हम तीन मित्र नवरात्रि २०१४ मेँ माँ शारदा के दर्शन करने मैहर गये थे। लौटते समय थोडा जल्दी रेल्वे स्टेशन आ गये थे। स्टेशन के बाहर "ब्रह्मकुमारी ट्रस्ट" वालोँ ने अपनी पुस्तकेँ बेँचने और समर्थक बढाने के लिए प्रदर्शनी लगा रखी थी। हमने सोचा चलो आज इनके बारे मेँ भी थोडा जानकारी प्राप्त करते हैँ।

 वहाँ उनके कुछ कार्यकर्ता लोग रटी रटायी कहानी सना रहे थे जो एक बार पहले सुन चुका था। कहानी के अनुसार ही भगवान कृष्ण की ५-७ फोटो टाँग कर सबको ये बता रहे थे की पहले स्वर्ण युग था फिर चाँदी का युग आया फिर ताँबेँ का फिर लौह युग फिर मिट्टी का युग आ गया अब प्लास्टिक का युग आएगा। और इन सबके साथ पाप भी बढता गया और लगातार बढता ही जाएगा और हर ५००० वर्ष मेँ प्रलय आती है और भगवान कृष्ण का अवतार होता है। भगवान सब पापियोँ को नष्ट करते हैँ और फिरसे स्वर्ण युग चालू हो जाता है। और इसी बीच अपनी कहानी को विस्तार से जानने के लिए पुस्तकेँ, CD और DVD खरीदने के लिए कहते हैँ जो बगल मेँ STALL लगा रखी थी इन्हीँ के लोगोँ ने और इन्हीँ के लोगोँ की लिखी पुस्तकेँ। मेरे मित्र भी कुछ पुस्तकेँ देखने लगे और मैँ श्रीमद्भगवदगीता ढूढने लगा क्योँकी वहाँ भगवान कृष्ण के कई चित्र लगे थे। लेकिन मुझे केवल ब्रह्मकुमारी के लोगोँ की लिखी हुई पुस्तकेँ मिली श्रीमद्भगवदगीता नहीँ मिली। मैने उसके एक कार्यकर्ता से पूछा की श्रीमद्भगवदगीता कहाँ है? बोला - नहीँ हैँ। यहाँ हमारी संस्था की ही पुस्तकेँ मिलेँगी। 

         मैँने कहा - श्रीमद्भगवदगीता तो रखना चाहिए धर्म का ज्ञान तो वहीँ से मिलता है। फिर तो मेरी - ब्रह्मकुमारी के ठेकेदारोँ से मेरी लंबी बहस हुयी मैहर रेलवेस्टेशन पर। सबको धो कर रख दिया। ये हरामी लोग श्रीमदभगवदगीता का सम्मान तक नहीँ करते। एक बोला की गीता मेँ तो यही लिखा है सब साथ मिल कर रहो। हिँदू मुस्लिम सिख इसाई हम सब भाई भाई। मैँने कहा - कहाँ लिखा दिखाओ? उसने कहा - गीता मेँ ऐसा लिखा है। मैँने कहा - कहाँ लिखा दिखाओ न? उस समय तो केवल सनातन धर्म था जिसे आज हिँदू धर्म कहते हैँ। बाकी का तो अस्तित्व ही नहीँ था फिर कैसे और कहाँ लिखा है। फिर उसने पूछा - आपने श्रीमदभगवदगीता पढा है? मैँने कहा - हाँ मैँने श्रीमदभगवदगीता पढा है एक दो नहीँ कई बार पूरा पढा है। मुझे तो ऐसा कुछ नहीँ दिखा तुमने कहाँ पढा। तो निर्लज्जता के साथ हँसते हुए बोला - मैँने गीता नहीँ पढी। मैने कहा - फिर क्योँ मुझे ज्ञान बाँट रहे हो? फिर मेरा गुस्सा बढता देख बात बदलने की कोशिश करने लगा आप किनको गुरु मानते हैँ। किनकी पुस्तकेँ पढते हैँ। कहाँ रहते हैँ क्या करते हैँ। वहाँ का दृश्य देखकर बाकी के कार्यकर्ताओँ मेँ छटपटाहट बढ गयी की कुछ पूछ न ले और कई इधर उधर जा खडे हुए।

