत्तम स्वास्थ्य से संबंध रखते हैं। धार्मिक आस्था और बीमारी के बीच संबंधों के अध्ययन के लिए इंड स्टेज ऑफ रीनल डिसीज के शिकार 6 से 20 साल के 16 बच्चों पर अध्ययन किया गया, जो डायलिसिस पर थे। आध्यात्मिकता के प्रति उनके व्यवहार व नजरिये पर उनसे सवाल-जवाब किये गये। बच्चों के जवाब को ब्लड लेवल, ब्लड यूरिया नाइट्रोजन, लिंफोसाइटस, पैराथायरॉइड हार्मोन, एल्ब्युमिन, फॉस्फोरस और यूरिया रिडक्शन रेसियो से जोड़कर देखा गया। जो बच्चे भगवान में विश्वास रखते थे, उनके ब्लड यूरिया नाइट्रोजन ( BUN ) का लेवल सामान्य पाया गया व अन्य परीक्षणों में भी उनकी स्थिति बेहतर पायी गयी। स्रोतः लोक कल्याण सेतु, अक्तूबर 2010, पृष्ठ संख्या 10, अंक 160 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