5th Jan 2014 स्वामी स्वात्मबोधानंदजी प्यारे बंधुओं इस बापूजी की लीला को तो हम सब लोग सुन रहे हैं और इसे अनुभव भी कर रहे हैं । पर अब इन लीलाओं में हम समस्त वानर, भालुओं को भी कुछ करना चाहिए । भगवान श्री राम ने अपने श्री मुख से हनुमानजी से और वानर, भालुओं से यह नहीं कहा कि लंका में जाना और लंका में आग लगा देना । क्योंकि वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं । तो क्या हनुमानजी महाराज चुपचाप बैठे रहें ? इशारों को, संकेतों को समझें । एक रामायण में ऐसी कथा है कि जब पूँछ में आग लगाई गयी और लंका जलने लगी तो अब उस पूँछ की आग को समाप्त करने के लिए रावण ही उस पूँछ में लटक गया । हनुमानजी रावण को लेकर आकाश में उड़ गये । अब रावण कहता है हनुमानजी महाराज अपनी पूँछ को अब निचे नहीं गिराना । मुझे आकाश में ही रहने दो । हनुमानजी ने वहाँ लंका को जलाया और यहाँ भी आपको कुछ जलाना है, सिस्टम को बदलना है । अभी हमारे संचालक महोदय कह रहे थे सदुपयोग और दुरूपयोग । हर अच्छी वस्तु का जहाँ-जहाँ दुरूपयोग हो रहा है, बापूजी इसीलिए जेल में गये स्वेच्छा से । जब शेर पिंजरे में होता है तो सियारों को मौका मिलता है । अच्छी वस्तुओं का जहां-जहां दुरूपयोग हिंदुस्तान में हो रहा है, उन दुरूपयोग रूपी, शंका रूपी लंका को जला डालना है । शंका ही लंका है । इसी को हिंदुत्व कहते हैं । जो अपने आपको हिंसा से दूर रह करके और शंका रूपी लंका को जो जला डालता है वह हिन्दू है । स्वामी स्वरुपानंदजी बिना कारण के कोई कार्य नहीं होता । कार्य के बिना कोई कारण नहीं बनता । अहमदाबाद धर्म रक्षा संत सम्मेलन में क्या था ऐसा कई लोगों ने पूछा । धर्म रक्षा संत सम्मेलन में आने वाले समय के लिए बहुत बड़ी शक्ति नजर आई । धर्म रक्षा संत सम्मेलन में आज संतों ने धर्म का बहुत बड़ा बीज बोया है । और वह बीज बहुत बढ़ता-बढ़ता बढ़ जायेगा और ऐसा समय आयेगा, कि पूरा भारत दुबारा से स्वतंत्र होगा, जो अब नहीं है । स्वामी विवेकानंदजी अमेरिका में गये तो वहाँ के धर्माचार्य सब इकट्ठे हुए । उन्होंने कहा यह तो भारत का बहुत बड़ा विद्वान संत है । यह हम सबको पराजित कर देगा । शास्त्रार्थ में हरा देगा । इसका क्या किया जाये ? सबने मिलकर कहा भारत के लोगों का मूड बहुत जल्दी खराब हो जाता है इसका मूड खराब कर दिया जाये । भारत के लोग सबसे ज्यादा गीता को मानते हैं । सभी शास्त्रों को इकट्ठा करके गीता को सबसे निचे रख दिया । और स्वामी विवेकानंद से पूछा गया क्या आपकी गीता यहीं है जो सबसे नीचे दबी हुई है ? स्वामी विवेकानंद ने कहा वाह गीता ! मैं आपसे यही आशा करता था, आप सारी दुनिया का वजन उठाकर रखना और इस पाप को भी दूर कर देना । उन्होंने कहा इसका तो मूड खराब नहीं और अच्छा हो गया । अगली बार फिर ले जाया गया तब गीता को सबसे ऊपर कर दिया गया और दूसरे शास्त्रों को नीचे