व्यक्ति की परख रंगों से। मानव के सर्वांगीण विकास में उसका व्यक्तित्व एक अहम् भूमिका अदा करता है और उसके व्यक्तित्व के विकास में रंगों का अपना अलग महत्व है। यदि किसी व्यक्ति को पहचानना हो, उसके स्वभाव का आकलन करना हो, उसके व्यक्तित्व का अनुमान लगाना हो तो वह उसकी वेशभूषा और उसके द्वारा पसंद किये गये रंगों के आधार पर सहजता से लगाया जा सकता है। एक सज्जन और शांत स्वभाव की महिला ने घर बदला और नये घर में डिजाइनयुक्त कलर करवाया… लाल, गुला कुछ दिनों के बाद उस महिला का स्वभाव बड़ा चिड़चिड़ा हो गया, खिन्न हो गया। इस बात की जाँच की गयी कि वह नये मकान में आकर चिड़चिड़े स्वभाव की क्यों हो गयी ? जाँच करते करते पता चला कि उसके निजी कक्ष की दीवारों के रंग का उसके मन पर असर हुआ है। आपके मन पर रंगों का प्रभाव पड़ता है और आपके स्वभाव के अनुसार ही आपको कुछ विशेष रंग अच्छे लगते हैं। आपको किस रंग के वस्त्र पसंद हैं ? इसके आधार पर आपके स्वभाव को मापा जा सकता है। जैसे भगवा रंगःजिसको गेरू रंग के वस्त्र (मिल के नहीं) पसंद हैं तो समझो कि वह व्यक्ति संयमप्रिय है, तपप्रिय है और भगवा रंग तप करने में मदद भी करता है। ऐसा व्यक्ति स्वच्छता पसंद करता है और उसके स्वभाव में सज्जनता का गुण प्रबल होता है यह भगवे रंग का प्रभाव है। लाल रंगःअगर आपको लाल रंग पसंद है या आप लाल रंग के वस्त्र पहनते हैं तो यह मांगल्य का सूचक है। लाल रंग अर्थात् तिलक (कंकु) लगाने वाला या गुलालवाला लाल रंग गाढ़ा लाल नहीं। एकदम गाढ़ा लाल रंग तो कामुकता की खबर देता है,लेकिन कुमकुम, गुलाल आदि को मांगल्य माना जाता है, इसीलिए तिलक करने और पूजन में इनका प्रयोग किया जाता है। ऐसा रंग शौर्यप्रियता का प्रतीक है और विजयी होने की प्रेरणा भी देता है। पीला रंगःपीला रंग ज्ञान, विद्या, सुख-शांतिमय स्वभाव और विद्वता का प्रतीक है। पीला अर्थात् हल्दीमय पीला। हरा रंगःअगर आप हरा रंग पसंद करते हैं या हरी-भरी प्रकृति को पसंद करते हैं तो इससे सुंदरता, मन की शांति, हृदय की शीतलता तथा उद्योगी, चुस्त और आत्मविश्वासी चित्त की खबर आती है। नीला रंगःअगर किसी को आसमानी नील रंग पसंद है तो इससे सिद्ध होता है कि उसके चित्त में औदार्य है, व्यापकता है। नीला रंग पसंद करने वाले व्यक्ति में पौरूष, धैर्य, सत्य और धर्मरक्षण की वृत्ति दृढ़ होती है। एक संन्यासी एक प्रसिद्ध स्कूल में गये और उन्होंने बच्चों से पूछाः “श्रीकृष्ण का वर्ण श्याम क्यों है ?” सब बच्चे और शिक्षक ताकते रह गये, लेकिन कुछ देर बाद पूरे स्कूल की लाज रखने वाला एक विद्यार्थी उठा और बोलाः “भगवान श्रीकृष्ण का वर्ण श्याम इसलिए है कि श्रीकृष्ण व्यापक हैं।” संन्यासीः “इस बात का क्या प्रमाण है ?” विद्यार्थीः “जो वस्तु व्यापक होती है वह नील वर्ण की होती है। जैसे सागर और आकाश व्यापक हैं, अतः उनका रंग नीला है। ऐसे ही परमात्मा व्यापक हैं। उनकी व्यापकता को बताने के लिए उनके साकार श्रीविग्रह का रंग नील वर्ण बताया गया है।” पूछने वाले संन्यासी थे स्वामी विवेकानंद और उत्तर देने वाला विद्यार्थी था मद्रास के होनहार मुख्यमंत्री राजगोपालाचार्य। श्वेत रंगःइसमें सब रंगों का आंशिक समावेश पाया जाता है। यह रंग पवित्रता, शुद्धता, शांतिप्रियता और विद्याप्रियता का प्रतीक है। काला रंगःकाला रंग, शोक, दुःख, निराशा, पतन, पलायनवादिता और स्वार्थप्रियता को दर्शाता है। मटमैला रंगःमटमैला रंग गंभीरता, विनम्रता, सौम्यता, लज्जा और कर्मठता का प्रतीक माना गया है। इस प्रकार रंग मानव-स्वभाव का चित्रण करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इन सब वस्त्रों के रंग तो ठीक हैं…..अच्छे हैं, लेकिन धोते-धोते फीके पड़ जाते हैं, जबकि आत्मरंग ऐसा रंग है जो कभी फीका नहीं पड़ता, बदरंग नहीं होता। श्री भोले बाबा कहते हैं- सब का रंग कच्चे जांय उड़ यक रंग पक्के में रंगे। और वह पक्का रंग है –अद्वैत आत्मतत्त्व का रंग,परमात्म-रंग। मीरा ने भी कहाः श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया,ऐसी रंग कि रंग नाहीं छूटे, धोबी धोये चाहे सारी उमरिया….. हमारी इन्द्रियों पर, हमारे मन पर संसार का रंग पड़ता है। रंग लगता भी है और बदलता भी रहता है, लेकिन भक्ति और ज्ञान का रंग यदि एक बार भी लग जाय तो मृत्यु के बाप की भी ताकत नहीं है कि उस भक्ति और ज्ञान के रंग को छुड़ा सके।