तुम्हारी अंधी उदारता तुम्हें ही .......
जापान
का एक लडका था । वह स्कूल से घर जा रहा था । रास्ते में एक येन (जापानी मुद्रा) का
सिक्का उसे मिला, लगभग ५० पैसे समझो यहाँ के । वह पुलिस थाने में
गया, बोला : ‘‘मुझे रास्ते में यह येन मिला है ।
कृपया आप जमा कर लीजिये और जिसका है उसको खबर कर दीजिये ।
पुलिस
निरीक्षक ने सोचा, ‘अब एक येन जमा करो, जिसका
है उसको खबर करो... कौन झंझट में पडे ! बोला : ‘‘तुम्हारी
ईमानदारी पर हम खुश हुए, जाओ, यह तुम खर्चना ।
वह
लडका घर आया । माँ को बोला : ‘‘मुझे रास्ते में किसीका गिरा हुआ एक
येन मिला और मैंने पुलिस थाने में जमा कराना चाहा लेकिन पुलिसवाले ने मुझे वह इनाम
में दिया है ।
माई
ने पुलिस मुख्य निरीक्षक को फोन किया कि ‘‘मेरा बेटा किसीकी
गिरी हुई वस्तु उस तक पहुँचाने की कोशिश करता है और थाना नम्बर सो एंड सो
(इतना-इतना)... फलानी जगह पर मेरे लडके ने वह येन जमा कराना चाहा लेकिन आलस्य के
कारण और अंधी उदारता के कारण वहाँ के पुलिस निरीक्षक ने मेरे बेटे को ही वह खर्चने
के लिए शाबाशी में दे दिया है, तो बताओ ऐसा करोगे तो देश कैसे चलेगा ? क्या
तुम उसको पनिशमेंट (सजा) दे सकते हो कि मैं और आगे फोन लगाऊँ ?
पुलिस
मुख्य निरीक्षक ने निरीक्षक से पूछताछ की तो उसने भूल छुपाकर सफाई ठोकी, तब
वे बोले : ‘‘यदि आपको इनाम देना था तो अपनी जेब से देना
चाहिए था । वास्तव में आपने इस बालक को अनुचित पाठ पढाया है इसलिए आपको नौकरी से
बर्खास्त किया जाता है । साथ ही बच्चे और उसकी माँ का हम बहुमान करते हैं, खूब-खूब
आदर करते हैं । ऐसे लोग ही चाहिए देश की उन्नति के लिए !
जो
व्यवहार में तत्पर नहीं है और अपना कर्तव्य नहीं पालता है वह पलायनवादी आदमी तो
बोझा है, वह जहाँ भी जायेगा सिर खपायेगा । आपके हृदय में
कर्तव्य के प्रति, धर्म के प्रति जितनी सच्चाई है, ईश्वर
के प्रति जितनी वफादारी है, उतनी ही आपकी सच्ची, आध्यात्मिक
उन्नति होगी ।
-पूज्य संत श्री
आशारामजी बापू
0 टिप्पणियाँ