जानिए, उस मंदिर के बारे में जिसके पट साल में केवल एक बार नागपंचमी के दिन ही खुलते हैं !

उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर
उज्जैन : बुधवार को नागपंचमी का त्योहार देश भर में हर्षोल्लास से मनाया गया ! सावन महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में यह माना जाता है कि, चींटी से लेकर हाथी तक सभी में भगवान का वास होता है। नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है। नागपंचमी के अवसर पर नाग को प्रसाद के रूप में दूध का भोग लगाया जाता है। देशभर के विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड जुटती है। वहीं देश में एक ऐसा मंदिर है जिसके पट साल में एक बार नागपंचमी के दिन खुलते हैं। मंदिर का नाम है नागचंद्रेश्वर मंदिर ! नागचंद्रेश्वर मंदिर नाग देवता को समर्पित है जिसका अपना ही महत्व है !

कहां है नागचंद्रेश्वर मंदिर ?
नागचंद्रेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में महाकाल मंदिर परिसर में स्थित है। यह मंदिर, महाकाल मंदिर के तीसरे तल पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा भोज ने १०५० में करवाया था। वही इस मंदिर का जीर्णोउद्धार १७३२ में सिंधिया राजघराने के रानोजी राव सिंधिया ने कराया था।


क्या है मूर्ति की विशेषता ?
मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर की मूर्ति नाग देवता को समर्पित है। इस मूर्ति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें दस फनवाले नाग देवता है और फन के नीचे भगवान शिव, देवी पार्वती और गणेशजी विराजमान हैं। इस मूर्ति को नेपाल से लाया गया था। इसका समय ग्यारहवीं शताब्दी का बताया जाता है !



साल में एक ही बार क्यों खुलते है मंदिर के दरवाजें ?
नागचंद्रेश्वर मंदिर के दरवाजे साल में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलते हैं ! दरवाजा एक बार खुलने के पीछे एक कथा है। तक्षक नाम के नाग ने भगवान शिव की तपस्या की और भगवान शिव ने प्रसन्न होकर तक्षक को अमरत्व का वरदान दे दिया। तक्षक आगे की साधना के लिए महाकाल वन चले गए ताकि कोई उन्हें साधना के समय परेशान न करें। इसी कारण मंदिर में स्थापित मूर्ति को तक्षक (नागदेवता) के रूप में पूजा की जाती है।