संस्कृतम् जनभाषा भवेत्
                                   आज तक जितने भी पुरातात्विक संशोधन हुए हैं , खोजें हुई हैं उनमें प्राप्त शिलालेख , ताड़पत्र , भूर्जपत्र , सिक्के आदि में सारा लेखन संस्कृत में ही मिलता है। संस्कृत के बाद कुछ प्राकृतआदि में मिलता है । इस शोध से यह सिद्ध होता है कि संस्कृत भाषा एक समय में जनभाषा थी । यदि पुरातनकाल में संस्कृत जन जन की भाषा थी तो आज आधुनिक युग में संस्कृत जन जन की भाषा क्यों नहीं बन सकतीहै। बस आवश्यक है कि हम इस दिशा में प्रयास करें ।

Ø नित्य संस्कृत का अभ्यास करें ।
Ø संस्कृतप्रेमियों को इस पुनीतकार्य में शामिल करें ।
Ø सभी कम से कम 50 संस्कृत श्लोक अवश्य कंठस्थ करें ।
Ø संस्कृत पत्रिकाओं के ग्राहक बनें।
Ø संस्कृत समारोह में अवश्य जाएं ।
Ø संस्कृत पढ़ रहे छात्रों को आर्थिक सहयोग दें।
Ø संस्कृत समाचार आकाशवाणी में सुनें , दूरदर्शन में देखें ।
Ø गुरुकुलों को सहयोग दें ।
Ø नेट पर सर्फिंग करतेसमय अधिक से अधिक संस्कृत के विषयों को खोजें , पढ़ें ।
Ø यू ट्यूब में संस्कृत से सम्बंधित वीडियो देखा करें ।
Ø जो मित्र संस्कृत जानते हैं उनसे संस्कृत में बातचीत करें।
Ø संस्कृत में सन्देश भेजा करें ।
Ø परिवार में कोई भी शुभ प्रसंग हो तब संस्कृत में निमंत्रण पत्र छपवाएँ।
Ø त्यौहार आदि शुभ अवसर पर संस्कृत कार्यक्रम रखवाएँ।
Ø अपने नगर में या विद्यालय में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में संस्कृत गीत-गान की कम से कम एक प्रस्तुति को शामिल कराएँ ।

                            हम इस प्रकार संस्कृत को अवश्य ही जन जन की भाषा बनाने में सफल हो पाएँगे ।