रख दिया गया । तब उन्होंने कहा के गीता से मुझे यही आशा थी, कि यह सबसे ऊपर ही जाने वाली है नीचे कभी नहीं रहेगी । मैं बापूजी को जेल में मिलने जोधपुर गया । मैंने वह कुटिया भी देखी । सैनी परिवार जो रहता है उनसे भी हम मिले । झूठ की भी कोई सीमा होती है । यहाँ तो सीमा ही नहीं रही झूठ की । वहाँ पर ऐसा काम कोई हो ही नहीं सकता । वह कुटीर जो इतनी साफ-सुधरी है, इतनी छोटी सी कुटीर में २ व्यक्ति ही रह ही सकते ज्यादा देर तक । जब बापूजी से मिलने जेल में गया, बापूजी कि आँखों में मैंने देखा तो बहुत कुछ दिखाई दिया । अपनी आँखों से उन्होंने मुझे पूरा चक्र दिखा दिया दुनिया का । लगभग आधा घंटा हम बैठे । बापूजी ने इशारा किया की अब किसी ना किसी महापुरुष के बलिदान की आवश्यकता है । यह बलिदान की बात एक बार गुरु गोविन्द सिंह ने कही थी । उनके अपने पिता ने गुरु गोविन्द सिंह से कहा था की इस देश को बलिदान की आवश्यकता है । इसमें गुरु तेजबहादुर ने बलिदान दिया था । बापूजी ने कहा कि यह काम किसी ना किसी को करना ही था जो आज मैंने किया है । मुझे बड़े दुःख से कहना पड़ता है धर्म राज ने तो एक सीट की बात करी प्लेन में, इन लोगों ने तो आश्रम छीन लिया, संतों को बाहर कर दिया । स्वामी श्रद्धानंद जैसे व्यक्ति को एक रात में बाहर कर दिया । यह मंच आशाराम बापू का तो है ही लेकिन आज पूरा भारत बोल रहा है यहाँ से, पूरा देश बोल रहा है, पुरे भारत के संत लड़ाई लेकर आये हैं । आशारामजी बापू का यह बलिदान खाली नहीं जायेगा, एक-एक मिनट का हिसाब लिया जायेगा इनसे (षड्यंत्रकारीयों से) । इनकी चमड़ी उतरी जायेगी, इनकी अब वह दशा होगी जो आप सोच नहीं सकते । जो बापूजी को दंडित करना चाहते हैं वे संयम दंडित होंगें । बहुत से संतों को इन्होने जेल में डाला है । शंकराचार्यजी से लेकर आम संतों को जिन्हे कोई जनता भी नहीं जानती । ऐसे-ऐसे संत हैं जो आज तक जेल से बाहर ही नहीं निकले उनके आश्रम भी छीने गये, उनपर झूठे लांछन लगा दिये गये । आशाराम बापू बाहर आयेंगे, इनको कोई शक्ति नहीं रोक पायेगी । और एक बहुत बड़ी क्रांति लेकर आयेंगे, जिसके बाद देश में शांति आएगी । मैं उन नेताओं से कहना चाहता हूँ, किसी का नाम नहीं लूँगा, जो संतों का सन्मान करेगा हम उसके साथ हैं । अंग्रेज, यवन जब यहाँ पर आये पूरी लड़ाई लड़ते हुए चले गये, राजाओं को हराते हुए चले गये, यहाँ राज करते हुए चले गये । और वहाँ से उन्होंने बोला यहाँ से क्या लेता आऊँ । उसने बोला था यहाँ से किसी संत को संत को जरुर लेकर आना । भारत के संत की उस समय भी कीमत थी, और भारत के संत को लेने आये थे, लेकिन भारत के संत को नहीं ले जा सके, वो अपने आप चले गये । हमारे अंदर फुट नहीं पड़नी चाहिए । कई लोग बहुत देर से फूँक रहे हैं आग । करनाल में बापूजी की एक भक्त माई मुझसे मिली । मैंने कहा कि अधिकारी अगर पकड़ते हैं