प्राचीन काल के परमाणू रियाक्टर ही शिवलिंग है? क्या शिव जी परमाणू हथियार बनाना जानते थे?

                         शिवलिंग को आम तौर पर प्रकृति और पुरुष के संयॊग के रूप में देखा जाता है जो कि सच नहीं है। आध्यात्मिक दृष्टीकोण से देखा जाये तो शिवलिंग इस ब्रह्मांड का आकार है। कहा जाता है कि हमारा ब्रह्मांड शिवलिंग के आकार में है। हमारे पूर्वजों ने ब्रह्मांड के आकार को शिवलिंग का रूप देकर उसकी पूजा की थी। इसी प्रकार स्वस्तिक का चिन्ह भी हमारे आकाशगंगा का लघु रूप है। सूर्य के इर्द गिर्द पथ भ्रमण करने वाले ग्रहों के प्रतीक को स्वस्तिक का चिन्ह दर्शाता है।
                         सनातन संस्कृती से जुड़े हर चिन्ह के पीछे कोई ना कॊई वैज्ञानिक कारण हैं। अब विज्ञान जगत में इस बात की चर्चा हो रही है कि शिवलिंग प्राचीन काल का न्यूक्लियर रियाक्टर हो सकता है। अगर हम आज के जमाने के न्यूक्लियर रियाक्टर और शिवलिंग के बीच की साम्यताओं को देखें तो हमें पता चलता है कि दोनों का आकार एक ही प्रकार है।
                         O.P.Nak द्वारा लिखी गयी किताब ” BARC Atomic Reactor – The True Story” में इन बातों का विवरण दिया गया है। BAARC परमाणु रिएक्टर एक शिव-लिंग की ही तरह दिखता है। इसमें कुछ तथ्यों पर प्रकाश डाला गया है।
                         जिस तरह शिवलिंग पर सदैव जलाभिषॆक किया जाता है, उसी प्रकार न्यूक्लियर रियाक्टर को ठंडा रखने के लिए भी पानी की आवश्यकता होती है।
                         न्यूक्लियर रियाक्टर के अंदर नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा होती है। परमाणू उर्जा से निकली विकिरण और अन्य विशैले पदार्थ मनुश्यों के लिए हानिकारक होते हैं।
                         शिवलिंग पर चढ़ाये गये पानी या दूध को प्रसाद के रूप में नहीं दिया जाता। यह इसलिए कि शिवलिंग न्यूक्लियर रियाक्टर का प्रतीक है और इसका पानी विशैला/ दाहक होता है।
                         शिवलिंग या शिवमंदिरों में पूर्ण परिक्रमा नहीं किया जाता। इसका भी संबंध शिवलिंग से उत्सर्जन होने वाले विकिरण से किया जाता है।
                         अगर हम पुराणॊं पर ध्यान दें तो हमें ज्ञात होता है कि भगवान शिव ने समय समय पर देवताओं को विनाशकारी अस्त्र-शस्त्र बनाकर दिया था। विष्णु का सुदर्शन चक्र और अर्जुन का पाशुपथास्त्र भगवान शिव के द्वारा ही दिया गया था। शिव को विनाशकारी भी कहा जाता है यानी उनके पास इतनी शक्ती है कि वे पूरे ब्रह्मांड को नष्ट कर सकते हैं। न्यूक्लियर बम में भी उतनी ही शक्ती होती है कि वह पूरे पृथ्वी को नष्ट कर सकती है।
                         हमने देखा है कि शिवजी पर हालाहल या विष का कॊई असर नहीं होता। समुद्र मंथन के समय जो विष( यानी विकिरण) निकला था उसे पी कर ( यानी किसी तकनीक द्वारा विकिरण को खींच कर) दुनिया को बचाने वाले भगवान शिव थे। हो सकता है कि शिवलिंग उसी न्यूक्लियर रियाक्टर का प्रतीक है जिसमें शिवजी परुमाणु हथियार बनाया करते थे!
                         आधुनिक विज्ञान कहता है कि कैलाश परवत एक मानव निर्मित पिरमिड। वैज्ञानिकों का मानना है कि उसके अंदर तकनीकी रूप से उच्च कॊटी की एक सभ्यता बसती है। कैलाश पर्वत पर आज तक कॊई चड़ नही पाया। कैलाश परवत के इर्द गिर्द मजबूत रॆडियो तरंगों का प्रवहन होता हैजो लोगों को कैलाश पर्वत पर चड़ने से रॊकता है। तो क्या आज भी उसके अंदर एक सभ्यता बसती है जो हम से सौ गुना ज्यादा उन्नत और शक्ती शाली हैहो सकता है…