25
दिसंबर को तुलसी पूजन करना आवश्यक
क्यों है?
हमारा भारत देश ऋषि-मुनियों का देश
रहा है, विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में
आकर भारतीय दिव्य संस्कृति को खत्म करने के लिये अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपना
चाहा, लेकिन भारत में आज भी कई साधु-संत
एवं हिन्दूनिष्ठ हैं जो भारत में राष्ट्र विरोधी विदेशी ताकतों से टक्कर लेकर भी
समाज उत्थान के लिये हिन्दू संस्कृति को बचाने का दिव्य कार्य कर रहे हैं । https://youtu.be/aTT-MIBPhoE
ईसाई धर्म का त्यौहार 25
दिसम्बर से 1
जनवरी के बीच में मनाया जाता है, जिसमें Festival के नाम पर शराब और कबाब का जश्न मनाना, डांस पार्टी आयोजित करके बेशर्मी का
प्रदर्शन करना,
पशुओं
की हत्या करके उसका मांस खाना, सिगरेट, चरस आदि पीना यह सब किया जाता है जो
कि भारतीय त्यौहारों के विरुद्ध है । ऐसा करना ऋषि-मुनियों की संतानों को शोभा
नहीं देता है ।
रिपोर्ट के अनुसार- 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक
>
14
से 19 वर्ष के बच्चें शराब का जमकर सेवन
करते हैं।
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शराब
की खपत तीन गुना बढ़ जाती है ।
>70% तक के किशोर इन पार्टियों में शराब
का जमकर सेवन करते हैं ।
>
आत्महत्यायें
काफी बढ़ जाती हैं।
इन सबसे बचने का और संस्कृति व
राष्ट्र को बचाने का अचूक उपाय निकाला है हिन्दू संत आसारामजी बापू ने !
देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो
इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र का हित करने के लिए हिन्दू संत आसारामजी
बापू ने वर्ष 2014 से
25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक (7 दिवसीय) “विश्वगुरु भारत कार्यक्रम”
का आयोजन चालू करवाया है उसमें तुलसी पूजन, जप-माला पूजन एवं हवन, गौ-गीता-गंगा जागृति यात्रा, राष्ट्र जागृति संकीर्तन यात्रा, व्यसनमुक्ति अभियान, योग प्रशिक्षण शिविर, राष्ट्रविद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य
निर्माण शिविर,
सत्संग
आदि कार्यक्रमों का आयोजन उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों
में किया जाता है ।
2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाना
प्रारम्भ हुआ । इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी । पिछले साल भी उनके करोड़ों अनुयायियों
द्वारा 25 दिसंबर को देश-विदेश में बड़ी
धूम-धाम से तुलसी पूजन मनाया गया था । जिसमें कई हिन्दू संगठनों और आम जनता ने
भी लाभ उठाया था ।
ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस साल भी एक
महीने से देश-विदेश में क्रिसमस डे की जगह 25 दिसंबर “तुलसी पूजन दिवस” निमित्त
विद्यालयों, महाविद्यालयों, जाहिर स्थलों और घर-घर तुलसी पूजन
किया जा रहा है ।
हिन्दू संत आसारामजी बापू का कहना है
कि तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढ़ता है । मानसिक
अवसाद, दुर्व्यसन, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा
होती है और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है
।
उनका कहना है कि तुलसी का स्थान
भारतीय संस्कृति में पवित्र और महत्त्वपूर्ण है । तुलसी को माता कहा गया है । यह
माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है । तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य-लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ
भी होते हैं ।
विदेशों
में भी होता है तुलसी पूजन..!!
मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व
के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है । ग्रीस में इस्टर्न
चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन
‘नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से देवल में चढ़ाई गयी तुलसी के प्रसाद को
स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थी।
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विज्ञान भी नतमस्तक..!!
आधुनिक विज्ञान भी तुलसी पर शोध कर
इसकी महिमा के आगे नतमस्तक है । आधुनिक रसायनशास्त्रियों के अनुसार ‘तुलसी में
रोग के कीटाणुओं को नाश करने की विशिष्ट शक्ति है । रोग-निवारण की दृष्टि से
तुलसी महाऔषधि है,
अमृत
है ।’
तुलसी पूजन की शास्त्रों में महिमा
अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेकों
व्याख्यान हैं । भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा-विधि ‘तुलसी दल’ के
बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती ।
हिन्दू संत आसारामजी बापू के अनुसार
अंग्रेजी नूतन वर्ष को मनाने हेतु शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार में गर्क होने से अपने देशवासी बच
जाएं इस उद्देश्य से राष्ट्र जागृति लाने के लिए तथा विधर्मियों द्वारा रचे जा
रहे षड्यंत्रों के प्रति देशवासियों को जागरूक कर भारतीय संस्कृति की रक्षा के
लिए व्यसनमुक्ति अभियान तथा राष्ट्रविद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य निर्माण शिविर, जागृति संकीर्तन यात्राओं का आयोजन
करें तथा देश के संत-महापुरुष एवं गौ, गीता, गंगा की महत्ता के बारे में जागृति लाएं ।
आपको बता दें कि हिन्दू संत आसारामजी
जोधपुर जेल में बंद हैं फिर भी उनके बताए अनुसार उनके करोड़ों अनुयायी आज भी समाज
उत्थान के सेवाकार्य सुचार रूप से कर रहे हैं ।
हिंदुस्तानी संकल्प लें कि 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस मनाना है
। विदेशी कचरा हटाना है । सुसंस्कारों का सिंचन कराना है । भारतीय संस्कृति को
अपनाकर, भारत को विश्वगुरू के पद पर आसीन
करना है ।
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