तो १० उसके साथ जाओ, पकड़ो कितने पकड़ोगे । हम ५-१० लाख जितनी चाहते हो हम गिरफ्तारी दे देंगे । वह जेल नहीं बनी जो हमको बंद कर लें । पूज्य स्वामी चक्रपाणि जी के साथ में पहले आया था । मैंने कहा स्वामीजी मैं आपके साथ चलूँगा । हम उन तोफों से नहीं डरे जो अब कागजों, समनों से क्या डरेंगे ? पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को जब फाँसी होनी थी तब उनकी अंतिम इच्छा पूँछी गयी । तब उन्होने कहा कि "मैं हवन-यज्ञ करना चाहता हुँ, जिसमें मैं वेद के मंत्र बोलुंगा, जिससे देश में क्रांति होगी । एक रामप्रसाद बिस्मिल जायेगा तो हजारों पैदा होंगे ।" श्री जालेश्वरजी महाराज, अयोध्या "आज हमारा भारत संक्रमणकाल से गुजर रहा है । हम धर्म की रक्षा अपनी रक्षा के लिए करें । धर्म उसी की रक्षा करता है जो उसका सन्मान करता है । यदि भगवान का अपमान करेंगे तो वे आपको छोड़ देंगे पर अगर संतों का अपमान करेंगे तो भगवान हम को कभी भी माफ नहीं करेंगे । हनुमानजी लंका गये । लंकावासियों ने हनुमानजी का खुब अपमान किया । हनुमानजी को बहुत सारा बरदाश्त करना पड़ा । उनकी पूँछ पर आग लगाने के लिए रावण ने लंकावासियों से चंदा मांगा था । जिसके घर जो भी कुछ कपड़ा-तेल आदि था वह सब दे दिया । तब हनुमानजी ने चंदा के बदले में प्रसादरुप में लंका को अपनी पूँछ से आग लगाई । पर उसमें बिभिषण का घर न जला । क्यों कि उन्होने हनुमानजी को जलाने के लिए चंदा नहीं दिया था । इसलिए हनुमानजी ने उनके घर अग्नि का प्रसाद नहीं भेजा । इसलिए संतों का सन्मान करना चाहिए । जहाजों को डूबा दे उसे तुफान कहते हैं । तुफानों से टक्कर ले उसे इन्सान कहते हैं । इन्सानों को जो सताये उसे शैतान कहते हैं । और शैतानों को जो निपटाये उसे हनुमान कहते हैं । इसलिए हम हनुमान चालीसा का पाठ करने का निवेदन आपसे करते है । आप स्वयं करे तथा जो जेल में है वह भी करें । हम सामुहिक रुप से प्रार्थना भी करें । परिणामस्वरुप धर्म की रक्षा होगी और इसके कारण अपने देश-समाज की रक्षा होगी । अपना शास्त्र यह कहता है कि जो निंदा और अपमान करते हैं, उस निंदा का पाप निंदा करनेवालों के सिर ही होता है । और जिनकी निंदा होती है उनको निंदा करनेवालों का पुण्य मिल जाता है । इसलिए निंदक का विनाश होता है । विनाशकाले विपरितबुद्धि ।" निलम दुबे, संत श्री आशारामजी आश्रम प्रवक्ता "मुझे देश-विदेशों से बहुत फोन आते हैं । सब कहते हैं कि मीडिया वाले बापू के लिए जो बकते हैं, हमसे बरदाश्त नहीं होता । मैं सबको यही कहुँगी कि मैं 17 साल से खुद एक टेलिविजन पत्रकार हुँ । टी.वी. रिपोर्टर के अलावा मैं special correspondent, crime reporter, political reporter, Senior Porducer, Executive Producer भी रह चुकी हुँ । यहाँ तक कि मैं CEO (Chief Executive Officer) भी रह चुकी हुँ । मैं जानती हुँ कि टी.