हिन्दू संस्कृति की अद्वितीय विशेषता और अद्भुत वास्तुकला।

                                     भारत में स्थापत्यकला की दृष्टि से अप्रतिम खजुराहो अथवा मीनाक्षी मंदिर भव्य और विश्वप्रसिद्ध मंदिर हैं। इसी प्रकार, भोणगांव (जनपद धुलिया, महाराष्ट्र) में ध्वनि-चमत्कार उत्पन्न करनेवाले दो मंदिर और एक समाधि मंदिर हैं, लक्ष्मणपुर (लखनऊ) में भूलभुलैया भवन है।



ताली बजाने से सितार की ध्वनि उत्पन्न करनेवाले एक-दूसरे के पडोस में स्थित मंदिर
१. ध्वनि-चमत्कारों के दो मंदिर तथा उनके मध्य का स्थान :ये ध्वनि-चमत्कार उत्पन्न करनेवाले दो मंदिर एक-दूसरे के पडोस में स्थित हैं इन दोनों मंदिरों के मध्य लगभग २ मीटर खाली स्थान है। उस स्थान का मध्यबिंदु खोजकर वहां ताली बजाने से सितार की ध्वनि और प्रतिध्वनियां सुनाई देती हैं। दो अथवा तीन बार ताली बजाने पर वह उतनी बार सुनाई देती है। दो तालियों में जितना समयांतर होगा, उतने समय तक प्रतिध्वनि सुनाई देगी। इस मध्यबिंदु से हटने पर इस ध्वनि की तीव्रता घटती जाती है तथा मंदिर के चबूतरे से छत तक यह तीव्रता बढती जाती है।




भूमि से ४१ अंश कोण में झुका हुआ श्री बिमलेश्वर मंदिर

२. ४१ विशिष्ट कोण में झुका हुआ ओडिशा राज्य का श्री बिमलेश्वर मंदिर ! :ओडिशा राज्य के ऐतिहासिक नगर संबलपुर से २३ कि.मी. दूर श्री बिमलेश्वर का मंदिर, झुका हुआ मंदिर नाम से प्रसिद्ध है। यह पूर्णतः पत्थरों से निर्मित है तथा भूमि से ४१ अंश कोण में झुका हुआ है। इसके प्रांगण में स्थित अन्य छोटे मंदिर, दीपमाला, मंदिर की संरक्षक भीत, सभी विशिष्ट कोण में झुके हुए दिखाई देते हैं।