तभी मैँने इनकी कैद से महिलाओँ और प्रभाव से निष्क्रीय हो चुके समाज को छुडाने का संकल्प लिया।

 फिर एक ६० साल के ठेकेदार से पूछा की - जैसा की आप लोग बता रहे हैँ की ब्रह्मकुमारी संस्था एक मात्र अध्यात्मिक संस्था है। तो बताईए - धर्म क्या है? तो बोला - हिँदू धर्म, मुसलमान धर्म, इशाई धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म। मैनेँ कहा ये पंथ या प्रकार बता रहे हैँ या परिभाषा। मैनेँ अपना प्रश्न दोहराया - धर्म की परिभाषा क्या है? फिर बिना कुछ बोले मुझे देखता ही रह गया। मैँने कहा आप लोग धार्मिक कार्य कर रहे हैँ तो धर्म क्या है बताईए। बोला मुझे नहीँ पता तुम्हीँ बताओ। मैँने कहा जब आप लोग धर्म की परिभाषा नहीँ जानते तो क्या धर्म का कार्य और समाज सेवा करेँगे? मैँने कहा - जिसमेँ सबका मंगल सबका भला हो सभी चराचर जगत के प्राणियोँ का मंगल हो वो धर्म है बाकी सब अधर्म। किसी की निःस्वार्थ भाव से सहायता सेवा है और बिना कारण किसी को परेशान करना, मारना काटना, प्रकृति विरुद्ध सारे कार्य सब अधर्म है।

फिर बातोँ ही बातोँ मेँ ये कह कर फिर फँस गया की भगवान का नाम लेने मात्र से सभी समस्याओँ का हल हो जाता है भोजन पानी की व्यवस्था भगवान कर देते हैँ हमेँ कुछ करने की अवश्यकता नहीँ होती।

तो मैँने पूछा की आपके कहने का अर्थ ये की कुछ कार्य या व्यवसाय करे नहीँ बस बैठ के भगवान का नाम ले तो सब कार्य अपने आप हो जाएगा। बोला - हाँ। मैँने पूछा - अगर ऐसा है तो अर्जुन भगवान कृष्ण के सबसे पास रहे उनका नाम भी लेत थे तो सारी समस्याऐँ खत्म क्योँ नहीँ हो गयी? अपने आप राज्य क्योँ नहीँ मिल गया? महाभारत जैसा विकराल युद्ध लडा गया? वो चुपचाप मेरी ओर आश्चर्य भरी निगाहोँ से देखता रहा।

 मैँने फिर कहा श्रीमद्भगवदगीता मेँ भी कर्म करने पर जोर दिया गया गया क्योँकी कार्य न करने पर शरीर निर्वाह भी नहीँ होगा। वो अभी भी चुप।

 मैँने फिर कहा अगर कर्म प्रधान न होता केवल नाम लेने मात्र से भगवान सारी समस्याओँ की पूर्ति कर देँ तो ट्रेन मेँ, सडक के किनारे और मंदिर के बाहर बैठे भिखारियोँ को किसी भी वस्तु की आवश्यकता ही नहीँ होती फिर क्योँ कई वर्षोँ से भगवान के नाम लेने के बाद भी भिखारी हैँ।

बहुत देर बाद अंत मेँ बोला की तुम्हारी बातेँ तो सब ठीक हैँ। लेकिन थोडा कडवा बोलते हो। ट्रेन आने तक सनातन धर्म के बारे मेँ और भारत के संतोँ पर षड्यंत्रोँ के बारे मेँ बताया।