वी. चैनल्स की मजबूरीयाँ क्या क्या होती है । मैं अच्छे से टेलिविजन चैनल्स के अंदर की बारीकीयाँ जानती हुँ । वे आपकी नफरत के पात्र नहीं, आपकी दया के पात्र हैं । उऩ टी.वी. पत्रकारों को भी यह मालूम है कि वे जो दिखा रहे हैं, वह सच नहीं है । पर मजबूरी के कारण उन्हे वह दिखाना पड़ता है । क्यों कि एक न्युज चैनल बंद पड़ने से 250-300 लोग बेरोजगार होते हैं । तो बहुत से घर बरबाद होते हैं । अभी पिछले 6 महिनों में बहुत से चैनलों ने कम से कम 500 लोगों को निकाल दिया है । तो यह उनकी मजबूरी होती है कि जो खबरे नहीं हैं उनको बनाना, उनपे खेलना, उनपे तमाशा बटोरना और उनपे ढिंढोरा पिटना । तो मीडियावाले घृणा के नहीं आपकी दया के पात्र हैं । आप इन्हे बक्ष दें । लेकिन जब आगे चलके बापू की कृपा से हुए चमत्कार सामने आयेंगे तो सब लोग षड्यंत्रों के बारे में भूल जायेंगे । मेरे पास ऑस्ट्रेलिया से एक लड़की का फोन आया जो कि बहुत अच्छे भजन लिखती है । उस लड़की को ब्रेन हैमरेज हुआ था और उसके 16 ऑपरेशन हुए । उस लड़की की खोपड़ी बाहर निकाल कर उस पर ऑपरेशन करने तक की नौबत आई । पर आज वही लड़की बिलकुल ठीक है । जब वह ऑपरेशन थियेटर में थी तब वह बापूजी से बात कर रही थी ऐसे वहाँ उस वक्त मौजुद लोगों ने कहा । ऑपरेशन के बाद डॉक्टर्स ही उस लड़की को कह रहे थे कि उन्होने उसको नहीं बचाया बल्कि किसी अलौकिक शक्ति ने बचाया । तब उस लड़की ने अपने पास की बापू की तस्वीर दिखाई कि यह मेरे गुरु है और उन्होने मुझे अपनी कोख में रखके जिंदा रखा । मैं बहुत जल्दी उस लड़की को आपके बीच में लाउँगी, जो खुद अपनी आपबीती बतायेगी । हमारे बापू के चमत्कारों की कहाँ से शुरुवात करुँ मुझे समझ में नहीं आता । अभी में जेल में गयी थी । मेरे मन में था कि मैं एक कहानी लिखु और उसप र आनेवाले समय में फिल्म बनाउँ । यह जो हकिकत को और रुप में लोगों के सामने पेश किया जा रहा है, मुझे बड़ी तकलीफ होती है । मैं कोर्ट में गयी क्यों कि मैं वे सारे दृश्य लिखना चाहती हुँ, जिसपर आगे चलके कहानी बनाउँगी । तो मैं वहाँ कोर्ट परिसर की सारी परिस्थिती का मुआयना कर रही थी । जब बापू वहाँ से निकले तब मैंने उनको झुकके नमन किया । बापू जी ने तब आशीर्वाद दिया । जब सरकारी वकील ने एफ.आय.आर. में लिखी गंदगी पढ़ी तो बापूजी अपने कान बंद किये । मुझे कहा िक, मैं तो क्या मेरा कोई साधक भी ऐसा नहीं कर सकता । मैं बापूजी से मिलने शाम को जेल में पहुँची । और भक्तों के जो अनुभव-संदेश मेरे पास थे, वे जब मैंने बापूजी को बताये तब उन्होने कहा कि 'आप सब भक्तों के संकल्प मेरे पास पहुँचते हैं । बहुत जल्द ही मैं जेल से बाहर आउँगा । मेरे साधकों के दिल में मैं हुँ और जेल में नहीं हुँ ऐसा तुम मानके चलो । जेल में तो यह शरीर है । जो सब का बापू है वह तुम्हारे भीतर है । तुम जब चाहो मुझे याद करना और तुम दर्शन कर सकते हो।"