जब हमारा बचपन था तो लोग अपने घर में बनी पहली रोटी गाय के लिए रखते थे, दूसरी रोटी कुत्ते के लिए और बचा हुआ खाना व अन्य निकृष्ट खाद्य पदार्थ घर के बाहर डालते थे जिन्हें सूअर खा जाते थे… मगर आज ये हाल हो गया है सूअर तो कहीं दिखते नही.?? कुत्तों को लोग घरों में नहा-धुलाके रखते हैं.. बची गौ माता… सब कचरा और बचा-खुचा खाना अब उसके हिस्से में आता है… आखिर हम हिन्दू जो गौ की पूजा करते हैं, इतने गैर-जिम्मेदार क्यों हो गये कि गौ-माता को ये दिन देखने पड़े.??” तभी वहां पर बैठी, मेरे मित्र की माता जी ने एक कथा सुनाई- “”जब श्री राम और माता सीता वनवास में थे… तो श्राद्ध के दिनों में राजा दशरथ के श्राद्ध के दिन श्री राम ने कहा- मैं पिंड दान के लिए कंदमूल फल लेकर आता हूँ.. अगर पितृ आयें तो खाली हाथ मत जाने देना(उस समय पितृ दिखाई देते थे)… जब पितरों की टोली आई तब सीता माता के पास पिंडदान के लिए कुछ भी नही था… राजा दशरथ ने कहा मिटटी का पिंड बनाकर दे दो… सीता माता ने मिटटी में पानी डालकर पिंड बनाकर दान कर दिया… वहां पर गाय और पीपल ये सब देख रहे थे… जब श्री राम आये और उन्होंने पूछा तो सीता माता ने सारा वृतांत सुनाया… श्रीराम को विश्वास नही हुआ… सीता माता ने कहा- गौ और पीपल से पूछ लो..?? पीपल ने हां कर दी मगर गाय ने मना कर दिया… कहते हैं तब माता सीता ने गाय को श्राप दिया कि “तूने झूठ बोला है… तेरी गति खराब होगी… तू कलियुग में ‘विष्ठा’ खाती फिरेगी.” यही कारण है कि अब भी पीपल की पूजा होती है… और गाय की बेकद्री है…”” हालाँकि वो किंवदन्ती थी… ऐसी कथाओं को सुनकर-सुनाकर हम अपने कर्तव्यों से मुँह नही मोड़ सकते। हम सब हिन्दुओं को गौ-माता के लिए अपना कर्तव्य जरुर निभाना चाहिए… गाय को सम्मान मिलना ही चाहिए… हम कितने ही अपव्यय करते हैं जीवन में.?? थोडा सा दान-धर्म गौ-माता के लिए भी किया जाना चाहिए… सभी भारतीयों से, विशेषतौर से हिन्दुओं से निवेदन है कि उठो, जागो, एकजुट हो जाओ… ताकि पूजनीय गौ-माता के अस्तित्व को समाप्त करने पर तुले, सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को कड़ी सजा दिलाई जा सके, भारत-भूमि पर हो रहे इस अत्याचार को रोका जा सके और इस गंभीर विषय पर सरकार को सख्त कानून बनाने के लिए और गौ माता को ‘राष्ट्रीय माता’ घोषित करने के लिए मजबूर किया जा सके.!!!! जय गौ माता.. जय माँ भारती।