क्या त्रेतायुग में हनुमान ने वर्महोल द्वारा लंका यात्रा
किया था? क्या विंद्या पर्बत के गहरे जंगलों के
गुफाओं में ब्रह्मांड के समानांतर आकाशगंगा में जाने का रहस्य द्वार है?
आश्चर्य और
अचंबित कर देने वाले विषय हैं यह। हमारे पुराणॊं में आधुनिक विज्ञान की खोज से
जुड़े हुए सभी विचारों का उल्लेख है। संशोधनकर्ताओं का मानना है कि त्रेतायुग में
हनुमान ने वर्महोल द्वारा लंका यात्रा किया था। हमारे पूर्वज इन वैज्ञानिक
आविष्कारोंको या तो ठीक तरह से समझ नहीं पाये या उसका विवरण ठीक प्रकार से दे नहीं
पाये। इसलिए इन सारी बातों ने मिथक कथा या अलौकिक शक्ती का रूप ले लिया है।
वर्महोल क्या है?
मान लीजिए की आप
रॊज़ एक निश्चित मार्ग में प्रतिदिन यात्रा करते हैं। अगर आप के पास समय का अभाव
होता है तो आप उस दिन अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए शॉर्टकट का उपयॊग करते हैं।
ठीक इसी प्रकार ब्रहांड में यात्रा करने के लिए भी शॉर्टकट का उपयॊग किया जा सकता
है। विज्ञान की भाषा में इसे वर्महोल कहते हैं। यह वर्महोल एक सुरंग मार्ग की तरह
हॊता है जिसके दॊ खुले हुए सिरे होते हैं।
आकाशगंगा में time travel
या space travel करने की दृष्टी से वर्महोल बहुत
महत्वपूर्ण है। सामान्य सापेक्षता सिद्धांत में ब्रह्मांड में वर्महोल होने की
संभावना के बारे में खॊज चल रहा है।
रामायण में
वर्महोल का उल्लेख
रामायण में, माता
सीता की खोज करने के लिए सुग्रीव अपनी वानर सेना को निर्देश देते हैं। लेकिन
हनुमान, अंगद और अन्य वानर, सुग्रीव
के निर्देश के विपरीत विंद्या परवत के एक खोखली गुफा की तरफ़ जाते हैं। मया द्वारा
निर्मित इस गुफा की रक्षा स्वयंप्रभा नामक संत महिला कर रही थी। गुफा के अंदर हीरे
जवाहरात, सॊने चांदी से जड़े हुए अलग अलग प्रकार के वस्तु
थे।
इस भयानक गुफा
के अंदर जाते ही समय तुरंत बीत जाता है और इस गुफा के अंदर से किसी भी प्राणी का
बच कर निकलना असंभव हो जाता है। जब हनुमान को पता चलता है कि सुग्रीव द्वारा सीता
माता की खोज के लिए दिये गये समय समाप्त हो रहा है तब हनुमान संत महिला स्वयंप्रभा
के पास आकर उन्हें इस गुफा से बाहर निकालने के लिए आग्रह करते हैं। स्वयंप्रभा जो
एक मय होने के बाद भी संत थी, उसने हनुमान और उनके साथियों से आंख
बंद करने को कहा।
स्वयंप्रभा के
आदेश के अनुसार हनुमान और उनके साथी आंखे बंद कर लेते हैं। जब वे आंखे खोल कर
देखते हैं तब वे खुद को विंद्या परबत से कोसों दूर महासागर के तट में खडे़ हुए
पाते हैं। शॊधकर्ताओं का कहना है कि शायद इस गुफा में वर्महोल होगा जो एक जगह से
दूसरे जगह पर लोगों को कम समय में पहुंचाता होगा। रामायण की ‘किश्किंदा कांड’ में
इन सारी बातों का उल्लेख है।
‘Einstein–Rosen bridge’ और
गुफा के अंदर वानरों का प्रवेश और बाहर निकलने में कई समानताएं दिखाई देते हैं।
भारतीय मानव विज्ञानविदों का एक समूह, पुरातात्विक
पर्यावरण अनुसंधान और जनजातीय कल्याण सोसाइटी के पुरातात्विक मोहम्मद वसीम खान की
अगुवाई की टीम ने, मध्यप्रदेश के होशंगाबाद पहाड़ी(नर्मदापुरा) पर
एक चौंका देने वाली खोज की है। खॊज के दौरान रायसिन के गहरे जंगलों के अंदर छुपे
गुफाओं में कुछ आश्चार्य जनक चित्रकला को उन्हेंने देखा।
गुफाओं के अंदर
बनाये गये इन चित्रों में लोगों को अंतरिक्ष सूट पहना हुआ चित्रित किया गया है।
उनके बगल में UFO और बेलनाकार के स्प्रिंग्स को चित्रित किया गया
है। क्या यह संज्ञा है कि भारत के लोग UFO का उपयॊग
कर वर्महोल द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर यात्रा किया करते थे? क्या
रामायण में जिस विंद्या परबत के अंदर बसी रहस्य गुफा का वर्णन है वह ब्रह्मांड के
अन्य ग्रह में हमको ले जाता है? क्या आज भी विंद्या परबत के अंदर
ब्रह्मांड के अन्य ग्रह में यात्रा करने की गुप्त द्वार है? क्या
हनुमान ने वर्महोल द्वारा लंका तक के सफ़र को मिनिटॊं में पूर्ण किया था। हो सकता
है। हमारे महाकाव्यों में उल्लेख की गई बातें इसी ऒर अंदेशा दे रही है।
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