ब्रह्मकुमारी संस्था की तर्कहीन मान्यताऐँ।
-सृष्टी मात्र हजार साल पहले की है।।।
-वेद नही होते। गीता उपनिषद आदि उपन्यास है।
-स्वर्ग नर्क नही मानते।। कुत्ता मर के कुत्ता बनेगा। इन्सान इन्सान ही बनेगा।
- आत्माये निश्चित है। सब कुछ निश्चित है। भिकारी को भिकारी रहने दो क्यों की उसे एसे ही होना था। यह संस्था अवैदिक है जो एक काल्पनिक और मिथ्या तथ्योँ पर टिकी है। परमात्मा को सातवें आसमान में बैठा हुआ बताती है। इनके अनुसार यह सृष्टि केवल हजार वर्ष के लिए बनी है। उसके बाद प्रलय हो जाएगा। उनकी गिनती के अनुसार हजार वर्ष तो हो गए पर अभी तक प्रलय हुआ नहीं है।

ब्रह्मकुमारी ट्रस्ट इसे मिथ्या मानते है। ------ पुनर्जन्म पर आर्ष ग्रंथो से प्रमाण।
१-    हे सुखदायक परमेश्वर! आप कृपा करके पुनर्जन्म में हमारे बीच में उत्तम नेत्रादि सब इन्द्रियाँ स्थापित कीजिये। (ऋग्वेद //२३/)
२-     परमेश्वर कृपा करके सब जन्मों में हमको सब दुःख निवारण करने वाली पथ्यरूप स्वस्ति को देवे। (ऋग्वेद //२३/)
३-     परमेश्वर सब बुरे कामों और सब दुःखों से पुनर्जन्म में अलग रखें। (यजुर्वेद /१५)
४-      हे जगदीश्वर! आपकी कृपा से पुनर्जन्म में मन आदि ग्यारह इन्द्रियाँ मुझको प्राप्त हों। (अथर्ववेद //६७/)
५-      जो मनुष्य पूर्वजन्म में धर्माचरण करता है उस धर्माचरण के फल से अनेक उत्तम शरीरों को धारण करता है। (अथर्ववेद ///)
६-      जीव अपने पाप और पुण्यों के आधार पर मनुष्य या पशु आदि अगले जन्म में बनते हैं। (यजुर्वेद १९/४७) रामायण और गीता से भी देता हूँ।
७-      श्री रामचन्द्र जी श्रीलक्ष्मण जी से कहते हैं:- लक्ष्मण! पूर्वजन्म में मैंनें अवश्य ही बारम्बार ऐसे कर्म किये हैं, जिनके कारण मैं आज दुःख में फंस गया हूँ। राज से भ्रष्ट हुआ, इष्ट मित्रों से बिछुड़ गया, पिता की मृत्यु हुई, माता-पिता से वियोग हुआ, हे लक्ष्मण! हमें ये सब शोक पूर्वजन्म के पापों के फलस्वरूप ही प्राप्त हुए हैं। (वाल्मीकि रामायण, अरण्यकाण्ड, सर्ग ६३, श्लोक ,)

८-      हे अर्जुन! मेरे और तेरे अनेक जन्म हो चुके हैं। मैं योग विद्या के बल से उन सबको जानता हूँ। परन्तु तू नहीं जानता। प्रत्येक मनुष्य को अपने-अपने शुभ या अशुभ कर्मों का फल तो अवश्य ही भोगना पड़ता है।