रामतीर्थ की दृढ निष्ठा। एक बार स्वामी रामतीर्थ के मन में विचार आया कि : ‘चलो, एकांत में जाएँ । एकांत के लिए उन्होंने एक गुफा भी खोज ली । तब लोगों ने कहा : ‘‘इस गुफा में पहले भी कई साधु गये हैं लेकिन वापस लौट कर कोई नहीं आया । वे अंदर ही मर गये और भूत होकर गुफा में भटक रहे हैं । आप कृपया इस गुफा में न जाएँ । लोगों के मना करने पर भी स्वामी रामतीर्थ उस गुफा में गये और थोडे दिन बाद वापस लौटकर आये । तब लोगों को बडा आश्चर्य हुआ । उन्हें आश्चर्यचकित देखकर स्वामी रामतीर्थ ने कहा : ‘‘राम को राम से बढकर कौन मिल सकता है ? वहाँ न कोई भूत था, न कोई प्रेत था । जहाँ दृढ निश्चय होता है वहाँ भूत-प्रेत हों तो भी कुछ नहीं कर सकते । दृढ निश्चयवाले को प्रतिकूलता में भी राह मिल जाती है । इस प्रकार दृढ श्रद्धा से, दृढ संकल्प से किया हुआ जप-ध्यान बहुत लाभ देता है । दृढ संकल्प के बल से मीरा ने विष को अमृत में बदल दिया था और विषधर सर्प भी नौलखा हार बन गया था । महावीर भी दृढता से लगे तो अपने परम लक्ष्य तक पहुँच गये । कहते हैं कि बुद्ध भी वृक्ष के नीचे दृढ संकल्प करके बैठे और अंत में लक्ष्य-प्राप्तिकरके ही उठे । ऐसे ही आप भी छोटा-मोटा नियम तो लें परंतु दृढता से उसे पूरा करें ।